Sunday, February 17, 2019



      _*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 01)*_
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_*👉🏻आज से तक़रीबन 54 साल पहले सन् 1963 मे एक मर्दे मुजाहिद, हुज़ुर मुफ्तीए आज़म हिन्द के हुक्म से सरजमीने छत्तीसगढ़ पर आता है और फिर लगातार अपनी शब वो रोज़ की कोशीशों से एक तारीख बनाता है। लबों पर इल्मी मुस्कुराहट, चेहरे पर फारूक़ी जलाल और आँखों में रौशनीए ताबनाक मुस्तक़्बिल चमक और क़ल्बो ज़िगर में क़ौमी सरफर लिये कांकेर की सरजमीन पर क़दम रखता है और देखते ही देखते एक नई तारीख जन्म लेने लगती है।*_

_*और फिर उस की शब वो रोज़ की मेहनत, लगातार जद्दो जेहद और दिन रात की सई-ए-मुसलसल से हर तरफ इश्क़े रसूल की बादे बहारी रस्क करने लगती है, इल्म का उजाला फैलने लगता है..!*_

_*हज़रत सिब्तैन रज़ा खां हुज़ुर अमीने शरीअत अलैहिर्रहमा अपने मक़सद पर नज़र लगाए, फूलों की तरह, मुस्कूराते, कांटों से उलझते और मुश्किलात से खेलते मंज़िले मक़सूद की तरफ बढते रहे।*_

_*यहां तक की एक दिन ज़िंदगी का पैमाना लबरेज़ हो गया, मौत के पैग़ाम ने आप को दाएमी ज़िंदगी से जोड दिया..!*_

_*मगर जो इल्म वो इरफान का चिराग जला था वो मुसलसल हवाओं की ज़द पर जलता रहा। शहज़ादे हुज़ुर अमीने शरीअत हज़रत सलमान रज़ा ने आप के मिशन को नया रूप देकर "तहरीक-ए-अमीने शरीअत" की बुनियाद डाल कर मिल्लत की तरक़्की व खुशहाली के लिये एक ठोस मंसूबा तैय्यार किया  "तहरीक-ए-अमीने शरीअत" की शक्लो सूरत में दीन व सुन्नियत का एक मज़बूत मिशन घरों घर पहूंच रहा है..!*_

_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_

_*📮जारी रहेगा......*_
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      _*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 02)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_

_*तह़रीक : तहरीक का माना मुहीम (अभीयान) होता है..!!*_

_*आसान लफ़्ज़ों मे ऐसा कोई फेअ़ल या काम जिससे किसी मकसद को बढ़ावा मिलता हो..! या किसी काम को आगे बढ़ाना मुहीम कहलाता है..!*_

_*अमीने शरीअत : यानी के शरीअत का अमीन, और अमीन का माना होता है अमानत की हिफाज़त करने वाला ! और अमीने शरीअत वो है जिसने शरीयत जैसी अज़ीम अमानत की हिफाज़त की है !*_

_*हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म मुस्तफा रज़ा खां ने जब हज़रते सिब्तै़न  को शरीयत जैसी अज़ीम अमानत सौंप कर सुबा ए छत्तीसगढ़ की सरज़मीन पर भेजा तो उन्होने क्या ही खुब उस अमानत की हिफाज़त की और आलमे इस्लाम मे अमीने शरीअत बनकर जगमगाए हैं..!*_

_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_

_*📮जारी रहेगा......*_
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      _*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 03)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_

_*शहजादए आला हज़रत हुज़ुर मुफ्तीए आज़म मुस्तफा रज़ा खां जिनके सायए करम रहकर हुज़ुर अमीने शरीअत उलुमे दीनीया से आरास्ता हुए.!*_

_*जिसकी बरकतों ने हुज़ुर अमीने शरीअत को अपना हमशबीह बना दिया और इनकी मोहब्बत का ये आलम के ख़िलाफत अता फरमाते वक्त [الولد العزیز] यानी प्यारा बच्चा जैसे प्यारे लकब से नवाज़ा..!*_

_*तकरीर व तहरीर तबलीग़ के दो बेहतरीन जरीये हैं..। हमारे असलाफे किराम ने दोनो को बरता है.. किसी ने तकरीर के जरीये तबलीग़ी फराएज़ अंजाम दिया तो किसी ने तहरीर के जरीए..*_

