Friday, September 20, 2019



  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 138)*_
_*―――――――――――――――――――――*_

               _*ईमान और कुफ्र का बयान*_

_*☝️अक़ीदा : - अस्ले ईमान सिर्फ तस्दीक का नाम है यानी जो कुछ अल्लाह व रसूल जल्ला व अला सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया है उसको दिल से हक़ मानना । आमाल ( यानी नमाज़ , रोज़ा वगैरा ) जुज़्वे ईमान यानी ईमान का हिस्सा नहीं । अब रही बात इकरार की तो अगर तस्दीक के बाद उसको अपना ईमान ज़ाहिर करने का मौका नहीं मिला तो यह अल्लाह के नज़दीक मोमिन है और अगर उसे मौका मिला और उसे इकरार करने को न कहा गया तो अहकामे दुनिया में काफिर समझा जायेगा न उस के जनाज़े की नमाज़ पड़ी जायेगी । और न वह मुसलमानों के कब्रिस्तान में दफन किया जायेगा । लेकिन अगर उस से इस्लाम के खिालफ कोई बात न जाहिर हो तो वह अल्लाह के नजदीक मोमिन है ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 47*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 137)*_
_*―――――――――――――――――――――*_

              _*ईमान और कुफ्र का बयान*_

_*ईमान और कुफ्र का बयान _*ईमान इसे कहते हैं कि सच्चे दिल से उन तमाम बातों की तस्दीक करे जो दीन की ज़रूरियात में से हैं और किसी एक जरूरी दीनी चीज़ के इन्कार को कुफ्र कहते हैं अगरचे बाकी तमाम ज़रूरियात को हक और सच मानता हो मतलब यह कि अगर कोई सारी ज़रूरी दीनी बातों को मानता हो लेकिन किसी एक का इन्कार कर बैठे तो अगर जिहालत और नादानी की वजह से है तो कुफ्र है और जान बूझ कर इन्कार करे तो काफिर है ।*_

_*दीन की ज़रूरियात में वह बातें हैं जिनको हर खास और आम लोग जानते हों जैसे : - अल्लाह तआला की वहदानियत यानी अल्लाह तआला को एक मानना , नबियों की नुबुव्वत , जन्नत , दोज़ख हश्र , नश्र वगैरा । मिसाल के तौर पर एअतिकाद रखता हो कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ‘खातमुन्नबीय्यीन ' हैं ( यानी हुजूर के बाद अब कोई नया नबी कभी नहीं आएगा )*_

 _*अवाम से मुराद वह लोग हैं जिनकी गिनती आलिमों में तो न हो मगर आलिमों के साथ उनका उठना बैठना रहता हो और वह दीनी और इल्मी बातों का शौक रखते हों । ऐसा नहीं कि वह जंगल बियाबानों और पहाड़ों के रहने वाले हों जो कलिमा भी ठीक से नहीं पड़ सकते हों ऐसे लोग अगर दीन की ज़रूरी बातों को न जानें तो उनके न जानने से दीन की ज़रूरी बातें गैर ज़रूरी नहीं हो जायेंगी । अलबत्ता उनके मुसलमान होने के लिए यह बात ज़रूरी है कि वह दीन और मजहब की ज़रूरी चीजों का इन्कार न करें और यह एअतिकाद रखते हों कि इस्लाम में जो कुछ है हक है और उन सब पर उनका ईमान हो ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 47*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 136)*_
_*―――――――――――――――――――――*_

                       _*दोज़ख का बयान*_

_*जब सब जन्नती जन्नत में दाखिल हो जायेंगे और जहन्नम में सिर्फ वही रह जायेंगे जिन को हमेशा के लिए उस में रहना है । उस वक़्त जन्नत और दोज़ख के बीच ' मौत ' को मेंढे की शक्ल में लाकर खडा किया जायेगा । फिर जन्नत वालों को पुकारा जायेगा । वह डरते हुए झाँकेंगे कि कहीं ऐसा न हो कि यहाँ से निकलना पड़े फिर जहन्नमियों को आवाज़ दी जायेगी वह खुश होते हुए झाँकेंगे कि शायद उन्हें इस मुसीबत से छुटकारा मिल जाये । फिर जन्नतियों और जहन्नमियों को वह मेदा दिखाकर पूछा जायेगा कि क्या तुम लोग इसे पहचानते हो ? तो जवाब में सब कहेंगे कि हाँ यह मौत है तो फिर वह मौत ज़िबह कर दी जायेगी और कहा जायेगा कि ऐ जन्नत वालों हमेशगी है अब मौत नहीं आयेगी और ऐ दोज़ख वालों ।तुम्हें अब हमेशा जहन्नम ही में रहना है और अब तुम्हें भी मरना नहीं है उस वक़्त जन्नतियों के लिए बेहद खुशी होगी और जहन्नमियों को बेइन्तिहा गम ।*_

