Monday, May 4, 2020


    _*📜अनवारे शरिअत (पोस्ट न. 43)*_
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                                 *﷽*

_*📍सजदये सह व का बयान*_

_*❓सवाल : - रुकू , सजदा या कादा में भूल कर कुरआन पढ़ दिया तो क्या हुक्म है ।*_

 _*✍🏻जवाब : - इस सूरत में भी सजदये सह व् वाजिब है ।*_

 _*❓सवाल : - अगर फ़र्ज़ का कादए अखीरा ( पिछली बैठक ) नहीं किया और भूल कर खड़ा हो गया तो क्या करे ।*_

 _*❓जवाब : - जब तक उस रक्अत का सजदा न किया हो लौट आए और अत्तहीयात पढ़ कर दाहिनी तरफ़ सलाम फेरे और सजदये सह व् करे । और अगर उस रक्अत का सजदा कर लिया तो सजदा से सर उठाते ही वह फ़र्ज़ नफ्ल हो गया इसलिए अगर चाहे तो अलावा मगरिब के दूसरी नमाज़ों में एक रक्अत और मिलाए ताकि रक्अत ताक़ न रहे ।*_

_*❓सवाल : - अगर सुन्नत और नफ्ल का कादा ( बैठक ) न किया और भूल कर खड़ा हो गया तो क्या करे ।*_

_*✍🏻जवाब : - सुन्नत और नफ्ल का हर कादा बैठक ) कादए अखीरा है यानी फर्ज है । अगर कादा न किया और भूल कर खड़ा हो गया तो जब तक उस रक्अत का सजदा न करे लौट आए और सजदये सह करे ।*_

 _*❓सवाल : - अगर कादए अखीरा ( पिछली बैठक ) में अत्तहीयातु व रसूलुहु तक पढ़ने के बाद भूल कर खड़ा हो गया तो क्या करे ।*_ 

_*✍🏻जवाब : - अगर बक़द्रे तशहहुद कादए अखीरा करने के बाद भूल कर खड़ा हो गया तो जब तक उस रक्अत का सजदा न किया हो लौट आए और दोबारा अत्तहीयात पढ़े बगैर सजदए सह् व् करे ! फिर तशहहुद वगैरा पढ़ कर सलाम फेर दे ।*_

_*❓सवाल : - कादयेऊला ( पहली बैठक ) में भूल कर दूरूद शरीफ़ भी पढ़ लिया तो क्या हुक्म है ।*_

_*✍🏻जवाब : - अगर “ अल्लाहुम्म सल्लि अलामुहम्मदिन " या " अल्लाहुम्म सल्लि अला सैयिदेना " तक पढ़ा या इस से ज़्यादा पढ़ा तो सजदए सह व् वाजिब है और अगर उससे कम पढ़ा तो नहीं । मगर यह हुक्म सिर्फ़ फ़र्ज , वित्र और जुहर व जुमा की पहली चार रक्अत वाली सुन्न्तों के लिए है रहे दीगर सुनन व नवाफिल तो उनके कादएऊला में भी दुरूद शरीफ पढ़ने का हुक्म ।*_

 _*❓सवाल : - जहरी नमाज़ में भूलकर आहिस्ता पढ़ दिया या सिर्री नामाज़ में जहर से पढ़ दिया तो क्या हुक्म है ।*_

 _*✍🏻जवाब : - अगर जहरी ( आवाज़ से पढ़ने वाली ) नमाज़ में इमाम ने भूल कर कम से कम एक आयत आहिस्ता पढ़ दी या सिरी यानी जिसमें किराअत आहिस्ता पढ़ी जाती है ऐसी नमाज़ में जह र से पढ़ दिया तो सजदए सह व् वाजिब है और अगर एक कलिमा पढ़ा तो मुआफ़ है और मुनफ़रिद ( अकेला नमाज़ पढ़ने वाला ने सिर्री नमाज़ में एक आयत जह र से पढ़ी तो सजदए सह व वाजिब है और जह र में आहिस्ता पढ़ी तो नहीं ।*_

_*❓सवाल : - किराअत वगैरा किसी मौका पर ठहर कर सोचने लगा तो क्या हुक्म है ।*_ 

_*✍🏻जवाब : - अगर एक रुक्न यानी तीन बार सुब्हानल्लाह कहने को मिकदार वक्फा ( ठहरना ) हुआ तो सजदए सह व वाजिब ।*_

_*❓सवाल : - जिस पर सजदए सह् व होना वाजिब था अगर सह व  होना याद न था और नमाज़ खत्म करने की नीयत से सलाम फेर दिया तो क्या करे ।*_

 _*✍🏻जवाब : - अगर सह व होना याद न था और सलाम फेर दिया तो अभी नमाज़ से बाहर नहीं हुआ इसलिए जब तक कलाम वगैरा कोई फेल ( कार्य ) मनाफीए नमाज़ ( जो नमाज़ को फ़ासिद करे ) न किया हो सजदा करे और फिर तशह हुद वगैरा पढ़ कर सलाम फेर दे ।*_


_*📕 अनवारे शरिअत, सफा 88/89/90*_

_*📮जारी रहेगा इंशाअल्लाह.....*_
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