_*हुज़ुर अमीने शरीअत उन बुजुर्गों मे से एक हैं जिन्होने तकरीर व तहरीर दोनो मैदान मे घोड़े दौड़ाए हैं.. जहां आपकी तकरीर से हजारों ग़म गुस्तगाने राह, राह पर आये वहीं आपकी तहरीर ने रुशदो हिदायत के कितने ही गुल-बुटे खिलाए हैं..!*_

_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_

_*📮जारी रहेगा......*_
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      _*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 04)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_

_*नाम व नसब : हुज़ुर अमीने शरीअत हज़रत अल्लामा अश्शाह सिब्तैन रज़ा खां साहब, हुज़ुर आला हज़रत रदीअल्लाहो तआला अन् के मंझले भाई अल्लामा उस्ताज़े ज़मन हसन रज़ा खां के पोते और उस्ताजुल ओलमा हज़रत अल्लामा हसनैन रज़ा खां साहब के बड़े साहब जादे हैं !*_

_*ज़ाए पैदाईश  मोहल्ला सौदागरान बरेली शरीफ..!*_

_*अलक़ाब व तख़ल्लुस : अमीने शरीअत, शबीहे मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द, रहबरे शरीअत, हक़ीमुल इस्लाम और आप तख़ल्लुस सिब्तैन फरमाते थे..!*_

_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_

_*📮जारी रहेगा......*_
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      _*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 05)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_

_*रस्मे बिस्मिल्लाह ख़्वानी : हुज़ुर अमीने शरीअत का बचपन बफज़ले तआला वालेदैन करीमैन की शफक़तो ईनायत और बेपाया अलताफो नवाजेशात के साये मे गुजरा..!*_

_*छोटी सी उम्र मे आपके वालीदे माजीद ने आपके मामु मरहुम मौलाना अब्दुल हादी साहब के मकान मे रस्मे बिस्मिल्लाह ख़्वानी की एक महफील का इनएकाद किया.!*_

_*और आपके छोटे दादा हज़रत मौलाना मुहम्मद रज़ा खां अलैहीर्रहमा ने रस्मे बिस्मिल्लाह ख़्वानी अदा कराई.!*_

_*आपके वालेदैन करीमैन ने परवरीश व तरबीयत मे इन्तेहाई दर्जे का खयाल रखा..!*_

_*आप बचपन मे बच्चो के साथ न खेलते और अपना वक्त खेलकुद मे बरबाद करने के बजाए किताबे पढ़ने मे मशगुल रहते..!*_

_*तालीम व तर्बीयत : हुज़ुर अमीने शरीअत की आला तालीम के लिये आपके वालीदे माजीद ने आपका दाखीला दारुल उलुम मज़हरे इस्लाम मे कराया.! और शुरु से आख़ीर तक आपने यही पर तालीम हासील की और दो साल इल्मे तब की पढ़ाई के लिये अपने रफीक दर्स मौलाना फैज़ान अली रज़वी बेसलपुरी के साथ अलीगढ़ तशरीफ ले गए.!*_

_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_

_*📮जारी रहेगा......*_
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      _*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 06)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_

_*उस्तादे मोहतरम : हुज़ुर अमीने शरीअत के उस्ताद, जिनसे आपने बाज़ाबता तालीम हासील की, वोह आसमाने इल्मो-फन के आफताबो-माहताब थे.!*_

_*किताब मे कुल तेरह आलीमो के नाम दिए गए हैं जिन मे से कुल पांच उस्तादों के नाम निचे है..!*_

_*1). उस्ताजुल ओलमा हसनैन रज़ा खां (साहब बरेली शरीफ)*_

_*2). हुज़ुर सदरुश्शरीया अल्लामा (अमजद अली आज़मी) (मुसन्नीफ बहारे शरीअत)*_

_*3). मुहद्दीसे आज़म पाकिस्तान (अल्लामा सरदार अहमद खां साहब)*_

_*4).  हुज़ुर शमसुल अोलमा, (काज़ी शमसुद्दीन साहब जौनपुरी) (मुसन्नीफ कानुने शरीअत)*_

_*5). मौलाना ज़हीरुद्दीन ज़ेदी (मुस्लीम युनीवर्सिटी अलीगढ़)*_

_*इनके अलावा हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द अलैहिर्रहमा से भी वक्त ब वक्त इल्मी व रुहानी फैज़ान हासील करते रहे..!*_

