Wednesday, December 26, 2018



     _*सरकार गौसे पाक का बयान (पार्ट- 01)*_
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_*📖सवाल- हजरत गौसुल आजम दस्तगीर रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि के वलिदे ग्रामी का इस्मे ग्रामी बताईये?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत मूसा अबू सालेह जंगी दोस्त रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि।*_

_*📕 सुन्नी काइज़ सरकार गौसे आज़म*_

_*📖सवाल- सरकार गौसे पाक रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि के नाना का इसमें ग्रामी बताईये?*_
 
_*✍🏻जवाब- हजरत अब्दुल्लाह सुमई रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि।*_

_*📕 सुन्नी काइज़ सरकार गौसे आज़म*_

_*📖सवाल- सरकार गौसे पाक रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि की वालिदा का इस्मे ग्रामी बताईये?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत फातेमा सानी उम्मुल खैर रहमतुल्लाह तआला अलैहि।*_

_*📕 सुन्नी काइज़ सरकार गौसे आज़म*_

_*📖सवाल- सरकार गौसे पाक रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि की हयाते पाक में बग़दाद के खलीफा कौन लोग हये?*_

_*✍🏻जवाब- अल कादिर बिल्लाह अबुल आस, अल काइम बिअमरिल्लाह अबू जअफर अब्बासी।*_

_*📕 सुन्नी काइज़ सरकार गौसे आज़म*_

_*📖सवाल- सरकार गौसे पाक रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि का अस्ल नाम बताइये?*_

_*✍🏻जवाब- सय्यदुना शैख अब्दुल कादिर मुहय्युह्दीन जीलानी रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि।*_

_*📕 सुन्नी काइज़ सरकार गौसे आज़म*_

_*📖सवाल- सरकार गौसे पाक के वालिद का अस्ल नाम क्या है?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत मूसा रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि।*_

_*📕 सुन्नी काइज़ सरकार गौसे आज़म*_

_*📖सवाल- सरकार गौसे पाक रहमतुल्लाह अलैह के वलिदे ग्रामी की कुन्नियत क्या थी?*_

_*✍🏻जवाब- अबू सलेम।*_

_*📕 सुन्नी काइज़ सरकार गौसे आज़म*_

_*📖सवाल- सरकार गौसे पाक रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि की विलादत कब हुई?*_

_*✍🏻जवाब- यकुम रमजानुल मुबारक बरोज़ जुमा 470 हिजरी को।*_

_*📕 सुन्नी काइज़ सरकार गौसे आज़म*_

_*📖सवाल- उस अजीम हस्ती का इस्मे ग्रामी बताइये जिन्हों ने बिस्मिल्लाह ख्वानी के मौका पर उस्ताद को मुकम्मल 17 पारे सुना दिये?*_

_*✍🏻जवाब- शैख अब्दुल कादिर जीलानी रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि।*_

_*📕 सुन्नी काइज़ सरकार गौसे आज़म*_

_*📖सवाल- शैख अब्दुल कादिर जीलानी रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि का रौजा कहाँ वाके है?*_

_*✍🏻जवाब- बगदाद शरीफ"इराक"में।*_

_*📕 सुन्नी काइज़ सरकार गौसे आज़म*_

_*📖सवाल- सरकार गौसे पाक रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि किस लकब से मशहूर है?*_

_*✍🏻जवाब- गौसुल आजम, पीराने पीर, मुहय्युह्दीन, महबूब सुबहानी, बड़े पीर, दस्तगीर रोशन जमीर वगैरह से।*_

_*📕 सुन्नी काइज़ सरकार गौसे आज़म*_

_*📖सवाल- फुतूहुल कुलूब गुनिय्यतुत्तलिबीन किस की तसनीफ है?*_

_*✍🏻जवाब- हुजूर गौसे पाक रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि की।*_

_*📕 सुन्नी काइज़ सरकार गौसे आज़म*_

_*📖सवाल- फिकह में ज्यादह तर्जुमानी किस इमाम की जानिब थी?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत इमाम अहमद बिन हंबल रहमतुल्लाह त‌आलख अलैहि की तरफ आप मसलके हंबली मुकल्लिद थे।*_

_*📕 सुन्नी काइज़ सरकार गौसे आज़म*_

_*📮जारी रहेगा......*_
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     _*सरकार गौसे पाक का बयान (पार्ट- 02)*_
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_*📖सवाल- पीराने पीर ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि के मुरिदों को कौनसी बशारत मिली है?*_

_*✍🏻जवाब- हज़रत सुहैल बिन अब्दुल्लाह तुसतरी रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि से मनकूल है कि एक दिन सरकार ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि बग़दाद वालों की नज़र से ग़ायब हो ग‌ए जब लोगों ने तलाश किया तो आपको दरयाए दजला के किनारे पाया तो देखा कि मछलियां ब-कसरत आप की खिदमत में आती हैं और दसते मुबारक को बोसा देती है उसी असना में ज़ोहर का वक़्त हो गया एक मुसल्ला हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम के तख्त की तरह हवा में मुअल्लक हो कर बिछ गया और बहुत से नूरानी शक़्ल के लोग आये और मुहल्ले पर सफ़ में खड़े हो गए और सरकार बड़े पीर दस्तागीर रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि मुसल्ला पर आगे तशरीफ़ ले गए और नमाज़ पढ़ाई उस वक़्त अज़ीब व ग़रीब समां था जब हुज़ूर ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि तस्बीह पढ़ते तो सातों आसमान के फ़रिश्ते भी आप के साथ तस्बीह पढ़ते जब हुज़ूर ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि ने दोनों हाथों को दुआ के लिए बारगाहे रब्बुल आलमीन में उठाकर अर्ज किया ऐ अल्लाह में तेरी बारगाहे बेनियाजी में तेरे प्यार महबूब हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु त‌आला अलैहि वसल्लम के वसीले से तालिब हूं और दुआ करता हूं कि तू मेरे मुरीदों को और मेरे मुरीदों के मुरीदों को सुबह क़यामत तक मौत न दे मगर पर यानी मेरे मुरीदों पर खातमा नसीब फरमा हज़रत सुहैल रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि फरमाते है कि हमने आपकी मुबारक दुआ पर फ़रिश्तों कि एक बहुत बड़ी जमाअत को आमीन कहते हुए सुना जब हुज़ूर ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि दुआ पुरी कर चुके तो हमने ग़ैब से एक निदा सुनी कि ऐ अब्दुल कादिर जीलानी मेरे महबूब सुबहानी तुमको बशारत हो खुशखबरी हो कि हमने आपकी दुआ क़ुबूल फ़रमा ली।*_

_*📕 तलख़ीस बहुजतुल असरार सफ़्हा 269*_

_*📖सवाल-हुज़ूर ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि और शैतान का वकिया क्या है?*_

_*✍🏻जवाब- आपके फ़रज़न्द श़ैख मूसा रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि का बयान है कि आपने अपनी सयाहत के दौरान एक मर्तबा किसी ऐसे जंगल में चले गये जहां पानी का नामो निशान तक न था क‌ई दिन आप पर प्यास का सख़्त ग़लबा रहा अचानक एक दिन आपके सरे मुबारक पर बादल का टुकड़ा आ गया और बारिश होने लगी जिससे आप खुब सैराब हो ग‌ए फिर उस बादल से एक रौशनी ज़ाहिर हुई उसने पुकार कर कहा ऐ अब्दुल कादिर में तुम्हारा रब हूं मैं ने तुमपर तमाम हराम चीज़ो को तुम पर हलाल कर दिया यह आवाज़ सुनकर मेरे प्यारे आका हुज़ूर ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि ने" अऊज़ु बिल्लाहि मिनश्शैतानिर्रजीम" पड़ा और फ़रमाया ऐ मरदूद तू दूर होजा और वह रौशनी गायब हो गई और वह सूरत धुएं की तरह फ़ैल गई फिर उससे आवाज़ आई ऐ अब्दुल कादिर आज तुम अपने इल्म कि खातिर मेरे फ़रेब से बच गये वर्ना इसके पहले इसी मैदान में 70 औलियाए तरीक़त को मैं ग़ुमराह कर के उन की विलायत को ग़ारत व बरबाद कर चुका हूं हुज़ूर ग़ौसे आज़म रहमतुल्लाह त‌आला अलैहि ने फ़रमाया ऐ शैतान मेरा इल्म भला क्या बचा सकता है जब तेरा इल्म तुझको नहीं बचा सका ऐ शैतान मरदूद खुब गौर से सुन ले मेरे इल्म ने नहीं बल्कि मेरे रब के फ़ज़्ल व करम ने मुझे तेरे शर से बचा लिया।*_

_*📕 क़लाइदुल जवाहिर सफ़्हा 20*_

_*तुझसे दर दर से संग और संग से है मुझको निसबत*_
_*मेरी गर्दन में भी है दुर का डोरा तेरा।*_

_*इस निशानी के जो संग है नहीं मारे जाते*_
_*हश्र तक मेरे गले में रहे पट्टा तेरा।*_

_*📮पोस्ट खत्म......*_
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Saturday, December 22, 2018



   _*औरतों की मजारात पर हाजिरी देना कैसा*_
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_*📖सवाल - इस्लामी बहने कब्रिस्तान या मजाराते औलिया पर जा सकती है या नही..?*_

_*✍🏻जवाब - औरतो के लिए बाज उलमा मे जियारते कुबुर को जाईज बताया दुर्रे मुख्तार मे यही कौल इख्तियार किया*_

_*मगर अजीजो की कुबुर पर जाएगी तो जजअ व फजअ यानी रोना पीटना करेगी लिहाजा मना है*_

_*सालिहीन की कुबुर पर बरकत के लिए जाए तो बुढीयो के लिए हर्ज नही और जवानो के लिए मना*_

_*📕 दुर्रे मुख्तार जिल्द-3, सफा-178*_

_*अल्लामा मुफ्ती मुहम्मद अमजद अली आजमी अलैही रहमतुल्लाह फरमाते है :*_

_*और अस्लम यानी सलामती का रास्ता यह है कि औरते मुत्लकन मना की जाए कि अपनो की कुबुर की जियारत मे तो वह जजअ व फजअ यानी रोना पीटना है*_

_*और सालिहीन की कुबुर पर या ताजीम मे हद से गुजर जाएगी या बे अदबी करेगी तो औरतो मे यह दोनो बाते कसरत से पाई जाती है*_

_*📕 बहारे शरीअत, जिल्द अव्वल, सफा 849*_

_*मेरे आला हजरत अजीमुल बरकत मुजदद्दीदे दीनो मिल्लत ने औरतो को मजारात पर जाने की जाब जा बजा मुमा न अत फरमाई चुनान्चे*_

_*एक मकाम पर फरमाते है इमाम काजी रहमतूल्लाह तआला अलैही से इस्तिफ्ता सवाल हुआ कि*_

_*औरतो का मकबिर को जाना जाईज है या नही..!*_

_*तो आप ने फरमाया ऐसी जगह जवाजे व आदमे जवाज यानी जाईज व ना जाईज का नही पुछते यह पुछो कि*_

_*📍औरत पर कितनी लानत पडती है*_

_*जब घर से कुबुर की तरफ चलने का इरादा करती है अल्लाह तआला और फरिश्तो की लानत होती है*_

_*जब घर से बाहर निकलती है सब तरफो से शैतान उसे घेर लेते है*_

_*जब कब्र तक पहुचती है मय्यत की रूह उस पर लानत करती है जब तक वापस आती है अल्लाह तआला की लानत मे होती है.!*_

_*📕 फतावा रजविया, जिल्द 9, सफा 557*_

_*🕋अल्लाह तआला हमारे माँ बहनो को इन सब बातों पर अमल करने की तौफिक बख्शे..!*_
_*🌹आमीन सुम्मा आमीन*_
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Friday, December 21, 2018

_*📚 HADEES E MUSTAFA ﷺ*_

_*💫ilm E Deen Chupane Wale Par Har Chiz Lanat Karti Hai*_

_*Hazrat E Abu Hurairah (Radiallahu Ta'ala Anhu) Se Riwayat Hai :*_

_*🌹Huzoor Nabi E Kareem (Sallallahu Ta'ala Alaihi Wasallam) Ne Irsad Farmaya Jis Sakhs Se ilm Ki O Baat Puchi Gai Jo O Janta Ho Fir O Usko Chupaye Yani Naa Bataye To Qayamat Ke Deen Uske Mooh Me Aag Ki Lagam Lagai Jayegi.*_

_*📕 Miskat Sarif, Safa No-34*_

_*📚 HADEES E MUSTAFA ﷺ*_

_*Hazrat E Abu Sayeed Khudri (Radiallahu Ta'ala Anhu) Se Riwayat Hai :*_

_*Huzoor Nabi E Kareem (Sallallahu Ta'ala Alaihi Wasallam) Ne Irsad Farmaya ilm E Deen Chupane Wale Par Har Chiz Lanat Karti Hai Yaha Tak Ke Machli (Fish) Pani Me Aur Chidiya (Birds) Hawa Me.*_

_*📕 Kanzul Umaal, Jild -10, Safa No-109*_

_*📚 HADEES E MUSTAFA ﷺ*_

_*Hazrat E Ibn E Masood (Radiallahu Ta'ala Anhu) Se Riwayat Hai :*_

_*Huzoor Nabi E Kareem (Sallallahu Ta'ala Alaihi Wasallam) Ne Irsad Farmaya Jis Sakhs Ko Allah ﷻ Ne ilm Diya Aur O Usko Chupaye To Allah ﷻ Qayamat Ke Deen Uske Mooh Me Aag Ki Lagam Lagayega.*_

_*📕 Kanzul Umaal, Jild -10, Safa No -109*_
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_*ILM-E-DEEN SIKHNE AUR SIKHANE KI FAZILATE*_
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_*🌹Hazrate Abdullah ibne Abbas Radiallahu Anhu Se Marwi Hai. "Jo Shaks Meri Ummat Tak Koi Islami Baat Pahunchaye Taki Usse Sunnat Kayam Ki Jaye Ya Usse Bad Mazhabi Door Ki Jaye. To Wo Jannati Hai.*_

_*📕 Kanzul Umaal Ibne isakar*_
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Thursday, December 13, 2018



        _*📸 जानदार की तस्वीर हराम है 📸*_
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_📌 एक बार पढ़ लीजिये अल्लाह और रसुले पाक का हुक्म यानी शरीयत का हुक्म सिर्फ मोमीनो के लिए है_

       _*📷 🔥तस्वीर की हुरमत का बयान*_

_*हदीस पाक 👉🏻 हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया :-*_

_*📷 हर तस्वीर बनाने वाला जहन्नमी है अल्लाह तआला हर एक तस्वीर (Photo) के बदले जो उसनें बनाईं है।*_

_*एक मखलूक पैदा करता है कि वो  उसको दोजख में अजाब दे।*_

_*📕 सही मुस्लिम*_

_*हदीस 👉🏻 हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फरमाया कयामत में सबसे ज्यादा अजाब तस्वीर (Photo) बनाने वाले को होगा।*_

_*📕 सही बुखारी, सही मुस्लिम*_

_*हदीस 👉🏻 हुज़ूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया :- तस्वीर बनाने वाले को (Photographar) को अजाब होगा उस वक्त तक कि वो अपने बनाये हुए फोटो में रूह न फूंक दे और ये उसके बस की बात नहीं।*_

_*📕 सही बुखारी*_

_*हदीस 👉🏻 हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया:- कयामत में दोजख से एक गर्दन निकलेगी जिस की 2 आँखें जिनसे वो देखेगी और 2 कान होंगे जिनसे वो  सुनेगी और एक जबान होगी जिनसे बोलेगी वो कहेगी मैं 3 शख्स पर  मुसल्लत (भारी) होगी।*_
_*1 :- मुशरीक*_
_*2 :- सरकश*_
_*3 :- तस्वीर बनाने वाला Photographar*_

_*📕 सूनन तीरमीजी*_

_*कयामत के दिन अल्लाह तआला की बारगाह में सबसे ज्यादा सख्त तरीन अजाब उन तस्वीर बनाने वालों पर है जो खुदा के बनाएं हुए कि नकल करें।*_

_*📕 बुखारी शरीफ*_

_*हजरत  अब्बास रदीयल्लाहो अन्हु ने फरमाया:-" कि अगर तुम्हारे लिए ऐसा करना जरूरी हो जाए तो शजर व हजर जैसी शक्ल बनाओं*_
_*जिसमें रूह ओर जान न हो।*_

_*📕 मिशकात शरीफ-बाबे तस्वीर फस्ले अव्वल*_

_*हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने ईरशाद फरमाया :-जिस घर में कुत्ता और तस्वीर (जानदार) हो, उस घर में रहमत के फरिश्ते दाखिल नहीं होते।*_

_*📕 फतवाए रजवीया जिल्द 9 सफा 143*_

_*फिर है कि अहदीस इस बारे में ततवीर पर है की जिसका कसदन इनकार करने वाला कमसकम गुमराह बद दीन है।*_

_*ताजदारे अम्बीया सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम ने ईरशाद फरमाया :-*_

_*गिरजाघर में न जाओ कि वहां तस्वीर होती है और जो तस्वीर बनाते है वो बदतरीन मखलूक है।*_

_*📕 बुखारी शरीफ जिल्द1,सफा 62,मुस्लिम1/201,*_
_*📕 फतवाए रजवीया 8/146*_

_*📝नोट 👉🏻 मेरे अजिज दोस्तों इन हदीसे पाक कृ पङने के बाद उन लोगों को सोचना चाहिए जो अपनी प्रोफाइल में अपनी खुद की या किसी जानदार की फोटो रखते है।*_