 _*📝तर्जमा : - " दीन दुनिया और आख़िरत में हम अल्लाह से माफ़ी और आफियत का सवाल करते है " ।"*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 46/47*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 135)*_
_*―――――――――――――――――――――*_

                       _*दोज़ख का बयान*_

_*उन के रोने से खून और पीप इतना। निकलेगा कि अगर उस में कश्तियाँ डाल दी जायें तो वह भी चलने लगें । जहन्नमियों की सूरतें ऐसी बुरी होंगी कि अगर कोई जहन्नमी अपनी उसी सूरत के साथ इस दुनिया में लाया जाये तो उसकी सूरत और उसकी बदबू से तमाम लोग मर जायें और उनका बदन इतना बड़ा कर दिया जायेगा कि उन के एक मोंढे से दूसरे मोंढे तक की दूरी तेज़ सवार के लिये तीन दिन होगी ।*_

 _*एक एक दाढ़ उहुद पहाड़ के बराबर होगी । उनके बदन की खाल की मोटाई ' बियालीस ज़िराअ ' 42 हाथ , या 42 गज़ की होगी । उनकी जुबानें एक दो कोस तक मुँह से बाहर घसिटती होंगी कि लोग उन्हें रौंदते हुए चलेंगे । बैठने की जगह इतनी होगी कि जैसे मक्के से मदीने तक और वह जहन्नम में मुँह सिकोड़े हुए होंगे । उन के ऊपर का होंट सिमट कर बीच सर को पहुँच जायेगा और नीचे का लटक कर नाफ तक आ जायेगा । इन मजामीन से यह पता चलता है । कि जहन्नम में काफ़िरों की सूरत इन्सानों जैसी न होगी इसलिए कि इन्सान की सूरत को अहसने तकवीम , कहा गया है और अल्लाह को इन्सान की सूरत इसलिए पसन्द है कि आदमी की सूरत उस के महबूब सल्लल्लाहु तआला अ़लैहि वसल्लम से कुछ न कुछ मिलती जुलती है इसलिए अल्लाह ने जहन्नमियों की सूरत को आदमियों की सूरत से अलग कर दिया है ।*_

_*आखिर में काफ़िरों के लिए यह होगा कि उनमें से हर एक को उनके कद के बराबर आग के सन्दूक में बन्द किया जायेगा सन्दूक में आग भड़काई जायेगी और आग का ताला लगाया जायेगा फिर उस बक्स को आग के एक दूसरे सन्दूक में रखा जायेगा और उन दोनों के बीच आग जलाई जायेगी और उस दूसरे सन्दूक में भी आग का ताला लगाया जायेगा फिर उस बक्स को एक तीसरे आग के सन्दूक में डाला जायेगा और उसे भी आग के ताले में बन्द किया जायेगा और आग में डाल दिया जायेगा अब हर एक काफ़िर यह समझेगा कि उस के सिवा अब कोई भी आग में नहीं रहा । और यह अज़ाब तमाम अज़ाबों से बड़ा है और अब हमेशा उस के लिए अजाब ही अज़ाब है ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 46*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 134)*_
_*―――――――――――――――――――――*_

                     _*दोज़ख का बयान*_

_*काफ़िर जब जहन्नम की मुसीबतों और तकलीफ़ों से अपनी जान से अजिज़ आजायेंगे तो आपस में राय करके हज़रत मालिक ( अलैहिस्सलातु वस्सलाम ) को पुकारते हुए फरयाद   करेंगे कि ऐ का मालिक ! तेरा रब हमारा किस्सा तमाम कर दे ।लेकिन वह हजार बरस तक कोई जवाब न देंगे । हज़ार साल के बाद कहेंगे कि तुम मुझ से क्या कहते हो उससे कहो जिसकी तुमने नाफरमानी की है ।*_