_*और उलुमे दीनीया से आरास्ता हुए और इन्ही की मोहब्बतो-बरकत ने हुज़ुर अमीने शरीअत को अपना हमशबीह बना दिया.!*_

*📕 مضامین امین شریعت*

_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_

_*📮जारी रहेगा......*_
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      _*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 07)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_

_*निकाह : हुज़ुर अमीने शरीअत की शादी मुबारक एक मजहबी व इल्मी घराने मे हुई.!*_

_*📆 18 शाबान, 1376 हिजरी, बमुताबीक 28 मार्च 1957 बरोज पीर बाद नमाज़े असर बड़ी मस्जीद, आम वाली मोहल्ला जंहागिरा-बाद भोपाल मे नासीरे उलुम, फकीहे आज़म हज़रत अल्लामा मुफ्ती अब्दुल रशीद अलैहिर्रहमा की साहबजादी के साथ एक खुशगवार शाम को अक्दे निकाह की रस्म अदा की गई.!*_

_*सरकार मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द अलैहिर्रहमा की मौजुदगी मे हज़रत अल्लामा मुफ्ती रिज़वान अर्रहमान साहब ने आपका निकाह पढ़ाया.!*_

_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_

_*📮जारी रहेगा......*_
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      _*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 08)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रमा के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_

_*निकाह : आपकी शादी शरीअत के मुताबीक बड़े सादह तरीके से हुई.! आपकी अहील्या मोहतरमा के वालीद अपने वक्त के बहुत बड़े आलीमे दीन होने के साथ साथ एक वली-ए-कामील भी थे.! जिन्होने अपनी पुरी जिन्दगी दीने इस्लाम की अशाअ़त और मुस्लीम कौम की नस्लों को सवारने और सुधारने के लिये वक्फ कर दि.!*_

_*इस तरह आपका ससुराल भी एक मजहबी व इल्मी घराना था.!*_

_*सब से बड़ी बात तो ये है के हुज़ुर अमीने शरीअत का रिश्ता हुज़ुर मुफ्ती-ए-अाज़म हिन्द अलैहिर्रहमा के हसबुल-इनतेखा़ब से हुआ.!*_

_*शहज़ादगाने अमीने शरीअत : आपकी सात औलाद हुई जिन मे से दो साहबजादों का इन्तेकाल हो गया और दो साहबजादे और तीन साहबजादीयां बकायदे हयात हैं.!*_

_*1). दामादे हुज़ुर ताजुश्शरीया, काज़ी-ए-छत्तीसगढ़, हज़रत सलमान रज़ा खां साहब किबला बरैलवी.!*_

_*2). मुतर्जमए कंज़ुल ईमान, गुलामे उमर, हज़रत अल्लामा अल्हाज मुहम्मद नोमान रज़ा खां साहब किबला बरैलवी.!*_

*📕 مضامین امین شریعت*

_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_

_*📮जारी रहेगा......*_
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      _*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 09)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा : के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_

_*बैअत व ख़िलाफत : आपके वालीदे माजीद अलैहिर्रहमा ने आपको बचपन ही मे हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द अलैहिर्रहमा के दस्ते हक पर बैअत करा दिया था.! और हुज़ुर अमीने शरीअत को हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द ने इजाज़तो खिलाफत अता फरमाई.!*_

_*आपके वालीदे माजीद हज़रत अल्लामा हसनैन रज़ा खां अलैहिर्रहमा को हुज़ुर आलाहज़रत अलैहिर्रहमा से इजाजतो खिलाफत होने के बावजुद किसी को मुरीद नही फरमाते बल्की जो भी आपकी बारगाह मे मुरीद होने हाज़ीर होता तो आप उसे हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द से मुरीद होने का मश्वरा देते यहां तक के आपने अपने तीनो साहबजादों (हुज़ुर सिब्तैन रज़ा खां अलैहिर्रहमा, हज़ुर तहसीन रज़ा खां अलैहिर्रहमा, और हज़रत हबीब मियां साहब) को भी हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द अलैहिर्रहमा से बैअत कराया.!*_

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_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_

_*📮जारी रहेगा......*_
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      _*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 10)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_

