_*📜अनवारे शरिअत (पोस्ट न. 41)*_
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*﷽*
_*-क़ज़ा नमाज़ का बयान-*_
_*❓सवाल : - अगर पांच या इससे कम नमाजै कज़ा हों तो उन्हें कब पढ़ना चाहिए ।*_
_*✍🏻जवाब . - जिस शख्स की पांच या उससे कम नमा कजा हों वह साहबे तरतीब है । उस पर लाज़िम है कि वक़्ती नमाज़ से पहले क़ज़ा नमाजो बित्ततरतीब पढ़े अगर वक़्त में गुंजाइश होते हुए वस्ती नमाज़ पहले पढ़ली तो न हुई इस मसला की मज़ीद तफ़सील बहारे शरीअत में देखनी चाहिए ।*_
_*❓सवाल . - अगर कोई नमाज़ क़ज़ा हो जाए जैसे फ़ज़्र की नमाज़ तो नीयत किस तरह करनी चाहिए ।*_
_*✍🏻जवाब : - जिस रोज़ और जिस वक़्त की नमाज़ क़ज़ा हो उस रोज़ और उस वक़्त की नीयत क़ज़ा में ज़रूरी है । जैसे अगर जुमा के रोज़ फ़ज़्र की नमाज़ क़ज़ा हो गई तो इस तरह नीयत करे । नीयत की मैने दो रक्अत नमाज़ क़ज़ा जुमा की फर्ज फज्र की अल्लाह त़आला के लिए मुंह मेरा काबा शरीफ के अल्लाहु अकबर इसी पर दुसरी कज़ा नामाजों की नीयतो को समझा लेना चाहिए।*_
_*❓सवाल : - अगर महीना दो महीना या दो साल की नमाज़ कजा हो जाए तो नीयत किस तरह करनी चाहिए ।*_
_*✍🏻जवाब : - ऐसी सूरत में जो नमाज़ जैसे जुहर की कज़ा पढ़नी है तो इस तरह नीयत करे । नीयत की मैंने चार रक्अत नमाज़ कज़ा जो मेरे ज़िम्मे बाकी है उनमे से पहले जुहर फर्ज की अल्लाह ताआला के लिए मुह मेरा तरफ़ काबा शरीफ के अल्लाहु अकबर । और मगरिब की पढ़नी हो तो यूं नीयत करे नीयत की मैंने तीन रकअत नमाज़ क़ज़ा जो मेरे ज़िम्मे बाकी है उनमें से पहले मगरिब फ़र्ज़ की अल्लाह तआला के लिए मुंह मेरा तरफ़ काबा शरीफ़ के अल्लाहु अकबर । इसी तरीके पर दूसरी कज़ा नमाज़ों की नीयतों को समझना चाहिए ।*_
_*❓सवाल : - क्या क़ज़ा नमाज़ों की रक्अतें भी खाली और भरी यानी बगैर सूरत और सूरत के साथ पढ़ी जाती है ।*_
_*✍🏻जवाब : - हां जो रकअतें अदा में सूरत के साथ पढ़ी जाती हैं वह क़ज़ा में भी सूरत के साथ पढ़ी जाती हैं और जो रक्अते अदा में बगैर सूरत के पढ़ी जाती है वह कजा में भी बगैर सूरत के पढ़ी जाती हैं ।*_
_*❓सवाल : - बाज़ लोग शबे कद्र या रमजान के आखिरी जुमा को कजाए उम्री के नाम से दो या चार रक्अत पढ़ते हैं और यह समझते हैं कि उम्र भर की कजा इसी एक नमाज़ से अदा हो गई तो उसके लिए क्या हुक्म है ।*_
_*✍🏻जवाब : - यह ख्याल बातिल है । तावक़्ते कि हर एक नमाज़ की कज़ा अलग अलग न पढ़ेंगे तो छुटकारा न पाएंगे ।*_
_*📕 अनवारे शरिअत, सफा 84/85*_
_*📮जारी रहेगा इंशाअल्लाह.....*_
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