_*📜मकसद : सिर्फ और सिर्फ इसलाह की है,, किसी का दिल दुखा हो तो माफ करना।*_
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_*🕋अल्लाह के नबीयों और वलीयों के मज़ार पर जाना और उनसे मदद मांगना क़ुरआन व हदीस से साबित है*_

_*दोस्तो ​किसी भी नबी और वली की क़ब्र पर इमारत बना देना ही मज़ार कहलाता है,*_

_*​मज़ार बनाना​👇🏻*_

_*🕋अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता है तर्जमा👇🏻*_

_*1) तो बोले उनकी ग़ार पर इमारत बनाओ उनका रब उन्हें खूब जानता है वह बोले जो इस काम मे ग़ालिब रहे थे क़सम है कि हम तो उन पर मस्जिद बनायेंगे*_

_*📕 पारा 15, सूरह कहफ, आयत 21*_

_*📖तफसीर : असहाबे कहफ 7 मर्द ए मोमिन हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की उम्मत के लोग थे बादशाह दक़्यानूस के ज़ुल्म से तंग आकर ये एक ग़ार मे जाकर छिप गये जहां ये 300 साल तक सोते रहे 300 साल के बाद जब ये सोकर उठे और खाने की तलाश में बाहर निकले तो उनके पास पुराने सिक्के देखकर दुकानदारों ने उन्हें सिपाहियों को दे दिया उस वक़्त का बादशाह बैदरूस नेक और मोमिन था जब उस को ये ख़बर मिली तो वो उनके साथ ग़ार तक गया और बाक़ी तमाम लोगो से भी मिला असहाबे कहफ सबसे मिलकर फिर उसी ग़ार मे सो गये जहां वो आज तक सो रहें हैं हर साल दसवीं मुहर्रम को करवट बदलते हैं और हज़रत इमाम मेंहदी रज़िअल्लाहु तआला अन्ह के दौर मे उठेंगे और आपके साथ मिलकर जिहाद करेंगे बादशाह ने उसी ग़ार पर इमारत बनवाई और हर साल उसी दिन उसी तारीख़ में वहां तमाम लोगों को जाने का हुक्म दिया*_

_*📕 तफसीर ए खज़ाइनुल इर्फान,सफह 354*_

_*इस आयत और तफ़सीर से मालूम हुआ के बुज़ुर्गों यानी अल्लाह के वलीयों की मज़ार के करीब मस्जिद बनाना अहले ईमान का क़दीम (पुराना) तरीक़ा है और क़ुरआन ए करीम में इसका ज़िक्र फ़रमाना और उसको मना न करना इस फ़ैल (काम) के दुरुस्त होने की क़वी तरीन (पावरफुल) दलील है,*_

_*इससे ये भी मालूम हुआ के बुज़ुर्गों के जवार (क़रीब) में बरकत हासिल होती है इसीलिए अहले अल्लाह के मज़ारात पर लोग हुसूले बरकत के लिए जाया करते हैं और इसीलिए क़बरों की ज़ियारत सुन्नत और मोजिबे सवाब है,*_

_*​मज़ार पर जाना​👇🏻*_

_*2) हदीस शरीफ़ - हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसललम इरशाद फरमाते हैं कि*_

_*मैंने तुम लोगों को क़ब्रों की ज़ियारत से मना किया था अब मैं तुम को इजाज़त देता हूं कि क़ब्रों की ज़ियारत किया करो,*_

_*📕 मुस्लिम, जिल्द 1, हदीस नं. 2158*_

_*3). हदीस शरीफ़ - खुद हुज़ूर सल्लललाहू तआला अलैही वसल्लम हर साल शुहदा ए उहद की क़ब्रो पर तशरीफ़ ले जाते थे और आपके बाद तमाम खुल्फा का भी यही अमल रहा,*_

_*📕 शामी, जिल्द 1, सफह 604*_
_*📕 मदारिजुन नुबुव्वत, जिल्द 2, सफह 135*_

_*दोस्तो ​जब हमारे आक़ा अलैहिस्सलाम अपने उम्मती की क़ब्र पर जा सकते हैं तो फिर हम उम्मती अपने नबी या किसी वली की क़ब्र पर क्यों नहीं जा सकते, ज़रूर जा सकते हैं,*_

_*​मज़ार पर हाज़िरी​👇🏻*_

_*4). मसअला - आलाहज़रत अज़ीमुल बरकत फरमाते हैं कि साहिबे मज़ार के पांव की जानिब से दाखिल हो और मज़ार से 4 हाथ पीछे हटकर खड़ा हो हाथ बांधकर जो कुछ सही अदायगी से पढ़ सकता हो पढ़े और उसका सवाब तमाम अम्बिया व औलिया सिद्दिक़ीन व सालेहीन व साहिबे मज़ार और तमाम मुसलमान मुर्दों को बख्शे और इसी तरह वापस निकल आये, ना तो मज़ार को हाथ लगाये और ना चादर चूमे लेकिन अगर कोई चूम भी लेता है तो ये कोई नाजाइज़ और हराम भी नहीं है, और मज़ार पर औरतों का जाना बिल्कुल नाजाइज़ और हराम है बल्कि फरमाते हैं कि जब तक वो औरत अपने घर वापस नहीं आ जाती तब तक अल्लाह और उसके फरिश्ते और साहिबे मज़ार सब की लानत में गिरफ्तार रहती है*_

_*📕 अलमलफूज़, हिस्सा 2, सफह 107*_

_*मज़ार पर हाज़िर होकर मांगने का 3 तरीका है पहला ये कि मौला तआला की बारगाह में युं अर्ज़ करे के ऐ मौला मैं तुझसे इस वली के सदक़े में फलां हाजत (ज़रूरत) तलब करता हूं मेरी हाजत पूरी फरमा दूसरा ये के साहिबे मज़ार से युं अर्ज़ करे के ऐ अल्लाह के मुक़द्दस बन्दे मेरी फलां इल्तिजा रब की बारगाह में पेश कर दीजिये कि मेरी हाजत पूरी फरमा दे और तीसरा तरीक़ा वो है जिस पर बन्दे का अमल है वो ये कि सीधे सीधे साहिबे मज़ार की बारगाह में युं इस्तेगासा पेश करे और कहे कि ऐ अल्लाह के वली मेरी फलां हाजत पूरी फरमाइये ऐसा इसलिए क्योंकि अल्लाह ने अपने वलियों को पूरी क़ुदरत अता फ़रमाई है वो जिसे जो चाहें अता कर सकते हैं, और अगर डायरेक्ट वली से मांगने की बात किसी को हज़म नहीं हो रही हो तो वो इस मिसाल से समझ ले, मान लीजिये कि आपको 10,000 रू रूपये की ज़रूरत है आप अपने अब्बा के पास पहुंचे और युं कहें कि ऐ मौला मुझे 10,000 रू की ज़रूरत है मेरे बाप से मुझे 10,000 दिलवादे या फिर युं कहें कि ऐ अब्बा मुझे 10,000 रू की ज़रूरत है आप रब से दुआ कर दीजिए कि मुझे 10,000 रू अता कर दिया जाए या फिर युं कहें कि ऐ अब्बा मुझे फलां काम आ गया है मुझे 10,000 रू चाहिए,*_

_*ख्याल रहे कि अगर वली गैरुल्लाह हैं और गैरुल्लाह से कुछ मांगना शिर्क है तो फिर अपने बाप से मां से भाई बहन से दोस्तों अज़ीज़ों से भी डायरेक्ट मांगना शिर्क होना चाहिए क्योंकि वो भी गैरुल्लाह हैं या फिर वहाबी देवबंदी अपने अज़ीज़ो अक़ारिब को खुदा समझकर अपनी ज़रूरत की चीज़ें मांगता होगा जब ही तो उनसे मांगना उनके नज़दीक शिर्क नहीं और नबी और वली से मांगना शिर्क है और अगर ये शिर्क नहीं है तो फिर नबी और वली से मांगना भी शिर्क नहीं है, क्योंके नबी और वली अपनी क़बरों में ज़िन्दा हैं,*_

_*इसीलिए आलाहज़रत फ़रमाते हैं👇🏻*_

_*🌹तू ज़िन्दा है वल्लाह तू ज़िन्दा है वल्लाह*_
_*मेरे चश्मे आलम से छुप जाने वाले 🌹*_

_*वलियों से डायरेक्ट मांगने की बहुत सारी रिवायतें मौजूद हैं इन्शा अल्लाहुर्रहमान फिर कभी मौक़ा मिलने पर सुबूत पेश किए जाएंगे,*_

_*​मज़ार पर चादर चढ़ाना​👇🏻*_

_*5) हदीस शरीफ़ - हुज़ूर सल्लललाहू तआला अलैहि वसल्लम की मज़ारे अक़दस पर सुर्ख यानि लाल रंग की चादर डाली गई थी*_

_*📕  सही मुस्लिम, जिल्द 1, सफह 677*_

_*6) हदीस शरीफ़ - हुज़ूर सल्लललाहू तआला अलैहि वसल्लम एक जनाज़े मे शामिल हुए बाद नमाज़ ए जनाज़ा व दफ़न एक कपड़ा मांगा और उसकी क़ब्र पर डाल दिया*_

_*📕 तफसीरे क़ुर्बती, जिल्द 1, सफह 26*_

_*​मज़ार पर फूल डालना​👇🏻*_

_*7) हदीस शरीफ़ - हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम का गुज़र दो क़ब्रो के क़रीब से हुआ तो आपने फरमाया कि इन दोनों पर अज़ाब हो रहा है और किसी बड़े गुनाह की वजह से नहीं बल्कि मामूली गुनाह की वजह से, एक तो पेशाब की छींटों से नहीं बचता था और दूसरा चुगली करता था, फिर आपने एक तर शाख🌿 तोड़ी और आधी आधी करके दोनो क़ब्रों पर रख दी और फरमाया कि जब तक ये शाख तर रहेंगी तस्बीह करती रहेंगी जिससे कि मय्यत के अज़ाब में कमी होगी*_

_*📕 बुखारी, जिल्द 1, हदीस 218*_

_*इस हदीस शरीफ़ से साबित हुआ के तर शाख अल्लाह तआला की तस्बीह करती है ​जब तर शाख तस्बीह करती है तो फिर फूल भी करेगा क्योंके वो भी तर और ख़ुशबू दार होता है और जब इनकी बरक़त से अज़ाब में कमी हो सकती है तो एक मुसलमान के क़ुरआन की तिलावत व दुरूद व वज़ाइफ से तो और भी ज़्यादा सवाब पहुंचेगा, याद रहे साहिबे मज़ार पर यक़ीनन अज़ाब नहीं होता क्योके वो अल्लाह तआला के नेक मक़बूल बंदे हैं मगर फूलों की तस्बीह से साहिबे मज़ार ख़ुश  होते हैं और दुरूद व फ़ातिहा से उनके दरजात बुलंद होते हैं,*_

_*​मुर्दो का सुनना​*_

_*8). अल्लाह तआला फ़ररमाता है👇🏻*_

_*📝तर्जमा : तो सालेह ने उनसे मुंह फेरा और कहा एै मेरी क़ौम बेशक मैंने तुम्हें अपने रब की रिसालत पहुंचा दी*_

_*📕 पारा 8, सुरह एराफ, आयात 79*_

_*📖तफसीर - हज़रत सालेह अलैहिस्सलाम क़ौमे समूद की तरफ नबी बनाकर भेजे गए,क़ौमे समूद के कहने पर आपने अपना मोअजज़ा दिखाया कि एक पहाड़ी से ऊंटनी ज़ाहिर हुई जिसने बाद में बच्चा भी जना, ये ऊंटनी तालाब का सारा पानी एक दिन खुद पीती दुसरे दिन पूरी क़ौम, जब क़ौमे समूद को ये मुसीबत बर्दाश्त न हुई तो उन्होंने इस ऊंटनी को क़त्ल कर दिया, तो आपने उनके लिए अज़ाब की बद्दुआ की जो के क़ुबूल हुई और वो पूरी बस्ती ज़लज़ले से तहस नहस हो गयी, जब सारी क़ौम मर गई तो आप उस मुर्दा क़ौम से मुखातिब होकर अर्ज़ करने लगे जो के ऊपर आयत में गुज़रा*_

_*📕 तफसीरे सावी, जिल्द 2, सफह 73*_

_*9) हदीस शरीफ़ - जंगे बद्र के दिन हुज़ूर सल्लललाहू तआला अलैहि वसल्लम ने बदर के मुर्दा कुफ्फारों का नाम लेकर उनसे ख़िताब किया, तो हज़रत उमर फारूक़े आज़म ने हैरत से अर्ज़ किया कि क्या हुज़ूर मुर्दा बेजान जिस्मों से मुखातिब (बात करते) हैं तो सरकार सल्लललाहू तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि ऐ उमर खुदा की क़सम ज़िंदा लोग इनसे ज़्यादा मेरी बात को नहीं समझ सकते'*_

_*📕 बुखारी, जिल्द 1, सफह 183*_

_*​ज़रा सोचिये कि जब काफिरों के मुर्दो में अल्लाह ने सुनने की सलाहियत दी है तो फिर अल्लाह के मुक़द्दस बन्दे नबी और वली हमारी आवाज़ों को क्यों नहीं सुन सकते​, ज़रूर सुन सकते हैं*_

_*​क़ब्र वालों का मदद करना​👇🏻*_

_*10). अल्लाह तआला फ़रमाता है👇🏻*_

_*📝तर्जमा : और अगर जब वो अपनी जानों पर ज़ुल्म करें तो ऐ महबूब तुम्हारे हुज़ूर हाज़िर हों फिर अल्लाह से माफी चाहें और रसूल उनकी शफाअत फरमायें तो ज़रूर अल्लाह को बहुत तौबा क़ुबूल करने वाला मेहरबान पायेंगे,*_

_*📕 पारा 5, सूरह निसा, आयत 64*_

_*11). हदीस शरीफ़ - हुज़ूर सल्लललाहू तआला अलैही वसल्लम की वफात के बाद एक ऐराबी आपकी मज़ार शरीफ़ पर हाज़िर हुआ और रौज़ा ए अनवर की खाक़ अपने सर पर डाली और क़ुरान की यही आयत पढ़ी फिर बोला कि हुज़ूर मैने अपनी जान पर ज़ुल्म किया अब मै आपके सामने अपने गुनाह की माफी चाहता हूं हुज़ूर मेरी शफाअत कराइये तो रौज़ा ए अनवर से आवाज़ आती है कि जा तेरी बख़्शिश हो गई*_

_*📕 तफसीर खज़ाइनुल इर्फान, सफह 105*_

_*12). क़ौल - हज़रते इमाम शाफई रज़िअल्लाहु तआला अन्ह फरमाते हैं जब भी मुझे कोई हाजत (ज़रुरत) पेश आती है तो मैं हज़रते इमाम ए आज़म रज़िअल्लाहु तआला अन्ह की क़ब्र पर आता हूं, 2 रकत नफ्ल पढता हूं और रब की बारगाह में दुआ करता हूं तो मेरी हाजत बहुत जल्द पूरी हो जाती है,*_

_*📕 रद्दुल मोहतार, जिल्द 1, सफह 38*_
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Friday, December 7, 2018



     _*अम्बियाऐ किराम का बयान (पार्ट- 01)*_
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_*📖सबाल- नबी और रसूल किसे कहते है.?*_

_*✍🏻जवाब- नबी वह इन्सान है जिनकी तरफ अल्लाह की वही (यानी पैगाम) आता हो चाहे वह तबलीग़ पर मामूर हो या न हो  रसूल उस शख्स को कहते हैं जिसकी तरफ अल्लाह की वही भी आती हो और तबलीग़ का हुक्म दिया गया हो।*_

_*📕 अलमोअतक़दुल मुन्तकद सफ़्हा 103/अलमोअतकदुल मुस्तनद सफ़्हा 113*_

_*📖सवाल- सब नबी कितने हैं.?*_

_*✍🏻जवाब- एक लाख चौबीस हजार कम या ज्यादा।*_

_*📕 मवाहिब लदिन्नया जिल्द 2 सफहा 46*_

_*📖सवाल- उनमें रसूल कितने है.?*_

_*✍🏻जवाब- तीन सौ तेरह या तीन सौ पन्द्रह।*_

_*📕 मवाहिब लदिन्नया जिल्द 2 सफहा 46/तबक़ाते इब्ने सअद जिल्द 1 सफहा 14*_

_*📖सवाल- कुरान में कितनी नबियों के नाम लिखे हैं.?*_

_*✍🏻जवाब- कुल 26 नाम साफ-साफ लफ्जों में लिखें हैं,*_
_*01) हज़रत आदम (अलैहिस्सलाम)*_
_*02) हज़रत इदरीस (अलैहिस्सलाम)*_
_*03) हज़रत नूह (अलैहिस्सलाम)*_
_*04) हजरत हूद (अलैहिस्सलाम)*_
_*05) हजरत सालेह( अलैहिस्सलाम)*_
_*06) हजरत लूत (अलैहिस्सलाम)*_
_*07) हजरत इब्राहिम (अलैहिस्सलाम)*_
_*08) हजरत इस्माईल (अलैहिस्सलाम)*_
_*09) हजरत इसहाक (अलैहिस्सलाम)*_
_*10) हजरत याकूब (अलैहिस्सलाम)*_
_*11) हजरत यूसुफ (अलैहिस्सलाम)*_
_*12) हजरत जुलकिफल (अलैहिस्सलाम)*_
_*13) हजरत शुऐब (अलैहिस्सलाम)*_
_*14) हजरत मूसा (अलैहिस्सलाम)*_
_*15) हजरत हारून (अलैहिस्सलाम)*_
_*16) हजरत अलयसअ (अलैहिस्सलाम)*_
_*17) हजरत इलयास (अलैहिस्सलाम)*_
_*18) हजरत युनूस (अलैहिस्सलाम)*_
_*19) हजरत उज़ैर (अलैहिस्सलाम)*_
_*20) हजरत दाऊद (अलैहिस्सलाम)*_
_*21) हजरत सुलैमान (अलैहिस्सलाम)*_
_*22) हजरत अय्यूब (अलैहिस्सलाम)*_
_*23) हजरत ज़करया (अलैहिस्सलाम)*_
_*24) हजरत यहया (अलैहिस्सलाम)*_
_*25) हजरत ईसा (अलैहिस्सलाम)*_
_*26) हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम और तीन का बयान इशारे के तरीके पर हुआ है हजरत शमवील (अलैहिस्सलाम) हजरत यूशअ (अलैहिस्सलाम) और हजरत खिज़्र (अलैहिस्सलाम)।*_