_*बैअत व ख़िलाफत : हुज़ुर अमीने शरीअत के छोटे भाई हज़रत हबीब मियां साहब फरमाते हैं :*_

_*जब वालिदे मोहतरम ने हम तीने भाईयों को हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द से बैअत कराया तो कुछ लोगो ने कहा के हुज़ुर आपने अपने शहज़ादों के लिये हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द का ही इन्तेखाब क्युं फरमाया.?*_

_*आप इरशाद फरमाने लगे मैने हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द का बचपन देखा, फिर जवानी देखी, और अब बुढ़ापा देख रहा हुं मैने उन्हे हमेशा आलीमे-बा-अमल (अपने इल्म पे अमल करने वाला) पाया.!*_

_*लेहाजा मैने अपने तीनो बेटों की बैअत के लिये हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द का इन्तेखाब किया.!*_

*📕 مضامین امین شریعت*

_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_

_*📮जारी रहेगा......*_
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      _*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 11)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_

_*अख़लाक व सीरत : हुज़ुर अमीने शरीअत एक बावकार बावाज़ेअ संजीदह बुजुर्ग का नाम है मयाना कद, गोरा रंग सुरखी लिये हुए, सफेद नुरानी दाढ़ी, शराबे इश्क से मख़मुर आंखे, और बहुत सी एैसी बाते जिनसे सराफतो बुजुर्गी और वकार झलकता था.!*_

_*आपके इरशादात सुनकर दिलों कि विरान बस्तीयां आबाद हो जाती थी आपकी बारगाह मे अगर कोई शख्स आता तो आप उसकी इस कदर इज्जत आफज़ाई फरमाते थे के उसका दिल बाग-बाग हो जाता और आने वाला युं महसुस करता के हजरत सबसे ज्यादा मुझ पर मेहरबान है.!*_

_*हुज़ुर अमीने शरीअत का नुरानी चेहरा जो देखता, देखता ही रह जाता.!*_

*📕 مضامین امین شریعت*

_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_

_*📮जारी रहेगा......*_
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      _*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 12)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_

_*अख़लाक व सीरत : हुज़ुर अमीने शरीअत का नुरानी चेहरा जो देखता, देखता ही रह जाता.! आपका चेहरा क्या हुस्न की खुली हुई किताब थी जिस पर जमाले तक़वा और जमाले इल्म का नुर बरसता था.!*_

_*आपकी बारगाह मे मुरीदों की आमद का सिलसिला तकरीबन हर दिन जारी रहता.! आपकी बारगाह मे जो भी हाजतमंद अपनी हाजत के लिये लबकुशाई करता उसकी तकमील हस्बे हैसीयत कर दि जाती.!*_

_*आपकी बारगाह से कोई खाली और महरुम नही लौटता बल्कि जो भी आता अपने दामन को गौहर मुराद से भरकर जाता.!*_

_*और अलहम्दोलिल्लाह शहजादग़ाने अमीने शरीअत का भी यही मामुल है.!*_

*📕 مضامین امین شریعت*

_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_

_*📮जारी रहेगा......*_
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      _*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 13)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_

_*अख़लाक व सीरत : आपके दिल मे कौमो मिल्लत कि इसलाह का जज़्बा मौज़जन रहता था.! आप अपनी कौम को हमेशा बुजुर्गो से जुड़े रहने और उनके नक्शे कदम पर साबीत देखना चाहते थे.!*_

_*हुज़ुर अमीने शरीअत के मालुमात दीनी व दुनीयावी उलमाए सलफे सालेहीन के आईनादार थे.! आप हर काम मे शरीअत को पेशे नज़र रखते थे और फरमाते थे :*_

_*"के सुन्नी मुसलमान का उठना-बैठना, खाना-पीना, मिलना-जुलना सब कुछ अल्लाह के लिये और रसुल्लाह सलल्लाहो अलैह वसल्लम की सुन्नत के मुताबीक हो"*_

_*और रही बात मोहब्बते रसुल सलल्लाहो अलैह वसल्लम की तो इसके बारे मे कहना ही क्या.?*_

_*ये तो खानवादए आलाहज़रत कि इमतियाज़ी शान है.!*_

*📕 مضامین امین شریعت*

_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_

_*📮जारी रहेगा......*_
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      _*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 14)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_