 _*फिर वह अल्लाह को उसके रह़मत भरे नामों से हज़ार साल तक पुकारेंगे । वह भी हजार साल तक जवाब न देगा । उसके बाद फरमायेगा कि दूर हो जाओ जहन्नम में पड़े रहो मुझ से बात न करो । फिर यह काफिर हर तरह की भलाईयों से नाउम्मीद हो कर गधों की तरह रोना और चिल्लाना शुरू करेंगे । पहले आँसू निकलेंगे और जब आँसू खत्म हो जायेंगे तो खून के आँसू रोयेंगे रोते रोते उन के गालों में खन्दकों की तरह गढे पड़ जायेंगे ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 45/46*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 133)*_
_*―――――――――――――――――――――*_

                      _*दोज़ख का बयान*_

_*काफिरों को फरिश्ते लोहे के ऐसे ऐसे भारी गुर्जो से मारेंगे कि अगर कोई गुर्ज़ ज़मीन पर रख दिया जाये और उसे दुनिया के सारे इन्सान और जिन्नात मिलकर एक साथ उठाना चाहें तो न उठा सकें जहन्नम में बहुत बड़े बड़े साँप और बुख़्ती ऊँट के बराबर बिच्छू होंगे जो अगर एक बार काट लें तो उस से दर्द , जलन और बेचैनी हज़ार साल तक रहे । बुख़्ती ऊँट ऐसे ऊँट कहलाते हैं जो हर तरह के ऊँटों से बड़े होते हैं ।*_

 _*जहन्नमियों को तेल की जली हुई तलछट की तरह बहुत खौलता हुआ पानी पीने को दिया जायेगा कि जैसे ही उस पानी को मुँह के करीब ले जायेंगे उसकी गर्मी और तेज़ी से चेहरे की खाल जल कर गिर जायेगी । सर पर वह गर्म पानी बहाया जायेगा । और जहन्नमिया के बदन से निकली हुई पीप उन्हें पिलाई जायेगी । काँटेदार थूहड़ उन्हें खाने को दिया जायेगा ।*_

 _*वह ऐसा होगा कि अगर उसकी एक बूंँद दुनिया में आ जाये तो उस की जलन और बदबू से सारी दुनिया का रहन सहन बरबाद हो जाये । जहन्नमी जब थूहड़ को खायेंगे तो उनके गले में फँस जायेगा । उसे उतारने के लिये जब वह पानी मांगेंगे तो उन्हें वही पानी दिया जायेगा जिस का ज़िक्र  पहले किया जा चुका है ।*_

_*वह तलछट की तरह पानी पेट में जाते ही आंतों के टुकड़े टुकड़े कर देगा और आँतें शोरबे की तरह बह कर कदमों की तरफ निकलेंगी । प्यास इस बला की होगी कि जहन्नमी उस पानी पर भी ऐसे गिरेंगे जैसे ' तौंस ' के मारे हुए ऊँट गिरते हैं ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 45*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 132)*_
_*―――――――――――――――――――――*_

                       _*दोज़ख का बयान*_

 _*दोज़ख की गहराई के बारे में कुछ नहीं बताया जा सकता फ़िर भी हदीसों के देखने से पता चलता है कि अगर पत्थर की चट्टान जहन्न्म के किनारे से उस की गहराई में फेंकी जाये तो सत्तर बरस में भी तह तक न पहूँचेगी ।*_

_*जब के इन्सान के सर के बराबर सीसे का गोला अगर आसमान से ज़मीन को फेंका जाये तो रात आने से पहले पहले ज़मीन तक पहुँच जायेगा । हालाँकि आसमान से ज़मीन तक पाँच सौ साल तक का रास्ता है । फिर उसमें अलग अलग तबके वादियाँ और कूचे हैं । कुछ वादियाँ ऐसी भी हैं कि जिनसे जहन्नम भी हर रोज़ सत्तर बार पनाह माँगता है ।*_

_*अब आप अन्दाज़ा लगाईये कि जहन्नम की गहराई क्या होगी । जहन्म जैसे डरावने घर में अगर और कुछ अज़ाब न होता फिर भी यह बहुत बड़ी सज़ा और तकलीफ की जगह थी लेकिन जहन्नम में काफिरों के लिये अलग अलग सज़ायें भी हैं जैसा कि बताया गया अब कुछ और जहन्नम का हाल और उसके अज़ाब लिखे जा रहे हैं ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 45*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 131)*_
_*―――――――――――――――――――――*_