_*📕 तफसीर अहमदी पेज 5/फ़तावा रिज़विया जिल्द 6 पेज 61*_

_*📖सवाल- इनमें कितने नबी बहुत ज्यादा मरतबे वाले हुऐ है.?*_

_*✍🏻जवाब- पाँच हजरत नूह अलैहिस्सलाम, हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम, हजरत मूसा अलैहिस्सलाम, हजरत ईसा अलैहिस्सलाम, और इनमें भी सबसे बड़े हुजूर सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम*_

_*📕 शरह फिक़हे अकबर लिअलीकारी सफ़्हा 116*_

_*📖सवाल- काफिरो की तरफ सबसे पहले कौनसे रसूल भेजे गऐ.?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत नूह अलैहिस्सलाम।*_

_*📕 उम्दतुल क़ारी जिल्द 7 सफहा 436*_

_*📖सवाल- क्या तमाम नबीयो का एक दीन था.?*_

_*✍🏻जवाब- हाँ लेकिन सब की शरीअत अलग-अलग और आमाल भी जुदा-जुदा थे।*_

_*📕 ख़ाज़िन जिल्द 2 सफ़्हा 50/अशिअअतुल लमआत जिल्द 4 सफ़्हा 458*_

_*📖सवाल- क्या अंम्बिया ए किराम भी किसी की उम्मत हैं.?*_

_*✍🏻जवाब- हाँ तमाम नबी और रसूल अपने ज़मानो में और अब भी हुजूर सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम  के उम्मती हैं और हुजूर सल्ललाहु अलैह वसल्लम नबियो के नबी हैं।*_

_*📕 मवाहिब लदिन्नया जिल्द 2 सफहा 52/ज़रक़ानी जिल्द 6 सफ़्हा 164/फ़तावा रिज़विया जिल्द 9 सफ़्हा 12*_

_*📖 सवाल- बनी इस्राईल के सबसे पहले और आखरी नबी कौन हैं*_

_*✍🏻जवाब- बनी इस्माईल के सबसे पहले नबी हजरत युसुफ अलैहिस्सलाम और आखिरी नबी हजरत ईसा अलैहिस्सलाम हैं।*_

_*📕ख़ाज़िन जिल्द 1 सफ़्हा 294/सावी जिल्द 1 पेज 139*_

_*📖सवाल- बनी इस्राईल किसे कहते है.?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत याकूब अलैहिस्सलाम की औलाद को बनी इस्राईल कहते हैं।*_

_*📕 तफसीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 176*_

_*📮पोस्ट जारी रहेगा.....*_
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     _*अम्बियाऐ किराम का बयान (पार्ट- 02)*_
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_*📖सवाल- अरब कौम में कितने नबी पैदा हुऐ?*_

_*✍🏻जवाब- अरब कौम में चार नबी पैदा हुऐ,*_
_*(1) हजरत हूद अलैहिस्सलाम,*_
_*(2) हजरत सालेह अलैहिस्सलाम,*_
_*(3) हजरत शुऐब अलैहिस्सलाम,*_
_*(4) हुजूर सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम।*_

_*📕 अलबिदाया वन्निहाया जिल्द 1 सफ़्हा 120/तफसीर नसफी जिल्द 1 सफ़्हा 264*_

_*📖सवाल- नबियों में सबसे ज्यादा लम्बी उम्र किसने पाई?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत नूह अलैहिस्सलाम ने।*_

_*📕 ख़ाज़िन जिल्द 1 सफ़्हा 518*_

_*📖सवाल- क्या नबियों से गुनाह होना मुम्किन है?*_

_*✍🏻जवाब- नहीं, तमाम नबी मासूम होते हैं उनसे किसी गुनाह का होना शरीअत में मुहाल है  वह हर तरह के छोटे और बड़े गुनाह से महफूज होते हैं नुबुव्वत के बाद भी और पहले भी।*_

_*📕 शरह फिक़हे अकबर लिअलीकारी सफ़्हा 59*_

_*📖सबाल- अचानक मौत किन किन नबियों की हुई?*_

_*✍🏻जवाब- सिर्फ तीन नबियों की हुई,*_
_*(1) हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम,*_
_*(2) हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम,*_
_*(3) हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम।*_

_*📕 अलबिदाया वन्निहाया जिल्द 2 सफ़्हा 17*_

_*📖सवाल- वह कौनसे नबी हैं जिनका नाम पैदा होने से पहले रख दिया गया?*_

_*✍🏻जवाब- आखिरी नबी हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम,*_
_*(2) हजरत यहया अलैहिस्सलाम,*_
_*(3) हजरत ईसा अलैहिस्सलाम,*_
_*(4) हजरत इसहाक अलैहिस्सलाम,*_
_*(5) हजरत याकूब अलैहिस्सलाम।*_

_*📕 अलइतकान जिल्द 2 सफ़्हा 141*_

_*📖सवाल- वह कौन से नबी हैं जिनके दो नाम रखे गऐ?*_

_*✍🏻जवाब- हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम और हजरत ईसा अलैहिस्सलाम हमारे नबी का नाम मुहम्मद और अहमद और हजरत ईसा अलैहिस्सलाम का नाम ईसा और मसीह रखा गया।*_

_*📕 अलइतकान जिल्द 2 सफ़्हा 141*_

_*📖सवाल- अरब में कितने नबी भेजे गऐ?*_

_*✍🏻जवाब- पाँच नबी भेजे गऐ,*_
_*(1) हजरत हूद अलैहिस्सलाम,*_
_*(2) हजरत सालेह अलैहिस्सलाम,*_
_*(3) हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम,*_
_*(4) हजरत शुऐब अलैहिस्सलाम,*_
_*(5) और हमारे आका हुजूर अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम।*_

_*📕 सावी जिल्द 1 सफ़्हा 225*_

_*📖सवाल- किस नबी ने उम्मते मोहम्मदिया में पैदा होने कि तमन्ना की?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत मूसा अलैहिस्सलाम ने।*_

_*📕 मदारजुन्नुबुव्वत, जिल्द 1, सफ़्हा 114*_

_*📖सवाल- कितने नबी जिन्दा हैं जिनको अभी मौत नहीं आई है?*_

_*✍🏻जवाब- चार हैं हजरत इदरीस अलैहिस्सलाम और हजरत ईसा अलैहिस्सलाम यह दोनों आसमान पर हैं  और हजरत खिज़्र अलैहिस्सलाम और हजरत इलयास अलैहिस्सलाम यह दोनो जमीन पर हैं।*_

_*📕 शरह फिक़हे अकबर लिअलीकारी सफ़्हा 61/ ख़ाज़िन जिल्द 4 सफ़्हा 204*_

_*📖सवाल- वह कौन से नबी हैं जो अपनी जिन्दगी में कब्रे मुबारक में लेट गऐ और वहीं उनकी रूह कब्ज़ कर ली गई?*_

_*✍🏻 जवाब- हजरत हारून अलैहिस्सलाम।*_

_*📕 जज़बुल कुबूल पेज 55*_

_*📖सवाल- किन नबियों ने अल्लाह से बिला वास्ते बात चीत की?*_

_*✍🏻जवाब- हुजूर अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम और हजरत मूसा अलैहिस्सलाम ने की।*_

_*📕 सावी जिल्द 3 सफ़्हा 27*_

_*📖सवाल- वह कौन से नबी हैं जिनके लिये मकड़ी ने जाला तना और वह दुश्मन की शरारत से महफूज रहे?*_

_*✍🏻जवाब- एक हुजूर अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम है जिनके लिये ग़ारे सौर के दरवाज़े पर मकड़ी ने जाला तना और दूसरे हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम है जब तालूत ने कत्ल करने का इरादा किया तो हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम एक ग़ार में जा छुपे जब तालूत को मालूम हुआ तो ग़ार पर तलाश करने गऐ तो मकड़ी ने जाला तन दिया जिसकी वजह से तलाश में नाकाम रहे।*_

_*📕 हयातुल हैवान, जिल्द 2, सफ़्हा 166*_

_*📖सवाल- वह कौनसे दो नबी हैं जो क़यामत के दिन एक क़ब्र से उठेंगे?*_

_*✍🏻जवाब- हुजूर अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम और हजरत ईसा अलैहिस्सलाम।*_

_*📕 मिश्कात शरीफ, जिल्द 2, सफ़्हा 480*_

_*📮पोस्ट जारी रहेगा.....*_
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     _*अम्बियाऐ किराम का बयान (पार्ट- 03)*_
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_*📖सवाल- सबसे पहले किस नबी को पैदा किया गया?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत आदम अलैहिस्सलाम को।*_

_*📕 अलहिदायतुल मुबारकाह सफ़्हा 2*_

_*📖सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम जन्नत मैं कितने दिन रहे?*_

_*✍🏻जवाब- बरोजे कयामत के आध दिन जिसकी मिक़दार दुनियावी दिनों से पांच सौ साल है।*_

_*📕 ज़रक़ानी जिल्द 1 सफ़्हा 55/तबक़ात इब्ने सअद जिल्द 1 सफ़्हा 17*_

_*📖सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम जन्नत से कहाँ उतारे गऐ?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत आदम अलैहिस्सलाम सरान्दीप और हजरत हव्वा जददे में।*_

_*📕 सावी जिल्द 1 सफ़्हा 23*_

_*📖सवाल- फिर दौनों की मुलाकात कहाँ हुई?*_

_*✍🏻जवाब- बकरा ईद के चाँद की नौ तारीख को मकामे अरफात में हुई।*_

_*📕 ख़ाज़िन जिल्द 1 सफ़्हा 155*_

_*📖सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम जन्नत मे से निकलने के बाद गम में कितने साल तक रोते रहे?*_

_*✍🏻जवाब- तीन सौ साल तक रोते रहे।*_

_*📕 ज़रक़ानी जिल्द 1 सफ़्हा 56 / मुदारिजुन्नुबुव्वत जिल्द 2 सफ़्हा 5*_

_*📖सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम की कुन्नियत क्या है?*_

_*✍🏻जवाब- ज़मीन में "अबुलबशर" और जन्नत में "अबु मुहम्मद" थी।*_

_*📕 तफसीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 173*_

_*📖सवाल- बह कोनसे नबी हैं जो दुनिया पे एक हजार साल तक  रहे लेकिन काभी जमीन का पानी नहीं पीया?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत आदम अलहिस्सलाम है कि पूरी जिन्दगी आपने बारिश का पानी पीते रहे।*_

_*📕 तफसीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र पेज 172*_

_*📖 सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम की जाहिरी जिन्दगी में कौन-कौन से नबी पैदा हुऐ?*_

_*✍🏻 जवाब- हजरत शीस अलैहिस्सलाम और हजरत इदरीस अलैहिस्सलाम।*_

_*📕 सावी जिल्द 3 सफ़्हा 73*_

_*📖सवाल- हजरत इदरीस अलैहिस्सलाम को हजरत आदम अलैहिस्सलाम का कितना ज़माना मिला?*_

_*✍🏻जवाब- सौ साल, लेकिन नबी होने का एलान करने का हुक्म हजरत आदम अलेहिस्सलाम के इन्तिकाल के दो सौ साल बाद किया।*_

_*📕 सावी जिल्द 3 सफ़्हा 73*_

_*📖सवाल- वह कौन से नबी है जिनका निकाह का खुतबा खुद खुदा ने पढा़ और खुदा ही ने निकाह पढ़ाया?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत आदम अलैहिस्सलाम हैं।*_

_*📕 सावी जिल्द 4 सफ़्हा 21/मुदारिजुन्नुबुव्वत जिल्द 2 सफ़्हा 5*_

_*📖सवाल- वह कौन से नबी है जिनके निकाह का दैन महर हमारे नबी पर दुरूद पढ़ना था?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत आदम अलैहिस्सलाम आपके निकाह का दैन महर तीन या दस या बीस बार दुरूद पढ़ना था।*_

_*📕 तफसीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 159/मुदारिजुन्नुबुव्वत जिल्द 2 सफ़्हा 4/मवाहिब लदिन्नया जिल्द 1 सफ़्हा 10*_

_*📖सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम और हजरत मूसा अलैहिस्सलाम का मशहूर मुनाज़रा कहाँ और किस हालत में हुआ?*_

_*✍🏻जवाब- इसमें इख्तेलाफ हे कुछ के नजदीक आसमान में रूहों की मुलाकात के वक़्त यह मुनाज़रा हुआ और कुछ के नजदीक दौनों को आलमे ब़रज़ख (मौत के बाद की दुनिया) में ज़िन्दा करके यह मुनाज़रा कराया गया और कुछ के नजदीक हजरत आदम को हजरत मूसा के ज़माने जाहेरी में ज़िन्दा करके यह मुनाज़रा कराया गया।*_

_*📕 अशिअअतुल लमआत जिल्द 1 सफ़्हा 88*_

_*📖सवाल- वह कौन से नबी हैं जिनके निकाह का खुतबा हजरत जिब्राईल ने पढ़ा और फ़रिश्ते गवाह बने?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत शीश अलैहिस्सलाम।*_

_*📕 ज़रक़ानी जिल्द 1 सफ़्हा 65*_

_*📖सवाल- हिबतुल्लाह किस नबी का लक़ब है?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत शीश अलैहिस्सलाम का वजह यह है कि जब काबील ने हाबील को कत्ल कर दिया तो हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने हजरत आदम अलैहिस्सलाम को खुशखबरी दी कि खुदा ने हाबील के बदले में शीश को अता फरमाया।*_

_*📕 तबक़ात इब्ने सअद जिल्द 1 सफ़्हा 14/ सावी जिल्द 1 पेज 242*_

_*📖सवाल- हजरत इदरीस अलैहिस्सलाम का अस्ल नाम क्या है?*_

_*✍🏻जवाब- अस्ल नाम अख्नक है इदरीस इसलिए कहते हैं कि उन्होनें सबसे पहले दर्स (सबक)दिया।*_

_*📕 सावी जिल्द 3 सफ़्हा 35*_

_*📖सवाल- हजरत इदरीस अलैहिस्सलाम किस आसमान पर हैं?*_

_*✍🏻जवाब- चौथे आसमान पर ।*_

_*📕 मिश्कात शरीफ जिल्द 2 सफ़्हा 527*_

_*📖सवाल- हजरत नूह अलैहिस्सलाम का अस्ल नाम क्या है?*_

_*✍🏻जवाब- अब्दुल गफ्फार या अब्दुल जब्बार नूह के माना हैं बहुत रोने वाला कियो की आप अपने नफ़स बहुत ज्यादा रोऐ या अपनी उम्मत के गुनाहों पर बहुत रोऐ इसलिये आपका लक़ब नूह पड़ गया।*_

_*📕 अलइतकान जिल्द 2 सफ़्हा 184/ज़रक़ानी जिल्द 1 सफ़्हा 41*_

_*📮पोस्ट जारी रहेगा.....*_
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     _*अम्बियाऐ किराम का बयान (पार्ट- 04)*_
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_*📖सवाल- हजरत नूह अलैहिस्सलाम ने कितने साल अपनी कौम को तबलीग फरमाई?*_

_*✍🏻जवाब- साढ़े नौ सौ साल।(950)*_

_*📕 ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 5 सफ़्हा 157*_

_*📖सवाल- शैखुल अंबिया (नबियों के शेख़) किस नबी को कहा जाता है?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत नूह अलैहिस्सलाम को।*_

_*📕 किसासुल अंबिया*_

_*📖सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम और हजरत नूह अलैहिस्सलाम के बीच कितने साल का फासिला था?*_

_*✍🏻जवाब- ग्यारह सौ साल का।*_

_*📕 सावी जिल्द 2 सफ़्हा 27*_

_*📖सवाल- हजरत नूह अलैहिस्सलाम को कश्ती बनाना किसने सिखाई?*_

_*✍🏻जवाब- अल्लाह तआला ने हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम को भेजा जिन्होंने हजरत नूह अलैहिस्सलाम को कश्ती बनाना सिखाई।*_

_*📕 सावी जिल्द 3 सफ़्हा 96*_

_*📖सवाल- हजरत नूह अलैहिस्सलाम की कश्ती कितने वक़्त में तैयार हुई?*_

_*✍🏻जवाब- दो साल में तैयार हुई उसकी लम्बाई तीन सौ गज़ और चौड़ाई पचास गज़ और ऊँचाई 30 गज़ थी।*_