_*अख़लाक व सीरत : हुज़ुर अमीने शरीअत की तकरीरें संजीदह हुआ करती थी, जिससे सामेइन पर महवीयत तारी हो जाती थी.! आपकी इख़लास भरी हिदायत ने मुसलमानो के दिलों मे गहरे इसरात मुरत्तीब किए.!*_

_*हुज़ुर अमीने शरीअत उन उलमाए केराम मे से हैं जिनके बारे मे इरशादे नबवी सलल्लाहो अलैह वसल्लम है के :*_

_*"बेशक अल्लाह तआला और उसके फरीश्ते और तमाम आसमान व जमीन वाले यहां तक के चिटीयां अपने सुराखो मे और मछलीयां दरीयाओं मे दुआए रहमत व मगफीरत भेजते रहते हैं उस इंसान पर जो लोगो को भलाई की बाते बताता रहता हो.!"*_

_*आपकी बेशुमार करामते हैं, जिसमे से आपकी सबसे बड़ी करामत क़ुरआने अज़ीम और सुन्नते रसुल सलल्लाहो अलैह वसल्लम की पैरवी है.!*_

*📕 مضامین امین شریعت*

_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_

_*📮जारी रहेगा......*_
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      _*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 15)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_

_*अख़लाक व सीरत : हुज़ुर अमीने शरीअ़त की जिन्दगी सादगी, इनकेसारी और बे नफ्सी से भरी हुई है जिन्दगी के जिस गोशे (हिस्से) पर नज़र डाली जाए वोह गोशा मुनफरीद दिखाई देता है.!*_

_*बल्कि ये कहा जाए तो गलत न होगा के जिसने हुजुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द अलैहिर्रहमा कि शक्लो सुरत और उनके तकवा व पाकीजह जिन्दगी को नही देखा है वोह हुजुर अमीने शरीअत को देख ले.!*_

_*आपकी जाते मुकद्दसा के अन्दर हुजुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द के के जमाल व कमाल, अफआलो अकवाल, किरदारो आमाल और जहदो तकवा की झलक दिखाई देती थी.!*_

_*अलहम्दोलिल्लाह फकीर ने आपका उठना बैठना और खाना पीना भी देखा है और आपको जब भी देखा हुस्नो जमाल का मुजस्समा देखा.! आपके किसी भी अक़वालो अफआल से ये जाहीर नही होता था के आप अपने ताज़ीमो तकरीम के ख्वाहीश मंद है.!*_

*📕 مضامین امین شریعت*

_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_

_*📮जारी रहेगा......*_
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      _*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 16)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_

_*हज व ज्यारत : हुज़ुर अमीने शरीअ़त ने छ: (6) मरतबा हज व ज्यारते हरमैन शरीफैन से सरफराज़ हुए.!*_

_*शेरो-शायरी : आप एक बेहतरीन शायर थे.! आपकी शायरी इख़लासो मोहब्बत और इश्के रसुल मे डुबी हुई होती, आपको शेरो शायरी से काफी लगाव था और क्यो न हो.?*_

_*आपको शायरी अपने जद्दे करीम हज़रत उस्ताजे जमन अल्लामा हसन रज़ा खां और उनके बिरादर इमाम अहमद रज़ा खां आलाहज़रत अलैहीर्रहमा से विरासत मे मिली थी आप तख़ल्लुस सिब्तैन फरमाते थे.!*_

_*तबलीगे दीन मे मसरुफीयत की वजह से आपने बहुत कम शायरी की लेकीन जो भी कहा बहुत खुब कहा..!*_

*📕 مضامین امین شریعت*

_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_

_*📮जारी रहेगा......*_
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      _*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 17)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_

_*दर्स व तदरीस : हुज़ुर अमीने शरीअ़त दीनी उलुम से आरास्ता होने के बाद आपने दारुल उलुम मजहरे इस्लाम बरेली शरीफ मे तदरीसी खिदमात भी अंजाम दी.!*_

_*सन् 1958 मे आप नागपुर तशरीफ ले आए और जामए अरबीया इस्लामीया के नाज़ीमे आला मुकर्रर किए गए और तीन साल तक इस ओहदे पर काएम रहे.!*_

