_*📜अनवारे शरिअत (पोस्ट न. 48)*_
―――――――――――――――――――――
*﷽*
_*💫जुमा का बयान*_
_*❓सवाल : - जुमा जाइज़ होने की दूसरी शर्त क्या हैं ।*_
_*✍🏻जवाब : - दूसरी शर्त यह है कि बादशाह या उसका नायब जुमा कायम करे । और अगर इस्लामी हुकूमत न हो तो सबसे बड़ा सुन्नी सही अकीदा रखने वाला आलिम काइम करे कि बगैर उसाकी इजाज़त के जुमा नहीं कायम हो सकता । और अगर यह भी न हो तो आम लोग जिस को इमाम बनाएं वह कायम करे ।*_
_*❓सवाल : - जुमा जाइज़ होने की तीसरी और चौथी शर्त क्या है ।*_
_*✍🏻जवाब : - तीसरी शर्त जुहर के वक़्त का होना है इसलिए वक़्त से पहले या बाद में पढ़ी न हुई या दरमियाने नमाज़ में अस्र का वक़्त आ गया जुमा बातिल हो गया जुहर की क़ज़ा पढ़े । और चौथी शर्त यह है कि जुहर के वक़्त में नमाज़ से पहले खुतबा हो जाये।*_
_*❓सवाल : - जुमा के खुतबा में कितनी बातें सुन्नत हैं ।*_
_*✍🏻जवाब : - उन्नीस ( 19 ) बातें सुन्नत हैं खुतबा पढ़ने वाले का पाक होना , खड़े होकर खुतबा पढ़ना , खुतबा से पहले खुतबा पढ़ने वाले का बैठना खुतबा पढ़ने वाले का मिमबर पर होना , और सुनने वालों की तरफ़ मुंह और किबला की तरफ़ पीठ होना , हाज़िर रहने वालों का खुतबा पढ़ने वाले की तरफ़ मुतवज्जेह होना , खुतबा से पहले अऊजु बिल्ला आहिस्ता पढ़ना , इतनी बुलन्द आवाज़ से खुतबा पढ़ना कि लोग सुनें । लफ़्ज़ अलहम्दु से शुरू करना , अल्लाह तआला की सना करना , अल्लाह तआला की वहदानीयत ( इकताई ) और हुजूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम की रिसालत की गवाही देना , हुजूर पर दुरूद भेजना , कम से कम एक आयत की तिलावत करना , पहले खुतबा में वाज व नसीहत होना , दूसरे में हम्द व सना , शहादत और दुरुद का इआदा करना , दूसरे में मुसलमानों के लिए दुआ करना , दोनों खुतबों का हल्का होना , और दोनों खुतबों के बीच तीन आयत की मिकदार बैठना ।*_
_*❓सवाल : - उर्दू में खुतबा पढ़ना कैसा है ।*_
_*✍🏻जवाब : - अरबी के अलावा किसी दूसरी जबान में पूरा खुतबा पढ़ना या अरबी के साथ किसी दूसरी ज़बान को मिलाना दोनों बातें सुन्नते मुतावारिसा के खिलाफ़ और मकरूह हैं ।*_
_*❓सवाल : - खुतबा की अज़ान इमाम के सामने मस्जिद के अन्दर पढ़ना सुन्नत है या बाहर ।*_
_*✍🏻जवाब : - खुतबा की अज़ान इमाम के समाने मस्जिद के बाहर पढ़ना सुन्नत है कि हुजूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम और सहाबयकिराम के जमाना में खुतबा पढ़ने वाले के सामने मस्जिद के दरवाज़ा ही पर हुआ करती थी जैसा कि हदीस की मशहूर किताब अबूदाऊद जिल्द अव्वल सफा 162 में है कि हज़रते साइब यजीद रदीयाल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है उन्होंने फ़रमाया कि जब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम जुमा के रोज़ मिमबर पर तशरीफ़ रखते तो हुजूर के सामने मस्जिद के दरवाजे पर अज़ान होती और ऐसा ही हज़रते अबू बक्र उमर रज़ियल्लाहु अनहुमा के ज़माने में ।*_
_*💫इसी लिए फ़तावा काज़ी खां , आलम गीरी , बहरुर्राइक और फ़तहु - ल क़दीर वगैरा में मस्जिद के अन्दर अज़ान देने को मना फ़रमाया और तहतावी अलामराक़िल फलाह ने मकरूह लिखा ।*_
_*❓सवाल : - जुमा जाइज़ होने की पांचवी और छठी शर्त क्या है ।*_
_*✍🏻जवाब : - पांचवी शर्त जमाअत का होना है जिसके लिए इमाम के अलावा कम से कम तीन मर्द का होना जुरूरी है । और छठी शर्त इज़्नेआम है इसका मतलब यह है कि मस्जिद का दरवाज़ा खोल दिया जाए ताकि जिस मुसलमान का जी चाहे आये किसी की रोक टोक न हो ।*_
_*📕 अनवारे शरिअत, सफा 99/100/101/102*_
_*📮जारी रहेगा इंशाअल्लाह.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
No comments:
Post a Comment