_*📕 ख़जाइन पेज 326/सावी जिल्द 2 सफ़्हा 72*_

_*📖सवाल- हजरत नूह अलैहिस्सलाम की कश्ती कितने तख्तों से तैयार हुई?*_

_*✍🏻जवाब- एक लाख चौबीस हजार तख़्तों से और हर तख़्ते की पीठ पर एक एक नबी का नाम लिखा था और सबसे आखिरी तख्ते की पीठ पर "मुहम्मदर्रसूलुल्लाह" लिखा था।*_

_*📕 नुजहतुल मजालिस सफ़्हा 321*_

_*📖सवाल- इस कश्ती में कितने दरजे बनाऐ गऐ थे?*_

_*✍🏻जवाब- तीन दरजे बनाऐ गऐ थे,*_
_*1) सबसे नीचे दरजे में जंगली जानवर और शेर चीते वगैरह और साँप बिच्छु जमीन के कीड़े मकोडे वगैरह थे,*_
_*2) बीच में चौपाऐ वगैरह थे,*_
_*3) सबसे ऊपर दरजे में खुद हजरत नूह अलैहिस्सलाम और आपके साथी थे और हजरत आदम अलैहिस्सलाम का मुबारक जिस्म भी था खाने-पीने का सामान भी इसी में था और परिन्दे भी ऊपर ही के दरजे में थे।*_

_*📕सावी जिल्द 2 सफ़्हा 182/ख़जाइन सफ़्हा 326/अलमलफूज जिल्द 1 सफ़्हा 73*_

_*📖सवाल- हजरत नूह किस तारीख में कश्ती पर सवार हुऐ और किस तारीख में उतरे?*_

_*✍🏻जवाब- दसवीं रजब को सवार हुऐ दसवीं मुहर्रम को खास जुमे के वक्त जूदी पहाड़ पर उतरे कुल छः महीने का वक़्त लगा।*_

_*📕 ख़जाइन सफ़्हा 328*_

_*📖सवाल- उसमें कितने आदमी सवार थे जो तुफान से महफूज रहे?*_

_*✍🏻जवाब- 80अस्सी आदमी सवार थे जिनमें दो नबी थे एक हजरत आदम अलैहिस्सलाम का ताबूत और खुद हजरत नूह अलैहिस्सलाम।*_

_*📕 जज़बुल कुबूल पेज 51/अलमलफूज जिल्द 1 सफ़्हा 73*_

_*📖सवाल- अबुल अंबिया(नबियों के बाप)किस नबी का लक़ब है?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम का वजह यह है कि आठ नबी हजरत आदम अलैहिस्सलाम, हजरत शीश अलैहिस्सलाम, हजरत इदरीस अलैहिस्सलाम, हजरत नूह अलैहिस्सलाम, हजरत हूद अलैहिस्सलाम,हजरत सालेह अलैहिस्सलाम, हजरत लूत अलैहिस्सलाम , हजरत यूनुस अलैहिस्सलाम के इलावा बाकी सारे नबी आप ही की नस्ल से हुऐ आपके दो साहिबज़ादे नबी थे हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम और हजरत इसहाक अलैहिस्सलाम ज्यादा तर नबी हजरत इसहाक अलैहिस्सलाम की नस्ल हुऐ और हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम की नस्ल से सिर्फ आखरी नबी हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम पैदा हुऐ इसलिये हजरत ख़लील का लक़ब  (पदवी नाम) अबुल अंबिया हुआ।*_

_*📕 मुहाजिरतुल अवाइल सफ़्हा 154/ नुजहतुल कारी जिल्द 6 सफ़्हा 501*_

_*📖सवाल- अबुज्जैफ(मेहमान नवाज़)किस नबी का लक़ब है?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम का।*_

_*📕 तफसीर अज़ीज़ी जिल्द 1 सफ़्हा 373*_

_*📖सवाल- हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ग़ार में कितने दिन रहे?*_

_*✍🏻जवाब- पन्द्रह दिन जिसमें दिन एक महीने के बराबर और महीना साल के बराबर था।*_

_*📕 ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 2 सफ़्हा 125*_

_*📮पोस्ट जारी रहेगा.....*_
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     _*अम्बियाऐ किराम का बयान (पार्ट- 05)*_
―――――――――――――――――――――

_*📖 सवाल- हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम किस उम्र में आग में डाले गए?*_

_*✍🏻जवाब- 16 सोलह साल की उम्र में।*_

_*📕 शरह फिक़हे अकबर लिअलीकारी पेज 130*_

_*📖सवाल- हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को जिस आग में डाला गया था उसके लिये कितने दिनों तक लकड़ीयाँ जमा की गई थीं और कितने दिनों तक दहकाया गया था?*_

_*✍🏻जवाब- एक महीने लकड़ीयाँ  जमा की गई और सात दिन दहकाया गया था।*_

_*📕 सावी जिल्द 3 सफ़्हा 96*_

_*📖सवाल- हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को आग में डालते वक़्त कौनसा लिबास पहनाया गया और किसने पहनाया गया और किसने पहनाया?*_

_*✍🏻जवाब- रेशमी क़मीज थी जिसे हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने पहनाया और यह जन्नत से लाई गई थी।*_

_*📕 सावी जिल्द 3 सफ़्हा 96*_

_*📖सवाल- हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने उम्मते मोहम्मदिया को कब सलाम कहलवाया?*_

_*✍🏻जवाब- जब आखरी नबी हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम मेराज शरीफ़ के लिए तशरीफ ले जाने लगे और आसमान पर हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम से मुलाकात हुई तो उस वक़्त उन्होंने आपकी मारेफ़त आपकी उम्मत को सलाम कहल वाया।*_

_*📕 मिश्कात शरीफ जिल्द 1 सफ़्हा 202*_

_*📖सवाल- हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम हजरत नूह अलैहिस्सलाम के दरमीयान कितने साल का फासिला था?*_

_*✍🏻जवाब- एक हजार साल का।*_

_*📕 सावी जिल्द 2 सफ़्हा 27*_

_*📖सवाल- किस नबी को अबुल अरब(अरब वाले)और किस नबी को अबुल अजम(ग़ैर अरब वाले)कहा जाता है?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम को अबुल अरब और हजरत इसहाक अलैहिस्सलाम को अबुल अजम कहा जाता है*_

_*📕 सावी जिल्द 1 सफ़्हा 225*_

_*📖सवाल- हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम और हजरत इसहाक अलैहिस्सलाम में ज़बीहुल्लाह कौन है?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम हैं।*_

_*📕 रददुल मुहतार जिल्द 1 सफ़्हा 587/ज़रक़ानी जिल्द 1 सफ़्हा 97*_

_*📖सवाल- इन दोनों में उम्र के एतेबार से बड़े कौन थे?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम हजरत इसहाक अलैहिस्सलाम से चौदह साल 14 साल बड़े थे।*_

_*📕 तफसीरे अज़ीज़ी सूरऐ बक़र पेज 401/अलइतकान जिल्द 2 सफ़्हा 138*_

_*📖सवाल- हजरत याकूब अलैहिस्सलाम का लक़ब क्या था?*_

_*✍🏻जवाब- इस्राईल यह सुरयानी जुबान का लफ्ज है जो "इसरा"और ईल दो लफ्जों से बना है इसरा का माना है "अब्द" और "ईल" का माना है "अल्लाह" यानी अब्दुल्लाह।*_

_*📕 तफसीरे नसफी जिल्द 1 सफ़्हा 44/तफसीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 176*_

_*📖सवाल- हजरत याकूब अलैहिस्सलाम और हजरत यूसुफ अलैहिस्सलाम की जुदाई में कितने साल तक रोते रहे?*_

_*✍🏻जवाब- तकरीबन अस्सी साल तक।*_

_*📕 ख़जाइन सफ़्हा 355*_

_*📖सवाल- हजरत याकूब अलैहिस्सलाम मिश्र में कितने साल रहे?*_

_*✍🏻जवाब- 24 साल।*_

_*📕 ख़जाइन सफ़्हा 357*_

_*📖सवाल- हजरत याकूब अलैहिस्सलाम और हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम के दरमीयान कितना फ़ासला था?*_

_*✍🏻जवाब- 965 साल का।*_

_*📕 सावी जिल्द 2 सफ़्हा 27*_

_*📖सवाल- हजरत यूसुफ अलैहिस्सलाम कुऐं में कितने दिन रहे?*_

_*✍🏻जवाब- तीन दिन।*_

_*📕 ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 3 सफ़्हा 219*_

_*📖सवाल- किस उम्र में डाले गए?*_

_*✍🏻जवाब- बारह साल की उम्र में।*_

_*📕 अलइतकान जिल्द 2 सफ़्हा 138*_

_*📖सवाल- हजरत यूसुफ अलैहिस्सलाम कैद खाने में कितने वक़्त रहे?*_

_*✍🏻जवाब- 12 साल।*_

_*📕 ख़जाइन सफ़्हा 347*_

_*📖सवाल- हजरत यूसुफ अलैहिस्सलाम ने मिश्र में कितने साल हुकूमत की?*_

_*✍🏻जवाब- 90 साल।*_

_*📕 सावी जिल्द 3 सफ़्हा 202*_

_*📖सवाल- ख़तीबुल अंबिया (नबीयों को खिताब करने वाले) किस नबी का लक़ब है?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत शुऐब अलैहिस्सलाम का चूंकि आप बहुत फसीह व बलीग़ कलाम फरमाया करते थे इसलिए आपका लक़ब ख़तीबुल अंबिया हुआ।*_

_*📕 ख़ाज़िन जिल्द 2 सफ़्हा 215*_

_*📖सवाल- किस नबी का सब्र मशहूर है?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत अय्यूब अलैहिस्सलाम का।*_

_*📕 कुराने मुकद्दस सूरऐ सौद*_

_*📖सवाल- हजरत अय्यूब अलैहिस्सलाम कितने दिन इम्तेहान व आज़माइश में मुब्तिला रहे?*_

_*✍🏻जवाब- सात या आठरह साल।*_

_*📕 उम्दतुल क़ारी जिल्द 7 सफ़्हा 388/ ख़ाज़िन जिल्द 4 सफ़्हा 254*_

_*📖सवाल- हजरत मूसा अलैहिस्सलाम हजरत शुऐब अलैहिस्सलाम के पास कितने वक़्त रहे?*_

_*✍🏻जवाब- 10 साल।*_

_*📕 ख़जाइन व मआलिम जिल्द 5 सफ़्हा 142*_

_*📮पोस्ट जारी रहेगा.....*_
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     _*अम्बियाऐ किराम का बयान (पार्ट- 06)*_
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_*📖सवाल- हजरत अय्यूब अलैहिस्सलाम का इम्तिहान कैसा था?*_

_*✍🏻जवाब- अल्लाह तआला ने पहले आपको हर तरह की नेमतें अता की थीं सूरत की खूबसूरती भी ज्यादा औलाद भी और माल भी बहुत ज़्यादा मगर औलाद मकान के गिरने से दबकर ख़त्म हो गई तमाम जानवर जिनमें हजारों ऊँट ओर बकरियां थीं बीमार होकर खत्म हो गऐ। इसी तरह तमाम खेतियाँ और बाग़ात भी तबाह हो गऐ कुछ भी बाक़ी न रहा फिर आप बीमार पड़े तमाम बदन में आबले पड़ गऐ और आपका जिस्म शरीफ ज़ख्मों से भर गया सब लोगों ने आपका साथ छोड़ दिया सिर्फ आपकी बीबी साहिबा आपके साथ रहीं और वही खिदमत करती रहीं सालों साल यही हालत रही फिर अल्लाह तआला ने आपकी दुआ क़बूल फरमाई और सारी तकलीफ़े दूर फरमा दीं यहाँ तक कि तमाम औलाद को ज़िंदा फरमा दिया और इतनी ही औलाद और इनायत की यही आपका इम्तेहान था।*_

_*📕 सावी जिल्द 3 सफ़्हा 72/ख़जाइन सफ़्हा 476*_

_*📖सवाल- हजरत मूसा अलैहिस्सलाम को किस दिन उनकी माँ ने दरया में डाला?*_

_*✍🏻जवाब- जुमे के दिन।*_

_*📕 हयातुल हैवान जिल्द 2 सफ़्हा 26*_

_*📖सवाल- आपकी माँ ने जिस सन्दूक में बन्द करके आपको दरया में डाला था वह सन्दूक कितने दिन पानी में बहकर फिरऔन के महल तक पहुँचा?*_

_*✍🏻जवाब- तीन दिन में।*_

_*📕 नुजहतुल मजालिस जिल्द 2 सफ़्हा 419*_

_*📖सवाल- हजरत मूसा अलैहिस्सलाम की जुबान में लुकनत क़ब पैदा हुई?*_

_*✍🏻जवाब- जब आप की उम्र तीन साल की थी तो फिरऔर एक दिन गोद में आपको खिला रहा था कि अचानक आपने उसके चहरे पर थप्पड़ मार दिया जिससे फिरऔन घबरा गया कि शायद यह वही बच्चा है जो मेरी हुकूमत को बर्बाद कर देगा फिरऔन ने आपको कत्ल करना चाहा लेकिन फिरऔन की बीवी आसिया ने यह कहकर टाल दिया कि अभी बच्चा है उसमें अक़ल व शऊर कहाँ है हजरत आसिया ने फिरऔन की तसल्ली के लिए एक तरफ़ आग का तबक़ रखा और दूसरी तरफ़ हीरे और जवाहरात का तबक़ रखा फिरऔन से कहा देख अगर इस बच्चे में अक़्ल व शऊर होगा तो अपना हाथ हीरे-जवाहरात की तरह बढ़ाऐगा वरना आग की तरफ़ हजरत मूसा अलैहिस्सलाम ने अपना हाथ हीरे जवाहरात की तरफ बढ़ाना चाहा लेकिन हजरत जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने आपका हाथ पकड़कर आग मे डाल दिया और आपने उसमें से एक अंगारा उठाकर अपने मुँह में रख लिया जिससे आपकी जुबान जल गई और उसी दिन से आपकी जुबान में लुकनत पैदा हो गई।*_

_*📕 तफसीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र सफ़्हा 201/ख़ाज़िन जिल्द 4 सफ़्हा 217*_

_*📖सवाल- हजरत मूसा अलैहिस्सलाम फिरऔन के घर कितने दिन रहे?*_

_*✍🏻जवाब- 30 साल।*_

_*📕 ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 5 सफ़्हा 137/तफसीर अज़ीज़ी सूरऐ बक़र पेज 203*_

_*📖सवाल- हजरत मूसा अलैहिस्सलाम का मुकाबला कितने जादूगरों से हुआ था?*_

_*✍🏻जवाब- 80 हज़ार जादूगरों से हुआ था।*_

_*📕 सावी जिल्द 3 सफ़्हा 79*_

_*📖सवाल- क्या सब जादूगर आप पर ईमान ले आऐ थे?*_

_*✍🏻जवाब- हाँ सब के सब ईमान ले आऐ थे।*_

_*📕 तफसीर नईमी पारा 11 सफ़्हा 465*_

_*📖सवाल- अल्लाह तआला ने हजरत मूसा अलैहिस्सलाम से तूर पहाड़ पर किस दिन बात चीत फरमाई?*_

_*✍🏻जवाब- बकरा ईद की नौ तारीख को जुमे रात के के दिन।*_

_*📕 सावी जिल्द 2 सफ़्हा 84*_

_*📖सवाल- हजरत मूसा अलैहिस्सलाम और हजरत याकूब अलैहिस्सलाम के दरमीयान कितने साल का फासला था?*_

_*✍🏻जवाब- चार सौ साल का।*_

_*📕 सावी जिल्द 1 सफ़्हा 28*_

_*📖सवाल- हजरत हारून अलैहिस्सलाम हजरत मूसा अलैहिस्सलाम से कितने साल बड़े थे?*_

_*✍🏻जवाब- चार साल।*_

_*📕 जुमल जिल्द 3 सफ़्हा 67*_

_*📖सवाल- हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम ने कितने साल हुकूमत की?*_

_*✍🏻जवाब- 40 साल।*_

_*📕 अलबिदाया वन्निहाया जिल्द 2 सफ़्हा 16*_

_*📖सवाल- हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम जुबूर मुकद्दस कितनी आवाजों में पढ़ा करते थे?*_

_*✍🏻जवाब- सत्तर आवाजों में पढ़ा करते थे।*_

_*📕 अलबिदाया वन्निहाया जिल्द 2 सफ़्हा 16*_

_*📖सवाल- हजरत आदम अलैहिस्सलाम ने हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम को अपनी उम्र में से कितने साल अता किये थे?*_

_*✍🏻जवाब- 40 साल और कुछ के नजदीक 60 साल।*_

_*📕 अलबिदाया वन्निहाया जिल्द 1 सफ़्हा 87-88*_

_*📮पोस्ट जारी रहेगा.....*_
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     _*अम्बियाऐ किराम का बयान (पार्ट- 07)*_
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_*📖सवाल- अल्लाह तआला ने हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम पर किन चीज़ो को उनके बस में कर दिया था?*_

_*✍🏻जवाब- पहाड़ो और परिन्दों को।*_

_*📕 कुराने मुकद्दस सूरऐ सौद*_

_*📖सवाल- हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम की कितनी बीबियाँ थीं?*_

_*✍🏻जवाब- 100 बीबियाँ थीं।*_

_*📕 अलबिदाया वन्निहाया जिल्द 2 सफ़्हा 15*_

_*📖सवाल- जब आपका इन्तिकाल हुआ तो आपके जनाजे के सात कितने अलीम थे?*_

_*✍🏻जवाब- 40 हजार।*_

_*📕 अलबिदाया वन्निहाया जिल्द 2 सफ़्हा 17*_

_*📖सवाल- हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम और हजरत मूसा अलैहिस्सलाम के दरमीयान कितने साल का फासिला था?*_

