_*📑असबाक -ए- इबरत ( पोस्ट न. 06)*_
―――――――――――――――――――――
_*🌀नफ़्स के साथ जिहाद*_
_*💫नबीए करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का फरमाने आलीशान है “ नफ्स के साथ जिहाद बेहतरीन जिहाद है । "*_
_*(📕 बैहकी )*_
_*💫सहाबा - ए किराम रिदवानुल्लाहि तआला अलैहिम अजमईन जब जिहाद से वापस आते तो कहते हम छोटे जिहाद से बड़े जिहाद की तरफ़ लौट आए हैं । सहाबा - ए किराम रदिअल्लाहु तआला अन्हुम ने नफ्स , शैतान और ख़्वाहिशात से जिहाद को काफ़िरों के साथ जिहाद करने से चन्द वजहों से अकबर और अज़ीम कहा ।*_
_*💫एक तो यह कि नफ्स के साथ जिहाद हमेशा जारी रहता है और काफ़िरों के साथ कभी कभी होता है , दूसरी वजह यह है कि काफ़िरों के साथ जिहाद में ग़ाज़ी अपने दुशमन को सामने देखता रहता है मगर शैतान नज़र नहीं आता है और दिखाई देने वाले दुशमन के मुकाबले छुप कर वार करने वाले दुशमन से लड़ाई ज़्यादा सख़्त होती है , तीसरी वजह यह है कि काफ़िर के साथ ग़ाज़ी की हमदर्दियाँ बिल्कुल नहीं होती और शैतान के साथ जिहाद करने में नफ़्स और ख़्वाहिशात शैतान की मददगार ताक़तों में शुमार होते हैं ।*_
_*✨मुसलमानो ! यह दुनिया चन्द रोज़ा है इसकी रंगीनियों में मस्त हो कर अपनी आख़िरत बर्बाद मत करो , हर वक़्त अपने नफ़्स का मुहासबा करते रहो , उसको नेकियों पर उभारते रहो और बुराइयों से उसको रोकते रहो ।*_
_*🕋अल्लाह तआला ख़्वाहिशात से बाज़ रहने वालों को जन्नत की खुशखबरी देते हुए इरशाद फरमा रहा :*_
_*📝तर्जमाः - और वह जो अपने रब के हुजूर खड़े होने से डरा और नफ़्स को ख़्वाहिश से रोका तो बेशक जन्नत ही उसका ठिकाना है ।*_
_*(📕 पारा 30 , सूरा - ए नाज़िआत , आयत 40 व 41 )*_
_*और फ़रमाता है :*_
_*📝तर्जमाः - और जो अपने रब के हुजूर खड़े होने से डरे उसके लिए दो जन्नतें हैं ।*_
_*📕 असबाक -ए- इबरत , सफा , 9/10/11*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
_*मुसन्निफ़ :✍🏻 मौलाना हाफ़िज़ तौहीद अह़मद खाँ रज़वी*_
No comments:
Post a Comment