_*बहैसीयते नाज़ीमे आला आप मजलीसे शोअरा के रुक्न भी रहे अराकिने मजलीसे शोअरा आपकी खुद्दार सलाहीयत व ज़हानत से बड़े मुतासीर रहे और आपके मशवरे को कद्र की नज़र से देखते.!*_

_*इस दोरान आपने जिस खुलुसो मोहब्बत और उस जज़्बए खिदमत से अपने फराएज़ अंजाम दिए जो नाकाबीले फरामोश है.!*_

_*सन् 1963 मे हुज़ुर अमीने शरीअत कांकेर छत्तीसगढ़ तशरीफ लाए...*_

*📕 مضامین امین شریعت*

_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_

_*📮जारी रहेगा......*_
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      _*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 18)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा : के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_

_*दर्स व तदरीस : सन् 1963 मे हुज़ुर अमीने शरीअत कांकेर छत्तीसगढ़ तशरीफ लाए और जब आपने शहरे कांकेर का नज़ारा किया तो हज़रत ने फरमाया ये तो वही है जिसे मैने आलमे ख्वाब मे देखा है.!*_

_*के जब आप बरेली शरीफ मे थे तो आपने ख्वाब मे देखा के एक नदी (जिसे दुध नदी कहा जाता है) जिसमे आगे-आगे हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द है उनके पिछे मुफ्ती अब्दुल रशीद फतेहपुरी अलैहीर्रहमा और उनके पिछे-पिछे हुज़ुर अमीने शरीअत चल रहे थे.!*_

_*कुछ रोज आप कांकेर मे रहे और फिर वहां के लोगो के इसरार पर मुस्तकील आप वहीं रहने लगे...*_

*📕 مضامین امین شریعت*

_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_

_*📮जारी रहेगा......*_
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      _*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 19)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_

_*दर्स व तदरीस : जिस जमाने मे हुज़ुर अमीने शरीअत कांकेर छत्तीसगढ़ तशरीफ लाए उस वक्त पुरी मुस्लीम अाबादी जहालत मे डुबी हुई थी.! आपने इस माहौल मे भी पुरे इस्तेक़ामत के साथ रज़ाए इलाही पर कायम रहते हुए इल्मो मारफत शम्आ रौशन की.!*_

_*आपने छत्तीसगढ़ और हिन्दुस्तान के अकसर इलाको का दौरा फरमाया जिधर गुजर जाते आबादीयां टुट पड़ती, आशीकों का हुजुम लग जाया करता..!*_

_*हुकुमत कि तारीक और घिनौनी फिज़ाओ ने बारहा आंखे दिखाई.!*_

_*लेकीन आपकी जबीनै अकदस पर किसी भी वक्त शिकन न आयी.!*_

_*आपने खुदा के भटके हुए भटके बन्दो को माअबुदे हकीकी "अल्लाह" कि वहदानियत व मारेफत कि तरफ बुलाया.! जिसकी वजह से आपको न जाने किन किन अज़ीयतों और तकलीफो का सामना करना पड़ा.!*_

_*आपने मुआसरे को आमाले हुसना की तरफ रग़बत दिलाने के लिये अपनी जिन्दगी वक्फ कर दी.!*_

*📕 مضامین امین شریعت*

_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_

_*📮जारी रहेगा......*_
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      _*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 20)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_

_*दर्स व तदरीस : मुखालेफिन ने हुज़ुर अमीने शरीअत के उपर जुल्मो सितम के पहाड़ तोड़े लेकीन आप अज़मते इस्लाम और नामुसे रिसालत कि हिफाजत और शरीअत की पासदारी करते रहे.!*_

_*इसी वजह से दुनीया आपको अमीने शरीअत के नाम से जानती है.! आपने छत्तीसगढ़ के मुसलमानो के इमान व अकीदे की हिफज़त करके एहसाने अज़ीम फरमाया.!*_

_*इमान से ज्यादा एक मुसलमान के लिये किमती सरमाया कोई दुसरी शय नही हो सकती.!*_

_*इमान के बगैर अंधेरा ही अंधेरा है इमान हुज़ुर की मोहब्बत व उलफत और ताज़ीमो तौकीर का नाम है.!*_

_*"खुद प्यारे आका सलल्लाहो अलैह वसल्लम फरमाते हैं :*_

_*तुम मे कोई शख्स मुसलमान नही हो सकता जब तक मै उसके मां-बाप, औलाद और तमाम लोगो से ज्यादा प्यारा न हो जाऊं.!"*_