_*✍🏻जवाब- 599 साल का।*_

_*📕 सावी जिल्द 2 सफ़्हा 27*_

_*📖सवाल- अल्लाह तआला ने हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम के बस और कब्ज़े में किस चीज़ को कर दिया था उसके ज़रीऐ जहाँ चाहते चले जाते थे?*_

_*✍🏻जवाब- हवाओं को।*_

_*📕 कुराने मुकद्दस*_

_*📖सवाल- हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम ने कितने साल हुकूमत की?*_

_*✍🏻जवाब- 40 साल।*_

_*📕 ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 5 सफ़्हा 235*_

_*📖सवाल- हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम की अंगूठी में क्या लिखा हुआ था?*_

_*✍🏻जवाब- लाइला-ह इल्लल्लाहो मुहम्मदुर्र रसूलुल्लाह लिखा था।*_

_*📕 मवाहिब लदिन्नया जिल्द 2 सफ़्हा 47*_

_*📖सवाल- हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम किस उम्र में तख्त पर बैठे?*_

_*✍🏻जवाब- 13 साल की उम्र मे।*_

_*📕 ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 5 सफ़्हा 235*_

_*📖सवाल- हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम की कितनी औरतें थीं?*_

_*✍🏻जवाब- एक हजार जिनमें 300 कंवारियाँ और सात सौ बांदियाँ थी और कुछ के कौल की रौशनी में 300 बांदियाँ और सात सौ आजाद बीबियाँ थी और एक कौल यह भी है की 400 बीबियाँ थी और 600 बांदियाँ थीं।*_

_*📕 अलबिदाया वन्निहाया जिल्द 2 सफ़्हा 29*_

_*📖सवाल- हजरत यूनुस अलैहिस्सलाम का लक़ब क्या है?*_

_*✍🏻जवाब- जुन्नून और साहिबुल हूत*_

_*📕 सावी जिल्द 3 सफ़्हा 73*_

_*📖सवाल- हजरत यूनुस अलैहिस्सलाम मछली के पेट में कितने दिन रहे?*_

_*✍🏻जवाब- इस बारे मे मुखतलिफ रिवायते है तीन दिन तक या सात दिन या चालीस दिन।*_

_*📕 हयातुल हैवान जिल्द 2 सफ़्हा 373/ ख़ाज़िन व मआलिम जिल्द 4 258*_

_*📖सवाल- हजरत यूनुस अलैहिस्सलाम ने मछली के पेट में कौनसी दुआ पढ़ी थी जिससे मछली के पेट से बाहर निकल आए थे?*_

_*✍🏻जवाब- लाइला-ह इल्ला अन-त सुबहा-न-क इन्नी कुन्तु मिन्ज्जालिमीन।*_

_*📕 कुराने मुकद्दस सूरऐ अंबिया*_

_*📖सवाल- वह कौनसे नबी है जो बचपन में इन्तिकाल होने के बाद फिर एक नबी की दुआ से ज़िन्दा हो गऐ थे?*_

_*✍🏻जवाब- वह हजरत यूनुस अलैहिस्सलाम है जो बचपन में इन्तिकाल फरमा गऐ थे फिर 14 दिन के बाद हजरत इलयास अलैहिस्सलाम की दुआ से ज़िन्दा हो गऐ।*_

_*📕 सावी जिल्द 3 सफ़्हा 73*_

_*📖सवाल- वह कौनसे नबी है जो खुदतो 40 साल के जवान थे मगर उनके बेटे 120 साल के और पोते 90 के बूढ़े?*_

_*✍🏻जवाब- वह हजरत उज़ैर अलैहिस्सलाम है जो इन्तिकाल के बाद सौ साल बाद दोबारा जिन्दा किये गये तो जवान थे मगर आपकी औलाद बढ़ी हो चुकी थी।*_

_*📕 तफसीर नईमी पारा 3 सफ़्हा 83*_

_*📖सवाल- हजरत ज़करया अलैहिस्सलाम कब शहीद किये गये?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत यहया अलैहिस्सलाम की शहादत के एक दिन बाद।*_

_*📕 तफसीर नईमी जिल्द 7 सफ़्हा 655*_

_*📖सवाल- वह कौन से नबी है जिन्होंने हुजूर अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम की उम्मत के हाथों से दफ्न होने की तमन्ना की थी?*_

_*✍🏻जवाब- वह हजरत दानियाल अलैहिस्सलाम है कि उन्होंने खुदा की बारगाह में दुआ की थी कि उन्हें मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम की उम्मत दफन करें रिवायत में है कि जब हजरत अबु मूसा अशअरी रदियल्लाहु अन्हु ने तस्तर का किला फतह किया तो उन्होंने हजरत दानियाल अलैहिस्सलाम को ताबूत में इस हाल में पाया कि उनके तमाम जिस्म और गर्दन की सब रगें बराबर चल रही थी फिर आपने उनको दफन किया हदीस शरीफ में है कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम ने इरशाद फरमाया था जो हजरत दानियाल अलैहिस्सलाम का पता बता दे उसको जन्नत की खुशखबरी देना।*_

_*📕 अलबिदाया वन्निहाया जिल्द 2 सफ़्हा 41/नुजहतुल मजालिस जिल्द 2 सफ़्हा 92*_

_*📖सवाल- हजरत ज़करया अलैहिस्सलाम की शहादत किस तरह हुई?*_

_*✍🏻जवाब- जब हजरत यहया अलैहिस्सलाम को ज़िबह किया गया तो उसके जुर्म में कुछ बनी इस्राईल को अल्लाह तआला की तरह से ज़मीन में घुंसा दिये गये उन लोगों ने हजरत ज़करया अलैहिस्सलाम को भी शहीद करना चाहा तो आप वहाँ से बचकर एक बाग़ में पहुँच गए इस बाग़ में एक दरख़्त ने आवाज दी कि ऐ अल्लाह के नबी मुझ में छुप जाइये वह दरख़्त फटा फटा और आप उसमें छुप गऐ फिर दरख़्त आपस में मिल गया उधर शैतान मरदूद ने जान लिया कि इसमें छुपे हुऐ हैं उन्होंने शैतान के कहने पर दरख़्त को आरे से चीर दिया और आप के दो टुकड़े  (अल्लाहुअकबर) हो गऐ। फरिश्तों ने आपको गुस्ल देकर नमाज़-ए-जऩाजा अदा की फिर दफ़न कर दिया।*_

_*📕 किसासुल अंबिया सफ़्हा 266*_

_*📖सवाल- हजरत ईसा अलैहिस्सलाम को आसमान पे उठाने से कितने वक़्त पहले हजरत यहया अलैहिस्सलाम शहीद हुऐ?*_

_*✍🏻जवाब- छः महीने पहले।*_

_*📕 तफसीर कबीर जिल्द 2 सफ़्हा 441*_

_*📮पोस्ट जारी रहेगा.....*_
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     _*अम्बियाऐ किराम का बयान (पार्ट- 08)*_
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_*📖सवाल- वह कौन से नबी है जिनको सारी ज़मीन के ऊपर कोई बुरा नहीं कहता?*_

_*✍🏻जवाब- वह हजरत यहया अलैहिस्सलाम हैं कि उन्होंने अल्लाह तआला कि बारगाह में दुआ की थी ऐ अल्लाह तआला तू मुझे ऐसा करदे मुझे कोई बुरा न कहे अल्लाह तआला ने इरशाद फरमाया ऐ यहया मैंने अपने लिये तो किया नहीं कोई मेरा शरीक बनाता है कोई फ़रिश्तों को मेरी बेटियाँ बताता है कोई कहता है मेरे लिये बेटा है लेकिन नबी की दुआ ख़ाली नहीं जाती यही वजह है कि तमाम नबियों को बुरा कहने वाले मौजूद हैं लेकिन हजरत यहया अलैहिस्सलाम को कोई बुरा नहीं कहता।*_

_*📕 अलमलफूज जिल्द 2 सफ़्हा 57*_

_*📖सवाल- हजरत ईसा अलैहिस्सलाम और हजरत यहया अलैहिस्सलाम के बीच कौनसा रिश्ता था?*_

_*✍🏻जवाब- दोनों में मामू-भान्जे का रिश्ता था।*_

_*📕 सीरते हलबी जिल्द 1 सफ़्हा 434*_

_*📖सवाल- हजरत यहया अलैहिस्सलाम की शहादत किस तरह हुई?*_

_*✍🏻जवाब- बादशाह बनी इस्राईल अपने भाई की बेटी पर आशिक था उसने हजरत हजरत यहया अलैहिस्सलाम से इससे शादी के मुतअल्लिक पूछा तो आपने जवाब दिया वह तेरे लिए हराम है बादशाह चूँकि आपकी बहुत ज्यादा इज्जत व ताज़ीम करता था और आपके हर हुक्म की फरमां बरदारी करता था इसलिए हुक्म मान लिया लेकिन यह बात जब लड़की की माँ तक पहुँची तो वह गुस्से में भड़क उठी वह चाहती थी कि बादशाह की शादी उसकी लड़की से हो जाऐ बस उसके दिल में उसी दिन से हजरत यहया अलैहिस्सलाम की तरफ़ से दुश्मनी और हसद पैदा हो गया और हजरत यहया अलैहिस्सलाम को बीच में से खत्म करने की ठान ली एक दिन उसने अपनी लड़की को बहुत अच्छा  पहनाकर और ज़ेवर से सजाकर बादशाह की खिदमत में भेज दिया और उसको बता दिया कि पहले बादशाह को शराब पिलाकर बेहोश कर देना फिर जब वह तुमसे अपनी ख़्वाहिश पूरी करना चाहे तो तुम इन्कार करना और कहना कि मुझे हजरत यहया अलैहिस्सलाम का सर चाहिये इस बद बख्त ने ऐसा ही किया बादशाह ने नशे की हालत मे चूर होकर जल्लाद को हुक्म दे दिया कि हजरत यहया अलैहिस्सलाम को ज़िबह करके फौरन उनका सर  (अल्लाहुअकबर) तश्त में रखकर हाजिर करो जब ज़िबह करने के बाद सर सामने लाया गया तो आवाज़ आने लगी कि तेरे लिए हराम है (सुबहानअल्लाह) हराम है।*_

_*📕ख़ाज़िन जिल्द 4 सफ़्हा 123/सावी जिल्द 2 पेज 289*_

_*📖सवाल- क्या हजरत खिज़्र अलैहिस्सलाम नबी हैं?*_

_*✍🏻जवाब- हाँ जमहूर का कौल है कि आप नबी हैं।*_

_*📕 तफसीर कबीर जिल्द 5 सफ़्हा 500/तकमीलुल ईमान सफ़्हा 41*_

_*📖सवाल- आपका अस्ल नाम क्या है?*_

_*✍🏻जवाब- बिल्याबिन मलकान और कुन्नियत अबुल अब्बास है।*_

_*📕 तकमीलुल ईमान सफ़्हा 41*_

_*📖सवाल- फिर आपका लक़ब खिज़्र कैसे हुआ?*_

_*✍🏻जवाब- आप जहाँ बैठते या नमाज पढ़ते हैं वहाँ की ज़मीन खुश्क हो तो हरी भरी हो जाती इसलिये यह आपका लक़ब हुआ।(खिज़्र का माना है हरा होना या करना)*_

_*📕 ख़ज़ाइनुल इरफ़ान सफ़्हा 436*_

_*📖सवाल- हजरत खिज़्र अलैहिस्सलाम और हजरत इलयास अलैहिस्सलाम जब दौनों जमीन पर जिन्दा हैं*_
_*तो क्या खाते पीते हैं?*_

_*✍🏻जवाब- हर साल दौनों हज व उमरा करते हैं और खत्मे हज पर ज़म-ज़म शरीफ के पास मिलते हैं और आबे ज़म-ज़म पीते हैं कि आइन्दा साल तक के लिए काफी होता है फिर किसी खाने पीने की जरूरत नहीं रहती।*_

_*📕 फ़तावा रिज़विया जिल्द 9 सफ़्हा 108*_

_*📖सवाल- क्या यह दोनो रमज़ान शरीफ का रोजा भी रखते हैं*_

_*✍🏻जवाब- हाँ दोनों बैतूल मुकद्दस मे रमज़ान शरीफ का रोजा रखते हैं।*_

_*📕 ज़रक़ानी जिल्द 5 सफ़्हा 354*_

_*📖सवाल- वह कौन से नबी हैं जिन्होंने पैदा होते ही लोगों के सवालों का जवाब दिया?*_

_*✍🏻जवाब- हजरत ईसा अलैहिस्सलाम है।*_

_*📕 कुराने मुकद्दस सूरऐ मरयम*_

_*📖सवाल- आपका लक़ब क्या था?*_

_*✍🏻जवाब- कलिमतुल्लाह।  (अल्लाह का कालिमा)।*_

_*📕 शरह शिफा जिल्द 1 सफ़्हा 225*_

_*📖सवाल- हजरत मूसा अलैहिस्सलाम और हजरत ईसा अलैहिस्सलाम के दरमीयान कितने नबी तशरीफ लाऐ?*_

_*✍🏻जवाब- सत्तर हजार और कुछ के नजदीक चार हजार।*_

_*📕 सावी जिल्द 1 सफ़्हा 41*_

_*📮पोस्ट जारी रहेगा.....*_
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     _*अम्बियाऐ किराम का बयान (पार्ट- 09)*_
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_*📖सवाल- हजरत ईसा अलैहिस्सलाम और हजरत मूसा अलैहिस्सलाम के बीच कितने सालों का फासला था?*_

_*✍🏻जवाब- 1975 साल का।*_

_*📕 सावी जिल्द 1 सफ़्हा 41*_

_*📖सवाल- हजरत ईसा अलैहिस्सलाम ने अपनी जिंदगी में कितने मुदा को जिन्दा फरमाया?*_

_*✍🏻जवाब- चार को जिन्दा फरमाया,*_
_*1) आज़र,*_
_*2)साम बिन नूह जिनको इन्तिकाल किये हुऐ हजारों साल गुजर चुके थे,*_
_*3)एक बुढ़िया का लड़का जिसका जनाज़ा आपके सामने से गुजर रहा था आपने दुआ फरमा वह जिन्दा होकर लाश उठाने वालों के कंधों से उतर पड़ा और कपड़े पहन कर घर आ गया काफ़ी वक़्त जिन्दा रहा उसकी औलाद हुई फिर मौत हुई,*_
_*4)एक आशिर की लड़की कि शाम को मरी थी फिर आपकी दुआ से जिन्दा हो गई।*_

_*📕 ख़ज़ाइनुल इरफान सफ़्हा 82*_

_*📖सवाल- हजरत ईसा अलैहिस्सलाम किस उम्र में आसमान पर उठाऐ गऐ?*_

_*✍🏻जवाब- 120 साल की उम्र में।*_

_*📕 ज़रक़ानी जिल्द 1 सफ़्हा 34/जुमल जिल्द 1 सफ़्हा 280*_

_*📖सवाल- हजरत ईसा अलैहिस्सलाम किस आसमान पर है?*_

_*✍🏻जवाब- दूसरे आसमान पर है।*_

_*📕 मवाहिब लदिन्नया जिल्द 2 सफ़्हा 23*_

_*📖सवाल- हजरत ईसा अलैहिस्सलाम आसमान में क्या खाते पीते हैं?*_

_*✍🏻जवाब- जब अल्लाह तआला ने आपको आसमान पर उठाया तो उठाने से पहले भूक प्यास नींद वगैरह तमाम इन्सानी ज़रूरतों को आपसे ख़त्म कर दिया यहाँ तक कि आपका हाल फ़रिशतों की तरह हो गया कि खाने-पीने के मोहताज नहीं रहे ज़मीन पर दोबारा तशरीफ लाने तक इसी तरह रहेगें।*_

_*📕 ज़रक़ानी जिल्द 5 सफ़्हा 202/तफसीर कबीर जिल्द 2 सफ़्हा 458/तफसीर जुमल जिल्द 1 सफ़्हा 280*_

_*📖सवाल- क्या हजरत ईसा अलैहिस्सलाम अब भी ज़मीन के ऊपर आते हैं?*_

_*✍🏻जवाब- हाँ मगर छुपकर और हज व उमरा भी करते हैं।*_

_*📕 ज़रक़ानी जिल्द 5 सफ़्हा 354*_

_*📖सवाल- क्या हजरत ईसा अलैहिस्सलाम आसमान से नीचे आएंगे?*_

_*✍🏻जवाब- हाँ कयामत के करीब तशरीफ लाएंगे।*_

_*📕 मिश्कात शरीफ जिल्द 2 सफ़्हा 480*_

_*📖सवाल- फिर दुनिया में कितने साल रहेंगे?*_

_*✍🏻जवाब- रिवायतों में इख्तेलाफ है,*_
_*कुछ के नजदीक सात साल,*_

_*📕 मुस्लिम शरीफ जिल्द 2 सफ़्हा 403*_

_*कुछ के नजदीक चालीस साल,*_

_*📕 अबु दाऊद शरीफ 2 सफ़्हा 238/ज़रक़ानी जिल्द 1 सफ़्हा 35*_

_*45 पैंतालीस साल।*_

_*📕 अशिअअतुल लमआत जिल्द 4 सफ़्हा 353*_

_*📖सवाल- क्या आप शादी भी करेंगे?*_

_*✍🏻जवाब- हाँ कबील-ए-जुहनिया की एक औरत से शादी फरमाऐंगे और आप की मर्द औलाद भी होगी।*_

