Monday, May 4, 2020



    _*📜अनवारे शरिअत (पोस्ट न. 40)*_
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                                 *﷽*

_*-क़ज़ा नमाज़ का बयान-*_

 _*सवाल : - अदा और कज़ा किसे कहते हैं ।*_

_*✍🏻जवाब : - किसी इबादत को उसके वक़्ते मुकर्ररह पर करने को अदा करते हैं और वक़्त गुज़र जाने के बाद अमल करने को कज़ा कहते हैं ।*_

_*❓सवाल : - किन नमाज़ों की कज़ा ज़रूरी है ।*_

_*✍🏻जवाब : - फर्ज नमाज़ों की कज़ा फ़र्ज़ है , वित्र की कज़ा वाजिब है और फ़ज्र की सुन्नत अगर फर्ज के साथ क़ज़ा हो और ज़वाल से पहले पढ़े तो फर्ज के साथ सुन्नत भी पढ़े और जवाल के बाद पढ़े तो सुन्नत की क़ज़ा नहीं और जुहर वा जुमा के पहले की सुन्नतें कज़ा हो गई और फ़र्ज़ पढ़ली अगर वक़्त खत्म हो गया हो तोइन सुन्नतों की कज़ा नहीं और अगर वक़्त बाक़ी है तो पढ़ें और अफ़ज़ल यह है कि पिछली सुन्नतें पढ़ने के बाद उनको पढ़े ।*_

_*❓सवाल : - छूटी हुई नमाज़ किस वक़्त पढ़नी चाहिए ।*_ 

_*✍🏻जवाब : - छ : ( 6 ) या उससे ज्यादा छूटी हुई नमाजें पढ़ने के लिए कोई वक़्त मुकर्रर नहीं है हां जल्द पढ़ना चाहिए ताखीर देरी ) नहीं करना चाहिए और उम्र में जब भी पढ़ेगा छुटकारा पा जायेगा लेकिन सूरज निकलने सूरज डूबने और ज़वाल के वक्त क़ज़ा नमाज़ पढ़ना जाइज़ नहीं ।*_



_*📕 अनवारे शरिअत, सफा 83/84*_
 
_*📍बाक़ी अगले पोस्ट में*_

_*📮जारी रहेगा इंशाअल्लाह.....*_
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