_*📜अनवारे शरिअत (पोस्ट न. 42)*_
―――――――――――――――――――――
*﷽*
_*📍सजदये सह व का बयान*_
_*❓सवाल : - सजदये सह व किसे कहते हैं ।*_
_*✍🏻जवाब : - सह व के माना हैं भूलने के । कभी नमाज़ में भूल से कोई खास खराबी पैदा हो जाती है उस खराबी को दूर करने के लिए कादए अख़ीरा में दो सजदे किए जाते हैं इनको सजदये सह व कहते हैं ।*_
_*❓सवाल : - सजदये सह व का तरीका क्या है ।*_
_*✍🏻जवाब : - सजदये सह व का तरीका यह है कि आखिरी कादा ( बैठक ) में अत्तहीयतु व रसूलुहू तक पढ़ने के बाद सिर्फ दाहिनी तरफ़ सलाम फेर कर दो सजदे करे फिर तशहहुद वगैरा पढ़ कर सलाम फेर दे ।*_
_*❓सवाल : - किन बातों से सजदये सह व् वाजिब होता है ।*_
_*✍🏻जवाब : - जो बातें कि नमाज़ में वाजिब हैं उनमें से किसी एक के भूल कर छूट जाने से सजदये सह व् वाजिब होता है । जैसे फ़र्ज़ की पहली या दूसरी रक्अत में अलहम्दु या सूरत पढ़ना भूल गया या सुन्नत और नफ़्ल की किसी रक्अत में अलहम्दु या सूरत पढ़ना भूल गया या अलहम्दु से पहले सूरत पढ़ दी तो इन सूरतों में सजदये सह व् करना वाजिब होता है ।*_
_*❓सवाल : - फ़र्ज़ और सुन्नत के छूट जाने से सजदये सह व् वाजिब होता है या नहीं ।*_
_*✍🏻जवाब : - फ़र्ज़ छूट जाने से नमाज़ फ़ासिद हो जाती है । सजदये सह व् से उसकी तलाफ़ी नहीं हो सकती इसलिए फिर से पढ़ना पड़ेगा । और सुन्नत व मुसतहब जैसे तऔउज़ तसमिया , सना आमीन और तकबीरात इन्तिकाल के छूट जाने से सजदये सह व वाजिब नहीं होता बल्कि नमाज़ हो जाती है मगर दोबारा पढ़ना मुसतहब है ।*_
_*❓सवाल : - किसी वाजिब को क़सदन ( जान बूझकर ) छोड़ दिया तो सजदये सह व से तलाफ़ी होगी या नहीं ।*_
_*✍🏻जवाब : - किसी वाजिब को क़सदन ( जान बूझकर ) छोड़ दिया तो सजदये सह व् से उस नुक्सान की तलाफ़ी नहीं होगी बल्कि नमाज़ को दोबारा पढ़ना वाजिब होगा । इसी तरह अगर भूलकर किसी वाजिब को छोड़ दिया और सजदये सह व् न किया जब भी नमाज़ का दोबारा पढ़ना वाजिब है ।*_
_*❓सवाल : - एक नमाज़ में कई वाजिब छूट गए तो क्या हुक्म है ।*_
_*✍🏻जवाब : - इस सूरत में भी सह् व् के वही दो सजदे काफ़ी हैं ।*_
_*❓सवाल : - फ़र्ज़ या वित्र में कादये ऊला ( पहली बैठक ) भूल कर तीसरी रक्अत के लिए खड़ा हो रहा था कि याद आ गया तो इस सूरत में क्या करे ।*_
_*✍🏻जवाब : - अगर अभी सीधा नहीं खड़ा हुआ है तो बैठ जाए और सजदये सह् व् न करे । और अगर सीधा खड़ा हो गया तो न लौटे और आखिर में सजदये सह व् करे और अगर लौटा तो इस सूरत में भी सजदये सह व वाजिब होता है ।*_
_*📕 अनवारे शरिअत, सफा 86/87*_
_*📍 बाकी अगले पोस्ट में*_
_*📮जारी रहेगा इंशाअल्लाह.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
No comments:
Post a Comment