_*📕 शरह शिफा जिल्द 1 सफ़्हा 209*_

_*📖सवाल- इन्तिकाल के बाद कहाँ दफ्न होंगे?*_

_*✍🏻जवाब- हुजूर अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम के पहलू में।*_

_*📕 ज़रक़ानी जिल्द 8 सफ़्हा 296*_

_*📮(आख़िरी) पोस्ट खत्म.....*_
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Thursday, December 6, 2018



                    _*दिमाग़ी कमज़ोरी*_
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_*इलाज - बादाम 5 दाना रात को पानी में भिगो दें सुबह उसका छिलका उतारकर पीस लें और उसमे 10 ग्राम मक्खन और 10 ग्राम मिश्री मिलाकर चाटें, हर किस्म के ज़ोफे दिमाग के लिए मुफीद है*_

_*📕 हाज़िक़, सफह 18*_

_*इलाज - पांचों नमाज़ के बाद दाहिने हाथ की कुछ उंगलिया अपने सर पर रखकर 11 बार (या क़विय्यो) पढ़ें,पढ़ने लिखने वालों के लिए बहुत मुफीद है याददाश्त तेज़ होगी*_

_*📕 जन्नती ज़ेवर, सफह 476*_

_*इलाज - नर्वस्नेस और दिमागी उलझन को दूर करने के लिए सबसे पहले अपने खाने में नमक को एक चौथाई कर दें उसके बाद ऊपर दिया गया नक्श गुलाब के अर्क में ज़ाफरान घोलकर मोमी कागज़ पर लिखा जाए और उसे 1/2 किलो शहद में डाल दें और रोज़ाना 1 बड़ा चम्मच ये शहद इस्तेमाल करें जब तक कि आराम ना मिल जाए*_

_*📕 रूहानी इलाज, सफह 61*_

_*परहेज़ - अगर उलझन के साथ साथ सर में दर्द या नज़ला भी रहता हो तो खुशबु और सिर में लगाने की दवाओं से दूर रहे*_

_*ग़िज़ा - बकरी का गोश्त, लौकी, पालक, मूंग, अंडा, दूध और हाज़मेदार गिज़ाएं*_
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_*तदफिन के मसाइल (तदफीन यानी दफनाना)*_
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_*01) कब्र गहरी चौड़ी और साफ सुथरी होनी चाहिए..!*_

_*📕 अबु दाऊद, 3215*_

_*02) करीब-तरीन रिश्तेदारों को चाहिए की मय्यत को कब्र मे उतारे..!*_

_*📕 हाकीम, बैहाकी*_

_*03) जरूरत के वक्त एक कब्र मे एक से ज्यादा मय्यत दफन की जा सकती है।..!*_

_*📕 इब्ने मजा, 1560*_

_*04) शौहर अपनी बिवी की मय्यत को कब्र मे उतार सकता है।..!*_

_*📕 इब्ने मजा*_

_*05) मय्यत कब्र मे रखते वक्त ये दुआ "बिस्मिलल्लाही वा आला सुन्नती रसुलल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम" पढ़ना सुन्नत है।..!*_

_*📕 मुस्लिम, 1550*_

_*06) कब्र मे तीन मुठ्ठी मिट्टी डालना सुन्नत है।..!*_

_*📕 मुस्लिम 1565*_

_*07) जमीन से कब्र एक बलीस्त से ज्यादा नही होनी चाहिए..!*_

_*📕 अबु दाऊद 3220*_

_*08) कब्र ऊंची बनना, पक्की बनना, या कब्र पर मजार बनना या कोई तामीर करना मना है।..!*_

_*📕 अबु-दाऊद, 3225*_

_*09) कब्र पर नाम तारिखे वफात या कुछ और लिखना मना है।..!*_

_*📕 अबु दाऊद*_

_*10) कब्र बतौर निशानी पत्थर गढ़ना सही है।..!*_

_*📕 इब्ने मजा 1561*_

_*11) दफन के कब्र पर पानी छिड़कना जाएज है।..!*_

_*📕 इब्ने मजा 1551*_

_*12) रात मे दफन करना जाएजा है।..!*_

_*📕 बुखारी 1247*_

_*13) तीन वक्त सुरज निकलने, सुरज सर पर होने, और सुरज डुबते वक्त मे मय्यत को दफन करना मना है।..!*_

_*📕 इब्ने मजा, 1519*_

_*14) दफन के बाद कब्र पर खड़े रहकर मय्यत के लिए सवाल जवाब के वक्त साबीत कदम रहने दुआ करनी चाहिए..!*_

_*📕 अबु दाऊद 3221*_

_*15) कब्र मे अजाब होता है उससे पनाह मांगनी चाहिए..!*_

_*📕 बुखारी, 1377*_

_*16) मय्यत को कब्र मे सुबह शाम ठिकाना जन्नत या जहन्नम दिखाया जाता है।..!*_

_*📕 बुखारी 1379*_

_*17) मोमीन मुर्दे की हड्डी तोड़ना या काटना जिन्दा इंसान के अजा तोड़ना या काटने जैसा है।..!*_

_*📕 अबु दाऊद 3207*_
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                    _*नाखून तरशवाना*_
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_*हदीस - हज़रत अनस रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि मूंछे और नाखून तरशवाने और बगल और ज़ेरे नाफ के बाल मूंडने में हमारे लिए 40 दिन का वक़्त मुकर्रर किया गया है कि इससे ज़्यादा ना छोड़ें, और बेहतर ये है कि हर जुमे को ये सारे काम किये जायें*_

_*📕 तिर्मिज़ी, जिल्द 2, हदीस 2759*_

_*नाखून काटने का तरीक़ा - सबसे पहले दायें हाथ की शहादत की ऊंगली से शुरू करके छंगुलिया तक जायें फिर बायें हाथ की छंगुलियों से अंगूठे तक आयें और आखिर में दायें हाथ के अंगूठे का काटें, ये तरीक़ा हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम से साबित है और यही तरीक़ा मेरे आलाहज़रत का भी रहा है, पांव के नाखून काटने में खिलाल का तरीक़ा इस्तेमाल करें कि दायें पैर की छंगुलियों से शुरू करके अंगूठे पर खत्म करें फिर बायें पैर के अंगूठे से शुरू करके छंगुलियों तक ले जायें*_

_*📕 बहारे शरीयत, हिस्सा 16, सफह 196*_

_*नाखून बढ़ाने के नुकसानात - साईन्सी तहक़ीक़ के मुताबिक एक सेहत मंद आदमी का नाखून हर महीने 3 मिलीमीटर तक बढ़ता हैं इस तरह एक नार्मल आदमी की उंगलियां 50 सालों में तकरीबन 1.8 मीटर नाखून पैदा करती है, सोशल मेडिसिन की रिपोर्ट के मुताबिक बढ़े हुए नाखून से टाईफाइड-इसहाल-पेचिस-हैज़ा आंतों में कीड़े और सूजन का मर्ज़ हो जाता है, तिब्बी उसूल के मुताबिक पेट के कीड़ों के अंडे अक्सर नाखून की जड़ में ही पोशीदा होते हैं अगर नाखून साफ ना किये जायें तो खाने के साथ ये जरासीम पेट के अंदर चले जाते हैं जिससे पेट में कीड़े पैदा होने का पूरा अमकान रहता है, जो औरतें नाखून बड़ा रखने की शौकीन होती हैं उनमें अक्सर खून की कमी पाई जाती है*_

_*📕 इबादात और जदीद साईन्स, सफह 31*_

_*नाखून - को दांत से कुतरने पर बर्स यानि कोढ़ हो जाने का खतरा है माज़ अल्लाह,नाखूनों का बड़ा होना तंगीये रिज़्क़ का सबब है*_

_*📕 बहारे शरीयत, हिस्सा 16, सफह 195-196*_

_*ⓩ नाखून तो हम सभी काटते ही होंगे अगर थोड़ी सी एहतियात बरतें और सुन्नत के मुवाफिक ऐसा करें तो 100 शहीदों का सवाब पा सकते हैं, याद रखिये कल क़यामत के दिन बन्दा एक एक नेकी को भटकता होगा, आज मौक़ा है तो इन सआदतों से हर्गिज़ महरूम ना रहें*_

_*फुक़्हा - जिसने किसी सुन्नत का मज़ाक उड़ाया या तौहीन की वह काफिर हुआ*_

_*📕 किताबुल कबायेर, सफह 260*_
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Tuesday, December 4, 2018



          _*करामात - "मुफ़्तिये आज़म हिन्द"*_
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_*🌹मुजद्दिद इब्न मुजद्दिद वली इब्न वली शैखे तरीक़त आरिफ़ बिल्लाह हज़रत मुस्तफ़ा रज़ा खान "मुफ़्तिये आज़म हिन्द" रज़ी अल्लाहो तआला अन्हु*_

_*🔘 क़ारी नेअमत उल्लाह साहब ने राक़िमुल हुरूफ़ मुहम्मद अमानत रसूल रज़वी से बयान किया कि मौलाना अब्दुल क़य्यूम साहब तेग़ी मुज़फ्फरपूरी इमाम सुन्नी मदीना नरील वाड़ी कब्रिस्तान रोड मुंबई ने मुझसे और मुस्तफा बाज़ार अलीमी दरबार होटल के सामने जलसए आम में इस वाक़ये को बयान फ़रमाया कि जब मैं फैज़ाबाद टाट शाह जामा मस्जिद में इमाम था उस वक़्त आशिक़ अली फ़ैज़ाबादी ने मुझसे कहा कि मैं हुज़ूर मुफ्तीए आज़म का मुरीद होना चाहता हूं मैने उन्हें बता दिया कि हज़रत फैज़ाबाद आने वाले हैं यहीं मुरीद हो जाना जब हज़रत तशरीफ़ ले आएं तो मौलाना अब्दुल क़य्यूम साहब आशिक़ अली को लेकर हज़रत की बारगाह में हाज़िर हुए और अर्ज़ किया कि हुज़ूर इनको मुरीद फरमा लें हज़रत ने कलिमाते बैयत आशिक़ अली से कहलवाने शुरू किये और आखिर में फ़रमाया कि कहो मैंने अपना हाथ ग़ौसे पाक के हाथ में दिया तो आशिक़ अली बोले कि मैंने अपना हाथ हुज़ूर मुफ्तीए आज़म के हाथ में दिया हज़रत ने फ़रमाया कि मैं जो कहता हूं वो कहो कहो कि मैंने अपना हाथ गौसे आज़म के हाथ में दिया तो आशिक़ अली बोले अभी आपने मुझसे कहलवाया है कि मैं झूठ नहीं बोलूंगा और अभी आप कहलवा रहे हैं कि मैंने अपना हाथ ग़ौसे पाक के हाथ में दिया कैसे तो हज़रत फरमाते हैं कि हमारे मशायख का यही तरीक़ा है कि ग़ौसे पाक तक पहुंचा दिया जाता है कहो कि मैंने अपना हाथ ग़ौसे पाक के हाथ में दिया फिर भी आशिक़ अली नहीं बोले तो हज़रत को जलाल आ गया और अपना इमामा शरीफ़ उतार कर आशिक़ अली के सर पर रख दिया और उसी जलाल में फ़रमाया कि कहता क्यों नहीं की मैंने अपना हाथ हुज़ूर ग़ौसे पाक के दस्ते पाक में दिया और फिर आशिक़ अली बार बार कहने लगे कि हां मैंने अपना हाथ ग़ौसे पाक के हाथ में दिया और यही कहते कहते बेहोश हो गए जब होश आया तो लोगों ने दरयाफ्त किया तो आशिक़ अली कहते हैं कि जैसे ही हज़रत ने अपना इमामा मेरे सर पर रखा तो मैंने देखा कि हुज़ूर ग़ौसे पाक हाज़िर हैं और फरमा रहे हैं कि आशिक़ अली मुफ्तीए आज़म हिन्द का हाथ मेरा ही हाथ है ये मेरे नाइबो मज़हर हैं कहो कि मैंने अपना हाथ ग़ौसे पाक के हाथ में दिया बस मैं यही कहने लगा और बेहोश हो गया*_

_*📕 तजल्लियाते शैख मुस्तफा रज़ा, सफह 164*_

_*सुब्हान अल्लाह सुब्हान अल्लाह*_

_*करामत एक दो हो तो बयां उनकी करी जाए,*_
_*सरापा ही करामत हैं हुज़ूर मुफ्तीए आज़म*_
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      _*इल्मे ग़ैबे मुसतफा صلى الله عليه وسلم*_
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*_और कोई ग़ैब क्या तुमसे निहां हो भला_*
*_जब ना ख़ुदा ही छिपा तुमपर करोडो दुरूद_*

*_MSG बड़ा है,लेकिन अगर पूरा पढ़ लिया तो इस मसले में कभी धोखा नहीं खाएंगे इंशा अल्लाह_*

*_क़ुरान में 15 16 आयतें एैसी है जिनको पढ़ने से ये मालूम होता है कि ग़ैब का जानने वाला सिर्फ ख़ुदा ही है और किसी को ग़ैब नहीं मसलन_*

*_1. तुम फरमादो मैं तुमसे नहीं कहता कि मेरे पास अल्लाह के ख़ज़ाने हैं और न ये कहूं कि खुद ही ग़ैब जान लेता हूँ_*

_*📕 पारा 7, सूरह इनआम, आयत 50*_

*_2. और उसी के पास है कुंजियाँ ग़ैब की और उन्हें वही जानता है_*

_*📕 पारा 7, सूरह इनआम, आयत 59*_

*_3. तुम फरमादो मैं अपनी जान के बुरे भले का इख्तेयार नहीं रखता मगर जो अल्लाह चाहे_*

_*📕 पारा 11, सूरह यूनुस, आयत 49*_

*_4. अगर मैं ग़ैब जान लिया करता तो यूँ होता कि मैंने बहुत भलाई जमा करली और मुझे कोई बुराई न पहुँचती_*

_*📕 पारा 9, सूरह एराफ़, आयत 188*_

*_5. मैं नहीं जानता कि मेरे साथ क्या किया जाएगा और तुम्हारे साथ क्या_*

_*📕 पारा 26, सूरह अहकाफ, आयत 9*_

*_खैर इसी तरह की 10 11 आयतें और हैं जिनका निचोड़ यही है जैसा कि आपने पढ़ा की ग़ैब का जानने वाला सिर्फ ख़ुदा है और ख़ुदा के सिवा किसी को ग़ैब नहीं अगर क़ुरान की इन आयतों का यही मतलब है जैसा की वहाबी बद अक़ीदों ने समझा और हमें समझाने की कोशिश करते हैं तो इसी क़ुरान में 18,19 आयतें ये भी कह रहीं हैं पढ़िए_*

*_6. और अल्लाह ने आदम को तमाम अश्या के नाम सिखाये_*

_*📕 पारा 1, सूरह बक़र, आयत 31*_

*_अल्लाह ने आदम अलैहिस्सलाम को 7 लाख ज़बानों का इल्म दिया था_*

_*📕 तफ़सीरे नईमी, जिल्द 1, सफह 291*_

*_7. और हमने ख़िज़्र को अपने पास से इल्म सिखाया_*

_*📕 पारा 15, सूरह कहफ, आयत 65*_

*_8. और उसे एक इल्म वाले लड़के (इस्हाक़ ) की बशारत दी_*

_*📕 पारा 26, सूरह ज़ारियात, आयत 28*_

*_9. और बेशक याक़ूब साहिबे इल्म हैं हमारे सिखाये से_*

_*📕 पारा 13, सूरह यूसुफ, आयत 68*_

*_10. और मैं तुम्हे बताता हूँ जो कुछ खाते हो और अपने घरों में जो कुछ जमा करके रखते हो_*

_*📕 पारा 3, सूरह आले इमरान, आयत 49*_

*_11. याक़ूब ने कहा कि मुझे वो बातें भी मालूम है जो तुम्हे मालूम नहीं_*

_*📕 पारा 12, सूरह यूसुफ, आयत 24*_

*_ये तो हुई दीगर अम्बिया अलैहिस्सलाम की बातें अब आइये आगे बढ़ें_*

*_12. और ये नबी (रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ) ग़ैब बताने में बख़ील नहीं_*

_*📕 पारा 30, सूरह तक़वीर, आयत 24*_

*_बख़ील कहते हैं कंजूस को और कंजूस वो होता है जिसके पास माल हो और वो उसे खर्च न करे अगर होगा ही नहीं तो कंजूस न कहेंगे बल्कि फ़क़ीर कहेंगे यहाँ रब अपने महबूब को फरमा रहा है कि मेरा महबूब ग़ैब बताने में कंजूस नहीं मतलब ये कि मैं इन्हे ग़ैब बताता हूँ और ये अपने सहाबा को उस पर इत्तेला कर देते हैं_*

*_13. अल्लाह ग़ैब पर किसी को मुसल्लत नहीं करता सिवाए अपने पसंदीदा रसूलों के_*

_*📕 पारा 29, सूरह जिन्न, आयत 26*_

*_14. अल्लाह की शान ये नहीं है कि ऐ आम लोगों तुम्हे ग़ैब का इल्म दे हाँ अल्लाह चुन लेता है अपने रसूलों में से जिसे चाहे_*

_*📕 पारा 4, सूरह आले इमरान, आयत 179*_

*_15. ना ज़मीन में ना आसमान में और ना इससे छोटी और ना उससे बड़ी कोई चीज़ नहीं जो एक रौशन किताब ( क़ुरान ) में ना लिखा हो_*

