_*📜अनवारे शरिअत (पोस्ट न. 27)*_
―――――――――――――――――――――
*﷽*
_*-इस्तिलाहाते शरीया का बयान-*_
_*❓सवाल : - फ़र्ज़ और वाजिब किसे कहते हैं ।*_
_*✍🏻जवाब : - फ़र्ज वह काम है कि उसको जान बूझकर छोड़ना सख्त गुनाह और जिस इबादत के अन्दर वह हो बगैर उसके वह इबादत दुरुस्त न हो ।*_
_*💫और वाजिब वह काम है कि उसको जान बूझकर छोड़ना गुनाह और नमाज़ में कस्दन छोड़ने से नमाज़ का दोबारा पढ़ना ज़रूरी और भूल कर छूट जाए तो सजदयेसह् व लाज़िम ।*_
_*❓सवाल : - सुन्नते मुअक्कदा और गैर मुअक्कदा किसे कहते हैं ।*_
_*✍🏻जवाब : - सुन्न्ते मुअक्कदा वह काम है कि जिस का छोड़ना बुरा और करना सवाब है और इत्तिफ़ाक़न छोड़ने पर अिताब और छोड़ने की आदत कर लेने पर मुस्तहिक्के अज़ाब ।*_
_*💫और सुन्नते गैर मुअक्कदा वह काम है कि उसका करना सवाब और न करना अगरचे आदतन हो अिताब नहीं मगर शरअन ना पसन्द हो ।*_
_*❓सवाल : - मुस्तहब और मुबाह किसे कहते हैं ।*_
_*✍🏻जवाब : - मुस्तहब वह काम है कि जिसका करना सवाब और न करने पर कुछ गुनाह नहीं ।*_
_*💫और मुबाह वह काम है कि जिसका करना और न करना बराबर हो ।*_
_*❓सवाल : - हराम और मकरूह तहरीमो किसे कहते हैं ।*_
_*✍🏻जवाब : - हराम वह काम है कि जिसका एक बार भी जान बूझ कर करना सख्त गुनाह है । और उससे बचना फ़र्ज़ और सवाब है ।*_
_*💫और मकरुह तहरीमी वह काम है कि जिसके करने से इबादत नाक़िस हो जाती है और करने वाला गुनाहगार होता है अगरचे उसका गुनाह हराम से कम है ।*_
_*❓सवाल : - मकरुह तंजीही और खिलाफे औला किसे कहते हैं ।*_
_*✍🏻जवाब : - मकरुह तंजीही वह काम है कि जिस का करना शरीअत को पसन्द न हो और उससे बचना बेहतर और सवाब हो ।*_
_*💫और खिलाफे औला वह काम है कि जिसका न करना बेहतर है और करने में कोई मुज़ाईका ( हर्ज ) और अिताब नहीं।*_
_*📕 अनवारे शरिअत, सफा 59/60/61*_
_*🤲🏻तालिबे दुआ-ए- मग़फिरत एडमिन*_
_*📮जारी रहेगा इंशाअल्लाह.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
No comments:
Post a Comment