*📕 مضامین امین شریعت*

_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_

_*📮जारी रहेगा......*_
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      _*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 21)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा : के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_

_*मोहब्बत का आलम : हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द,  हुज़ुर अमीने शरीअत से बेपनाह मोहब्बत फरमाते थे.!*_

_*हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द का आपसे मोहब्बत इस वाकये से पता चलता है की हुज़ुर अमीने शरीअत का बचपन का जमाना था एक मरतबा ईद की नमाज़ पढ़ाने के लिये हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द ने आपको अपने साथ ईदगाह ले गए चलते वक्त हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द ने फरमाया के :*_

_*घर से एक अमामा ले लो आपने हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द का ही अमामा ले लिया और साथ चले गए ईदगाह पहुचे और जब नमाज़ का वक्त करीब आया तो फरमाया खड़े हो जाओ हुज़ुर अमीने शरीत खड़े हो गए.!*_

_*फिर हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द भी खड़े हुए तो सारा मजमा खड़ा हो गया फिर हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द आपके सर पर अमामा बांधने लगे.!*_

_*उसी दौरान मजमे से एक साहब ने हज़रत से दरयाफ्त किया की ये कौन है..?*_

_*तो हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द ने फरमाया क्या आप नही जानते ये मेरा बच्चा है फिर आपके वालीद का नाम लेकर फरमाया ये उनका लड़का है.!*_

_*हुज़ुर अमीने शरीअत को सनद व खिलाफत अता फरमाते वक्त भी आपका नाम लिखने से पहले हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द अलैहीर्रहमा ने अपने दस्ते करम से [الولد العزیز] लिखा जिसका माना है "प्यारा बच्चा",*_

*📕 مضامین امین شریعت*

_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_

_*📮जारी रहेगा......*_
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      _*तहरीक-ए-अमीने शरीअत (पार्ट- 22)*_
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_*🌹हुज़ुर अमीने शरीअ़त अलैहिर्रहमा के मज़ामीन का एक हसीन गुलदस्ता..!*_

_**मोहब्बत का आलम : हुज़ुर अमीने शरीअत भी हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द से बेपनाह मोहब्बत फरमाते थे.!*_

_*यही वजह थी की जब भी आपकी बारगाह मे हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द का तज़किरह होता तो आपकी आंखे अस्कबार हो जाती.!*_

_*जब हुज़ुर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द अलैहिर्रहमा हज्जे बैतुल्लाह के लिये तशरीफ ले गए और ज्यारते हरमैन शरीफैन से मुशर्रफ होकर बखैर हिन्दुस्तान तशरीफ लाए तो उस मौके पर हुज़ुर अमीने शरीअत अलैहिर्रहमा ने ये मनकबत के अशआर लिखे थे.! जो निचे है..*_

*📚مضامین امین شریعت*

_*मुबारक रुखसत हो के मुस्तफा से मुस्तफा आये.!*_
_*खुदा का शुक्र है क़ाबे से मेहमाने खुदा आये.!!*_

_*अदाए फर्ज करके फिर गए क़ाबे के क़ाबा को.!*_
_*वंहा से दौलते कौनैन लेकर मरहबा आए.!!*_

_*ये कैसी रहमतों की बदलीयां छाई जमाने पर.!*_
_*ज्यारत करके शायद मुस्तफा की मुस्तफा आए.!!*_

_*मसर्रत ही मसर्रत हो रही है अहले सुन्नत को.!*_
_*अदाए फर्ज करके आज उनके पेशवा आए.!!*_

_*मुझे मुश्कील है एै आका, पहुंचना दस्ते तैबा मे.!*_
_*जो तुम चाहो तो एै मौला ये सिब्तैन रज़ा आए.!!*_

_*✍🏻हुज़ुर अमीने शरीअत अल्लामा सिब्तैन रज़ा खां अलैहिर्रहमा.*_

_*✍🏻मुहम्मद जुनैद रज़ा अज़हरी*_

_*📮पोस्ट खत्म......*_
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Al Waziftul Karima 👇🏻👇🏻👇🏻 https://drive.google.com/file/d/1NeA-5FJcBIAjXdTqQB143zIWBbiNDy_e/view?usp=drivesdk 100 Waliye ke wazai...