_*📕 पारा 11, सूरह यूनुस, आयत 37-41*_

*_लौहे महफूज़ में जो कुछ लिखा है वो सब क़ुरान मुक़द्दस में मौजूद है_*

_*📕 अलइतक़ान, जिल्द 1, सफह 58*_

*_और उसी क़ुरआन के बारे में अल्लाह फरमाता है कि_*

*_16. रहमान ने अपने महबूब को क़ुरान सिखाया इंसानियत की जान मुहम्मद को पैदा किया मकान व मा यकून का उन्हें बयान सिखाया_*

_*📕 पारा 27, सूरह रहमान, आयत 1-4*_

*_अब पूरी बात को आपके लफ़्ज़ों में समझाता हूँ क़ुरआन की जिन आयतों में ये है कि ग़ैब का जानने वाला सिर्फ अल्लाह है और किसी को ग़ैब नहीं उसका मतलब ये है कि ग़ैब का बिज़्ज़ात जानने वाला सिर्फ अल्लाह है उसको इल्म जानने की ज़रुरत किसी से न पड़ी जैसे वो अल्लाह है अजली व अबदी यानि हमेशा से है और हमेशा रहेगा उसी तरह उसकी तमाम सिफ़तें भी अजली व अबदी हैं मगर नबियों का इल्म अल्लाह के देने से है और यही हम अहले सुन्नत व जमात का अक़ीदा है अगर कोई नबी के लिए ग़ैबे ज़ाती जाने बिला शुबह वो काफिर होगा क्योंकि ग़ैबे ज़ाती सिर्फ अल्लाह को है और नबी का इल्म अल्लाह के बताने से और वलियों का इल्म नबी के बताने से है अगर ये तफ़्सीर सही नहीं तो फिर आप ही बताएं कि कुरान की जिन आयतों में रब अपने महबूबों के लिए ग़ैब मान रहा है उसे कैसे पढेंगे क्या तर्जुमा करेंगे क्युंकि क़ुरान की किसी एक भी आयत का इन्कार करना कुफ्र है,वहाबी का काम सिर्फ शाने रिसालत में नुक़्स निकालना है हालांकि नबी की ज़ाते पाक को रब ने बे अ़ैब बनाया है अब एक ऐसी आखिरी आयत पेश करता हूँ कि जिसको पढ़ने के बाद किसी तरह की कोई शक़ की गुंजाइश बाक़ी न रहेगी और मुनाफ़िक़ों के लिए ये आयत 1000 एैटम बम के बराबर है, आइये पढ़िए_*

*_17. ऐ महबूब तुम उनसे पूछो तो कहेंगे कि हम तो यूँही हंसी खेल में थे तुम फरमाओ क्या अल्लाह और उसकी आयतों और उसके रसूल पर हँसते हो बहाने न बनाओ तुम काफिर हो चुके मुसलमान होकर_*

_*📕 पारा 10, सूरह तौबा, आयत 66*_

*_इस आयत का शाने नुज़ूल ये है कि हज़रते अब्बास रज़ी अल्लाहो तआला अन्हु फरमाते हैं कि किसी शख्स की ऊंटनी खो गई उसकी तलाश जारी थी हुज़ूर को जब खबर हुई तो आपने फरमाया कि फलां की ऊंटनी फलां जंगल में है इस पर एक मुनाफ़िक़ बोला की मुहम्मद कहते हैं कि फलां की ऊंटनी फलां जंगल में है वो ग़ैब क्या जाने इसपर ये आयत नाज़िल हुई_*

*📕 तफ़सीर इब्ने जरीर तबरी,जिल्द 10,सफह 105*

*_इस एक आयत से कितने मसले हल हुए ये देखिये_* 

*_! नबी अलैहिस्सलाम को ग़ैब है_*

*_! जो नबी के ग़ैब का इंकार करेगा काफिर है_*

*_! हंसी खेल यानि मज़ाक में भी अगर शरीयते मुस्तफा को बीच में लायेगा तो ईमान खत्म_*

*_! दाढ़ी टोपी वाला भी अगर कल्मये कुफ्र बकेगा तो उसको काफिर कहा जायेगा_*

*_ये फतवा आलाहज़रत का नहीं है बल्कि ख़ुदा का है और ये फ़तावये रज़वियह में नहीं लिखा है बल्कि क़ुरान में लिखा है_*
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Monday, December 3, 2018



                   _*वसीला : (पार्ट- 1)*_
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_*ⓩअत्तारिफात सफह 225 पर वसीला का मायने ये बयान किया गया है कि "जिस के ज़रिये रब का क़ुर्ब व नज़दीकी हासिल की जाये उसे वसीला कहते हैं" बेशक अम्बिया व औलिया का वसीला लगाना उनकी ज़िन्दगी में भी और बाद वफात भी बिला शुबह जायज़ है और क़ुर्आनो हदीस में बेशुमार दलायल मौजूद हैं, मुलाहज़ा फरमायें मौला तआला क़ुर्आन मुक़द्दस में इरशाद फरमाता है कि*_

_*कंज़ुल ईमान : ऐ ईमान वालो अल्लाह से डरो और उसकी तरफ वसीला ढूंढो*_

_*📕 पारा 6, सूरह मायदा, आयत 35*_

_*वसीले के ताल्लुक़ से इससे ज़्यादा साफ और सरीह हुक्म शायद ही क़ुर्आन में मौजूद हो मगर फिर भी कुछ अन्धो को ये आयतें नहीं सूझती, खैर आगे बढ़ते हैं फिर मौला इरशाद फरमाता है कि*_

_*कंज़ुल ईमान : ऐ ईमान वालो सब्र और नमाज़ से मदद चाहो*_

_*📕 पारा 2, सूरह बक़र, आयत 153*_

_*इस आयत में सब्र और नमाज़ को वसीला बनाने का हुक्म है, और पढ़िये*_

_*और जब वो अपनी जानो पर ज़ुल्म कर लें तो ऐ महबूब तुम्हारे हुज़ूर हाज़िर हों फिर अल्लाह से माफी चाहें और रसूल उनकी शफाअत फरमायें तो ज़रूर अल्लाह को बहुत तौबा क़ुबूल करने वाला मेहरबान पायें*_

_*📕 पारा 5, सूरह निसा, आयत 64*_

_*इस आयत को बार बार पढ़िये और इसका मफहूम समझिये, नमाज़ ना पढ़ी रोज़ा ना रखे हज ना किया ज़कात नहीं दी शराब पी चोरी की ज़िना किया झूट बोला सूद खाया रिशवत ली गर्ज़ कि कोई भी गुनाह किया मगर की तो मौला की ही नाफरमानी, तो जब तौबा करनी होगी तो डायरेक्ट अल्लाह की बारगाह में तौबा कर लेंगे फिर ये हुज़ूर की बारगाह में भेजने का क्या मतलब, मतलब साफ है कि गुनाह छोटा हो या बड़ा 1 हो या 1 करोड़ अगर माफी मिलेगी तो हुज़ूर के सदक़े में ही मिलेगी वरना बिना हुज़ूर के तवस्सुल से अगर माफी चाहता है तो सर पटक पटक कर मर जाये फिर भी मौला माफ नहीं करेगा, इस आयत की पूरी तशरीह आगे करता हूं मगर अब जबकि बात में बात निकल आई है तो पहले इसकी दलील मुलाहज़ा फरमा लें मौला तआला क़ुर्आन में फरमाता है कि*_

_*कंज़ुल ईमान : फिर सीख लिए आदम ने अपने रब से कुछ कल्मे तो अल्लाह ने उसकी तौबा क़ुबूल की*_

_*📕 पारा 1, सूरह बक़र, आयत 37*_

_*तफसीर : तिब्रानी हाकिम अबु नुऐम व बैहकी ने मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत की कि जब हज़रत आदम अलैहिस्सलाम जन्नत से दुनिया में आये तो आप अपनी खताये इज्तेहादी पर 300 साल तक नादिम होकर रोते रहे मगर आपकी तौबा क़ुबूल ना हुई, अचानक एक दिन अल्लाह ने आपके दिल में ये इल्क़अ फरमाया कि वक़्ते पैदाईश मैंने जन्नत के महलों पर उसके सुतूनों पर दरख्तों और उसके पत्तों पर हूरों के सीनो पर गुल्मां की पेशानियों पर ला इलाहा इल्लललाह मुहम्मदुर रसूल अल्लाह जल्ला शानहु व सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम लिखा देखा है, ज़रूर ये कोई बुज़ुर्ग हस्ती है जिसका नाम अल्लाह ने अपने नाम के साथ लिखा हुआ है तो आपने युं अर्ज़ की अल्लाहुम्मा असअलोका बिहक्क़े मुहम्मदिन अन तग़फिरली यानि ऐ अल्लाह मैं तुझसे हज़रत मुहम्मद सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के सदक़े से मगफिरत चाहता हूं तब अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने उनकी तौबा क़ुबूल फरमाई*_

_*📕 खज़ाएनुल इरफान, सफह 7*_

_*💡सोचिये जब सारी दुनिया के बाप हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को मेरे आक़ा हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के वसीले की ज़रूरत है तो फिर हम और आप की औकात ही क्या है कि हम बिना हुज़ूर का वसीला लिए मौला से कुछ ले सकें या अपनी मग़फिरत करा सकें, इसीलिए तो मेरे आलाहज़रत अज़ीमुल बरक़त रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि*_

_*ला वरब्बिल अर्श जिसको जो मिला उनसे मिला*_
_*बटती है कौनैन में नेअमत रसूल अल्लाह की*_
_*वो जहन्नम में गया जो उनसे मुस्तग़नी हुआ*_
_*है खलील उल्लाह को हाजत रसूल अल्लाह की*_

_*(सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम)*_

_*📮जारी रहेगा....*_
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                   _*वसीला : (पार्ट- 2)*_
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_*कंज़ुल ईमान : और अगर जब वो अपनी जानों पर ज़ुल्म करें तो ऐ महबूब तुम्हारे हुज़ूर हाज़िर हों फिर अल्लाह से माफी चाहें और रसूल उनकी शफाअत फरमायें तो ज़रूर अल्लाह को बहुत तौबा क़ुबूल करने वाला मेहरबान पायें*_

_*📕 पारा 5, सूरह निसा, आयत 64*_

_*तफसीर : आपकी वफाते अक़दस के बाद एक आराबी आपकी मज़ार पर हाज़िर हुआ और रौज़ये अनवर की खाक अपने सर पर डालकर यही आयत पढ़ी और बोला कि या रसूल अल्लाह सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम मैंने अपनी जान पर ज़ुल्म किया अब मैं आपके हुज़ूर अल्लाह से माफी चाहता हूं मेरी शफाअत कराईये तो रौज़ये अनवर से आवाज़ आई कि जा तेरी बख्शिश हो गयी*_

_*📕 खज़ाएनुल इरफान, सफह 105*_

_*ⓩ इतना तो बद अक़ीदा भी मानता ही है कि क़ुर्आन का हुक्म सिर्फ हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के ज़माने मुबारक तक ही महदूद नहीं था बल्कि वो क़यामत तक के लिए है तो जब क़यामत तक के लिए उसका हर कानून माना जायेगा तो ये क्यों नहीं कि हुज़ूर से शफाअत कराई जाये, क्या माज़ अल्लाह खुदा ने क़ुर्आन में ये कहा है कि मेरे महबूब की ज़िन्दगी तक ही उनकी बारगाह में जाना बाद विसाल ना जाना बिल्कुल नहीं तो जब रब ने ऐसा कोई हुक्म नहीं दिया तो फिर अपनी तरफ से दीन में हद से आगे बढ़ने की इजाज़त इनको कहां से मिली, खैर मौला हिदायत अता फरमाये अब देखिये इससे बहुत सारे मसले हल हुए*_

_*1). सालेहीन का वसीला लेना जायज़ है*_
_*2). उनसे शफाअत की उम्मीद रखना जायज़ है*_
_*3). बाद विसाल उनकी मज़ार पर जाना जायज है*_
_*4). उन्हें लफ्ज़े या के साथ पुकारना जायज़ है*_
_*5). वो अपनी मज़ार में ज़िंदा हैं*_
_*6). और सबसे बड़ी बात कि वो बाद वफात भी मदद करने की क़ुदरत रखते हैं*_

_*हदीस :  हज़रत उस्मान बिन हुनैफ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि एक अंधा आदमी हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की बारगाह में हाज़िर हुआ और अर्ज़ किया कि आप अल्लाह से दुआ करें कि वो मुझे आंख वाला कर दे तो आप सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि तु चाहे मैं दुआ करूं या तु चाहे तो सब्र कर कि ये तेरे लिए ज़्यादा बेहतर है, इस पर उसने दुआ करने के लिए कहा तो हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि अच्छा अब वुज़ू कर 2 रकात नमाज़ पढ़ और युं दुआ कर "ऐ अल्लाह मैं तुझसे मांगता हूं और तेरी तरफ मुहम्मद सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के वसीले से तवज्जह करता हूं जो नबीये रहमत हैं और या रसूल अल्लाह सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम मैं हुज़ूर के वसीले से रब की तरफ इस हाजत में उम्मीद करता हूं कि मेरी हाजत पूरी हो या अल्लाह मेरे हक़ में हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की शफाअत कुबूल फरमा" वो शख्स गया और नमाज़ पढ़ी दुआ की जब वो वापस आया तो आंख वाला हो चुका था*_

_*📕 तिर्मिज़ी, जिल्द 2, सफह 197*_

_*ⓩ इमाम तिर्मिज़ी फरमाते हैं कि ये हदीस सही है यही हदीस निसाई इब्ने माजा हाकिम बैहकी तिब्रानी वगैरह में भी मिल जायेगी, अब मोअतरिज़ कहेगा कि नबियों का वसीला तो फिर भी लिया जा सकता है मगर औलिया का वसीला लेना जायज़ नहीं तो उसकी भी दलील मुलाहज़ा फरमायें*_

_*📚 हदीस : हज़रत अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि जब जब हम पर कहत का ज़माना आता तो हज़रते उमर फारूक़े आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु हज़रते अब्बास रज़ियल्लाहु तआला अन्हु का वसीला लगाते और युं दुआ करते कि "ऐ अल्लाह हम तेरी बारगाह नबी को वसीला बनाया करते थे तू हमें सैराब फरमाता था अब हम तेरी बारगाह में नबी के चचा को वसीला बनाते हैं" हज़रते अनस फरमाते हैं कि हर बार पानी बरसता,*_

_*📕 बुखारी, जिल्द 1, सफह 137*_

_*📮जारी रहेगा....*_
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                   _*वसीला : (पार्ट- 3)*_
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_*ⓩ पिछली 2 पोस्ट में क़ुर्आन और हदीस से वसीले के हक़ होने की दलील दी अब फुक़्हा के कुछ क़ौल और खुद वहाबियों देवबंदियों की किताब से वसीले का सबूत पेश है,इमामुल अइम्मा हज़रते इमामे आज़म रज़ियल्लाहु तआला अन्हु हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की बारगाह में युं नज़्र फरमाते हैं कि*_

_*1⃣  आप वो हैं कि जिनका वसीला लेकर हज़रत आदम अलैहिस्सलाम कामयाब हुए हालांकि वो आपके बाप हैं*_

_*📕 क़सीदये नोमानिआ, सफह 12*_

_*ⓩ हज़रत इमाम मालिक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु बनी अब्बास के दूसरे खलीफा अबू जाफर मंसूर से फरमाते हैं कि*_

_*2⃣  तुम अपना मुंह हुज़ूर की जाली की तरफ करके ही उनके वसीले से दुआ करो और उनसे मुंह ना फेरो क्योंकि हुज़ूर हमारे और तुम्हारे बाप हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के लिए भी वसीला हैं*_

_*📕 शिफा शरीफ, सफह 33*_

_*ⓩ हज़रत इमाम शाफ़ई रज़ियल्लाहु तआला अन्हु हज़रते इमामे आज़म रज़ियल्लाहु ताला अन्हु की मज़ारे अक़दस के बारे में फरमाते हैं की*_

_*3⃣  हज़रते इमामे आज़म की मज़ार क़ुबूलियते दुआ के लिए तिर्याक है*_

_*📕 तारीखे बग़दाद, जिल्द 1, सफह 123*_

_*ⓩ हज़रते इमाम अहमद बिन हम्बल रज़ियल्लाहु तआला अन्हु अपने बेटे हज़रत अब्दुल्लाह से हज़रत इमाम शाफई रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के बारे में फरमाते हैं कि*_

_*4⃣  हज़रत इमाम शाफई रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ऐसे हैं जैसे कि लोगों के लिए सूरज इसलिए मैं उनसे तवस्सुल करता हूं*_

_*📕 शवाहिदुल हक़, सफह 166*_

_*ⓩ हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि*_

_*5⃣  जब तुम अल्लाह से कुछ तलब करो तो मेरे वसीले से मांगो*_

_*📕 बेहिज्जतुल असरार, सफह 23*_

_*ⓩ ये तो हुई हमारे फुक़्हा की बातें अब वहाबियों के भी कुछ क़ौल मुलाहज़ा फरमायें, अशरफ अली थानवी ने लिखा कि*_

_*6⃣  तवस्सुल दुआ में मक़बूलाने हक़ का ख्वाह वो ज़िंदा हो या वफात शुदा बेशक दुरुस्त है*_

_*📕 फतावा रहीमिया, जिल्द 3, सफह 6*_

_*ⓩ रशीद अहमद गंगोही ने लिखा कि*_

_*7⃣  हुज़ूर को निदा करना और ये समझना कि अल्लाह आप पर इंकेशाफ फरमा देता है हरगिज़ शिर्क नहीं*_

_*📕 फतावा रशीदिया, सफह 40*_

_*ⓩ हुसैन अहमद टांडवी ने लिखा कि*_

_*8⃣  आप सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम से तवस्सुल ना सिर्फ वजूदे ज़ाहिरी में बल्कि विसाल के बाद भी किया जाना चाहिय*_

_*📕 मकतूबाते शेखुल इस्लाम, जिल्द 1, सफह 120*_

_*ⓩ क़ासिम नानोतवी ने लिखा कि*_

_*9⃣  मदद कर ऐ करमे अहमदी कि तेरे सिवा*_
_*नहीं है क़ासिम बेकस का कोई हामीकार*_

_*📕 शिहाबुस साक़िब, सफह 48*_

_*ⓩ सब कुछ आपने पढ़ लिया कि अल्लाह खुद वसीला लगाने का हुक्म देता है खुद हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने सहाबियों को वसीले की तालीम दी फुक़्हाये किराम ने वसीला लगाया और तो और खुद वहाबियों ने भी माना कि दुआ में औलिया अल्लाह का वसीला लगाना बिल्कुल जायज़ व दुरुस्त है तो फिर क्यों अपने ही मौलवियों की बात ना मानते हुये ये जाहिल वहाबी हम सुन्नी मुसलमानों को क़बर पुजवा कहकर शिर्क और बिदअत का फतवा लगाते फिरते हैं, सबसे पहले तो वहाबियों को ये करना चाहिए कि अपना स्टेटस क्लियर करें कि आखिर वो हैं क्या, कोई उनके यहां फातिहा करना हराम कहता है तो जायज़ कोई सलाम पढ़ने को शिर्क बताता है तो कोई खुद पढ़ता है कोई मज़ार पर जाने को मना करता है तो कोई खुद ही मज़ार पर पहुंच जाता है, आखिर कब तक ये वहाबी इस दोगली पालिसी से मुसलमानों में तफरका डालकर उनको गुमराह व बेदीन बनाते रहेंगे इसका जवाब कौन देगा*_

_*📮पोस्ट खत्म....*_
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_*फैज़ाने सैय्यदना अमीरे मुआविया (पार्ट- 01)*_
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*_🌹फैज़ाने सैय्यदना अमीरे मुआविया रदिअल्लाहो तआला अन्ह व अज़मते सहाबा कुरान की रोशनी में_*

_*जैसा कि आप सब जानते है की दौरे हाजिर मे बहुत से नये नये फितने जन्म ले रहे हैं और कुछ तो एेसे हैं जो हमारा ईमान का जनाज़ा तक निकाल दे रहे है, इन्हीं मे से एक फितना है जो सहाबिये रसूल ﷺ हज़रत सैय्यदना अमीरे मुआविया रदिअल्लाहो तआला अन्ह को माज़अल्लाह सुम्मा माज़अल्लाह जहन्नमी कहता है और उन पर तरह तरह के इल्ज़ाम लगा रहा है।*_

_*आज हम लोग हमारी बज़्मे नूरी टीम भोपाल की जानिब से एेसे लोगो को कुरआन व हदीसों की रोशनी में एेसे लोगो को मुँहतोड़ जवाब देंगे और आप सभी हज़रात हमारी टीम के लिए दुआ करें।*_

_*📖सवाल :- सहाबा किसे कहते है..?*_

_*✍🏻जवाब :- जिस मुसलमान ने हालते ईमान मे मुस्तफा जाने रहमत, मदीने वाले आका, ताजदारे अम्बिया, रसूलअकरम ﷺ का दीदार किया है और हालते ईमान मे ही दुनियाए फ़ानी से रुख्सत हुआ है एेसे शख्स को सहाबीये रसूलﷺ कहते है।*_

_*अल्लाह अपने मुकद्दस कलाम कुरआने मजीद फुर्काने हमीद मे इरशाद फरमाता है :-*_

 *رَضِیَ اللّٰہُ  عَنۡہُمۡ وَ رَضُوۡا عَنۡہُ ؕ*

*_📝तर्ज़ुमाए कंज़ुल ईमान :- अल्लाह उन से राज़ी हो गया और वोह अल्लाह से राज़ी_*

_*अब जो शख्स सहाबा की शान मे जर्रा बराबर भी गुस्ताख़ी करता हैं एेसा शख्स अहले सुन्नत व जमात से खारिज है और कुरआन शरीफ की आयत का भी मुन्किर है।*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
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_*फैज़ाने सैय्यदना अमीरे मुआविया (पार्ट- 02)*_
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_*💡जैसा कि मैंने आप को पहले ही बता दिया हूँ कि हम जो भी बात अपनी पोस्ट में करेंगे उन सभी बातों का हवाला कुरान और हदीस की रोशनी मे आपके सामने पेश करेंगे।*_

_*जैसे राफ्जी (शिया) सहाबा के गुस्ताख हैं वैसे ही आज के सुलाहकुल्ली जो अपने आप को अहले सुन्नत (सुन्नी) कहते हैं [लेकिन इनका अहले सुन्नत से कोई ताल्लुक नहीं है] ये लोग भी राफ्जियत की जानिब बहुत तेजी के साथ अपना कदम बढ़ा चुके हैं और ये भी सहाबिये रसूल ﷺ हज़रत अमीरे मुआविया रदिअल्लाहो अन्ह और हज़रत अबू सूफीयान عنهما الله رضى की शान मे बहुत सी गुस्ताख़ी करने लगे है, यही वजह है कि आज हमें इनका बायकॉट करना पड़ रहा है...!*_

_*"न तुम सदमे हमें देते, न हम फरियाद यूँ करते....*_
_*न खुलते राज़े सरबस्ता, न यूँ रुसवाईया होती"...*_

_*अब मैं सबसे पहले अपने मौज़ू का आगाज़ कुराने मजीद की चन्द आयतों के तर्जुमे के साथ करता हूं...*_

_*🕋अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त अपनी मुकद्दस किताब में हुजूर ﷺ के सच्चे साथी यानी सहाबा का ज़िक्र करते हुए यूँ फरमाता है :*_

_*📝तर्ज़ुमा अल कुरान : "मुहम्मद ﷺ अल्लाह के रसूल हैं और उनके साथ वाले (सहाबा) काफिरो पर सख्त हैं और आपस मे नर्म दिल, तू उन्हें देखेगा रुकु करते सज्दा मे गिरते हुए, अल्लाह का फ़ज़्ल और रिज़ा चाहते हुए, उनकी अलामत उनके चेहरों मे है सज्दो के निशान से, ये उनकी सिफात तौरात मे है और उनकी सिफात इन्जील मे"*_

_*📕 सूरह फ़तह, आयत नं. 29*_

_*और अब वो लोग जो किसी सहाबीये रसूल ﷺ ख़ुसुसन जो हज़रत अमीरे मुआविया व हज़रत अबू सूफियान عنهما الله رضى को हल्के लफ्ज़ो से याद करते है और उनकी शान मे ज़बानदराजी करते है वो अपनी खैर मनायें।*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
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_*फैज़ाने सैय्यदना अमीरे मुआविया (पार्ट- 03)*_
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_*आज की पोस्ट भी मैं कुराने मुकद्दस की रोशनी मे आपके सामने हाजिर करने जा रहा हूं। आप सभी हज़रात आज की पोस्ट बगौर पढ़े और एेसे जाहिलो तक जरूर भेजिये जो सहाबिये रसूल ﷺ की शान में गुस्ताख़ी करते है।*_

_*🕋अल्लाह करीम अपने मुकद्दस कलाम कुराने मजीद वल फुर्काने हमीद में इरशाद फरमाता है :*_

_*तर्जुमा अल कुरान : उसने तुम को (सहाबा को) पसंद किया और तुम पर दीन मे कुछ तंगी न रखी कि तुम्हारे बाप इब्राहीम का दीन है, अल्लाह ने तुम्हारा नाम मुसलमान रखा है अगली किताबों में और इस कुरान मे भी, ताकि रसूल तुम पर गवाह हो और तुम लोगो की गवाही दो......*_

_*📕 सूरह हज्ज आयत नं. 78*_

_*ये आयते करीमा साफ साफ बता रही है कि अल्लाह पाक ने अपने रसूल ﷺ के साथ और सोहबत के लिए सहाबा को खुद चुना था, अब जिनका इन्तेख़ाब खुद हक तबारक व तआला ने फरमाया फिर उनकी अज़मत का अंदाजा कौन कर सकता है..?*_

_*🕋अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त का हम सुन्नी बरेलवियों और अहले सुन्नत के तमाम हक़ सिलसिलों पर बहुत बड़ा एहसान है कि हम मुहिब्बे अहले बैत और मुहिब्बे सहाबा है, अलहम्दुलिल्लाह अल्लाह ने हमें अपने उन चुनिंदा बंदो मे रखा है जिनके दिलों मे प्यारे आक़ा मुस्तफा जाने रहमत रसूलेआज़म ﷺ की और उनके जां निसारों की सच्ची पक्की मुहब्बत है, अल्लाह हम सब का खात्मा बिलखैर फरमाये।*_
_*आमीन या रब्बुल आलमीन*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
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_*फैज़ाने सैय्यदना अमीरे मुआविया (पार्ट- 04)*_
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_*जैसा कि अब तक आप हज़रात ने पिछली 3 पोस्टों में पढ़ा ही होगा कि अल्लाह पाक ने सहाबा ए किराम के मर्तबे का ज़िक्र कुराने करीम में फरमाया है और उनसे भलाई का वादा फरमा लिया है,*_

_*लेकिन अब जो लोग सैय्यदना अमीरे मुआविया रदिअल्लाहो तआला अन्ह पर इतनी बेहुरमती से पेश आते हैं वो लोग बेशक अल्लाह के कलाम के खिलाफ बात करते हैं और हमें चाहिए कि हमें ऐसे लोगों से सलाम व कलाम दोनो चीजों से दूर रहना चाहिए।*_

_*अभी तक तो कुराने करीम के हवाले से बताया गया है कि सहाबा का मकाम व उनकी शान क्या है लेकिन वक्त कि कमी को देखते हुए अब मैं आगे कुछ हदीसों से भी बताता चलूंं कि मदीने वाले अाक़ा ﷺ अपने सहाबा के बारे में क्या फरमाते है.?*_

_*📚 हदीसे नबवी ﷺ :- हज़रत जाबिर रदिअल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत है हुज़ूर ﷺ ने फरमाया :*_

*لا تمس النار مسلما رآنى او رآى من رآنى*

_*📝तर्जुमा : आग (जहन्नम की) उस मुसलमान को न छुयेगी जिसने मुझे देखा या मेरे देखने वालो (सहाबा ए किराम) को देखा।*_ _(सुभानअल्लाह)_

*📕 جامع الترمذي،،،،، جلد-2،،،، الصفحة- { 225}*

_*🕋अल्लाह अल्लाह यहाँ तो सिर्फ सहाबा की ही नहीं बल्कि ताबई बुर्ज़ुगों की शान इतनी बुलंद हो गई की उन्होंने सिर्फ सहाबा को देखा है तो उन पर जहन्नम की आग हराम हो गई, अब इससे हम और आप ये गुमान भी नहीं कर सकते हैं कि सहाबा ए किराम अजमईन का मर्तबा क्या होगा.?*_

_*इसीलिए बरेली से मेरे इमाम अहमद रज़ा ने फरमा दिया :*_

_*"जिस मुसलमां ने देखा उन्हें एक नज़र,*_
_*उस नज़र की बसारत पे लाखों सलाम.!*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
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_*फैज़ाने सैय्यदना अमीरे मुआविया (पार्ट- 05)*_
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_*📚 हदीसे रसूल ﷺ :*_

*قال رسول الله صلى الله عليه وسلم الله الله فى اصحابى لا تتخذوهم غرضا من بعدى، فمن احبهم فحبى أحبهم ومن أبغضهم فببغضى أبغضهم ومن اذا هم فقد*
*آذانى ومن آذانى فقد اذى الله ومن اذالله فيوشك أن ياخذه*

_*📝तर्जुमा : प्यारे मुस्तफा जाने रहमत ﷺ इरशाद फरमाते हैं कि मेरे सहाबा के बारे मे अल्लाह से डरो और मेरे बाद उन्हें निशाना न बनाओ, जिसने उनसे मुहब्बत की उसने मुझसे मुहब्बत की और जिसने उनसे बुग्ज़ रखा उसने मुझसे बुग्ज़ रखा और जिसने उन्हें तकलीफ दी उसने मुझे तकलीफ दी और जिसने मुझे तकलीफ दी उसने अल्लाह को तकलीफ दी और जो अल्लाह को तकलीफ देगा करीब है कि अल्लाह पाक उसे अपनी गिरफ्त (अज़ाब) मे ले ले।*_

*📕 مشكوة المصابيح،،، الصفحة- {554}*

_(अल्लाहुअकबर)_

_*🕋अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त हम सबको सहाबा ए किराम से मुहब्बत करने की तौफीक अता फरमाये और मज़हबे अहले सुन्नत (मसलके आला हज़रत) पर मर मिटने की तौफीक अता फरमाये।*_
_*🌹आमीन या रब्बुल आलमीन*_

_*बरेली शरीफ से हर वक्त ये सदा आती है :*_

*_अहले सुन्नत का है बेड़ा पार अस्हाबे हुज़ूर_*
*_नज़्म है और नाव है इतरत रसूलअल्लाह की ﷺ_*

_*📮जारी रहेगा.....*_
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_*फैज़ाने सैय्यदना अमीरे मुआविया (पार्ट- 06)*_
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_*📚 हदीसे रसूल ﷺ : हज़रत उमर फ़ारूके आज़म عنه الله رضى रिवायत करते हैं कि अल्लाह के रसूल ﷺ ने फरमाया :*_

*سألت ربى عن اختلاف أصحابى من بعدى فاوحى إلى يا محمد إن اصحابك عندى بمنزلة النجوم فى السماء بعضها أقوى من بعض ولكل نور فمن أخذ بشى مما*
*هم عليه من اختلافهم فهو عندى على هدى*

_*📝तर्जुमा : मैं ने अपने रब से अपने बाद सहाबा के इख्तेलाफ़ के बारे मे पूछा तो मुझे वही (अल्लाह की तरफ से कलाम) हुई कि ऐ मुहम्मद ﷺ तुम्हारे सारे अस्हाब मेरे नज़दीक आसमान के तारों की तरह हैं, रोशनी में अगरचे कम ज़ियादा हों मगर नूर और हिदायत हर एक में है, पास जिनके सहाबा के दरमियान के इख्तेलाफ़ मे जिसके मसले को इख्तियार की वो मेरे नज़दीक हिदायत पर है।*_

_*📕 مشكوة المصابيح،،، الصفحة- {554}*_

_*यानी सहाबा के इख्तेलाफ़ का ताल्लुक़ हक से है, इसलिए उनमें से किसी की भी इक्तेदा हिदायत ही है और इस हदीस से साबित हुआ अल्लाह के नज़दीक तमाम के तमाम सहाबा मक़बूल और मेहबूब हैं।*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
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_*फैज़ाने सैय्यदना अमीरे मुआविया (पार्ट- 07)*_
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_*बहुत से लोग हमारी पोस्ट को पढ़कर ये सोचते होंगे कि हम लोगों ने ये हदीसें कहाँ से लाई है, और ये भी कि हमने तो कभी ये सब हदीसें किसी आलिम और मुफ्ती से भी नहीं सुनी और कुछ तो ऐसे भी होंगे जिनके दिमाग में ये दौड़ता होगा कि कहीं हमने ये सब हदीसें गढ़ तो नहीं दी?*_

_*👉🏻मैं ऐसे लोगों को जवाब देना चाहता हूँ कि जब तक आप लोग किताबों का मुताला नहीं करेंगे तब तक आपको ये सब फालतू बातें ही लगेंगी और हर बात आपको ज़रूरी नहीं है कि आलिम और मुफ्ती बतायेंगे बल्कि इल्मे दीन हर मुसलमान मर्द-औरत पर फर्ज़ है, हमें चाहिए कि हम जो अपना फालतू वक्त होटलों में, दुकानों में,  घरों में रहकर गुज़ारते है उसे हमें किसी आलिम के पास गुज़ारना चाहिए ताकि हम इल्मे दीन से करीब हो जाए और कोई आलिम आपके घर आकर आपको नही समझाएगा बल्कि आप में खुद इल्मे दीन सीखने उनके पास जाना होगा और जज़्बा होना चाहिए सीखने का न कि अपने मतलब के लिए हो।*_

_*📚 हदीस शरीफ :*_

*عن ابن عمر قال رسول الله صلى الله عليه وسلم إذا رأيتم الذين يسبون أصحابى فقولوا لعنة الله على شركم*

_*📝तर्जुमा: हज़रत इब्ने उमर कहते हैं कि अल्लाह के रसूल ﷺ ने फरमाया, "जब तुम उन लोगों को देखो जो मेरे सहाबा के बारे मे बुरा भला कह रहे हैं तो (उनसे) कहो तुम पर अल्लाह की लानत हो।"*_

_*📕  الجامع الترمذي،،، جلد-2،،، الصفحة- { 225}*_

_*❌तमाम दुश्मने सहाबा बिलखुसुस राफ्जी, गैर मुक़ल्लिदीन और अजमेर शरीफ के वो मुजावर जो सहाबा के गुस्ताख़ है उन सब पर अल्लाह की लानत हो।*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
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Al Waziftul Karima 👇🏻👇🏻👇🏻 https://drive.google.com/file/d/1NeA-5FJcBIAjXdTqQB143zIWBbiNDy_e/view?usp=drivesdk 100 Waliye ke wazai...