                      _*दोज़ख का बयान*_

_*जहन्नम की आग हजार बरस तक धैंकाई गई यहाँ तक कि बिल्कुल लाल हो गई । फिर हज़ार बरस और जलाई गई यहाँ तक कि सफेद हो गई । उस के बाद फिर हज़ार साल जलाई गई यहाँ तक कि बिल्कुल काली हो गई और अब वह बिल्कुल काली है और उस में रौशनी का नामो निशान नहीं ।*_

 _*जहन्नम का हाल बताते हुए हज़रते जिबील अ़लैहिस्सलाम ने हुजूर सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम से कसम खा कर कहा । कि अगर जहन्नम से एक सुई के नाके के बराबर खोल दिया जाये तो जमीन के सारे बसने वाले उसकी गर्मी से मर जायें।*_

 _*और इसी तरह यह भी कहा कि अगर जहन्नम का कोई दारोगा दुनिया वालों के सामने आ जाये तो उसकी डरावनी सूरत के डर से सब के सब मर जायें । और उन्हों ने यह भी बताया कि अगर जहन्नमियों के जंजीर की एक कड़ी दुनिया के पहाड़ पर रख दी जाये तो थरथर कांपने लगे और यह पहाड़ जमीन तक धंस जायें ।*_

_*दुनिया की यह आग जिसकी गर्मी और तेज़ी को सब जानते हैं कि कुछ मौसमों में उसके पास जाना भी दूभर होता है फिर भी यह आग खुदा से दुआ करती है कि या अल्लाह ! हमें जहन्नम में फिर न भेज देना लेकिन तअज्जुब की बात यह है कि इन्सान जहन्नम में जाने का काम करता है और उस आग से नहीं डरता जिससे आग भी पनाह माँगती है ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 44/45*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 130)*_
_*―――――――――――――――――――――*_

                       _*दोज़ख का बयान*_

_*दोज़ख एक ऐसा मकान है जो अल्लाह तआ़ला की शाने जब्बारी और जलाल की मज़हर ( जा़हिर करने वाली ) है । जिस तरह अल्लाह की रहमत और नेमत की कोई हद नहीं कि इन्सान शुमार नहीं कर सकता और जो कुछ इन्सान सोचता है वह शुम्मह ( ज़र्रा ) बराबर भी नहीं , उसी तरह उसके गज़ब और जलाल की कोई हद नहीं । इन्सान जिस कद्र भी दोज़ख की आफ़तों मुसीबतों और तकलीफों को सोच सकता है वह अल्लाह के अज़ाब का एक बहुत छोटा सा हिस्सा होगा । कुर्आन व अहादीस में जो दोज़ख के अज़ाब का बयान है उसमें से कुछ बातें ज़िक्र क की जाती हैं मुसलमान देखें और दोज़ख से पनाह माँगें । हदीस शरीफ में है कि जो बन्दा जहन्नम से पनाह माँगता है जहन्नम कहता है कि ऐ रब ! यह मुझ से पनाह माँगता है तू इसको पनाह दे । कुर्आन शरीफ में कई जगहों पर आया है कि जहन्नम से बचो और दोज़ख से डरो । हमारे सरकार हजरत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम हमें सिखाने के लिए ज़्यादा तर जहन्नम से पनाह माँगा करते थे ।जहन्नम का हाल यह होगा कि उसकी चिंगारियाँ ऊँचे ऊँचे महलों के बराबर इस तरह उड़ेंगी कि जैसे ज़र्द ऊँटों की कतारें लगातार आ रही हों । पत्थर , आदमी जहन्नम के ईधन हैं । दुनिया की आग जहन्नम की आग के सत्तर हिस्सों में उसे एक हिस्सा है । जिस जिस जहन्नमी को सब से कम दर्जे का अज़ाब होगा उसे आग की जूतियाँ पहनाई जायेंगी जिससे उसके सर का भेजा ऐसा खौलेगा जैसे तांबे की पतीली खौलती है और वह यह समझेगा कि सब से ज़्यादा अज़ाब उसी पर हो रहा है जबकि यह हल्का अज़ाब है जिस पर सब से हल्के दर्जे का अज़ाब होगा उस से अल्लाह तआ़ला पूछेगा कि अगर सारी ज़मीन तेरी हो जाये तो क्या तू इस अज़ाब से बचने के लिए सारी ज़मीन फ़िदये में दे देगा ? वह जवाब देगा कि हाँ हाँ मैं दे दूँगा । फिर अल्लाह तआ़ला इरशाद फरमायेगा कि ऐ बन्दे मैंने तेरे लिये बहुत आसान चीज़ का हुक्म उस वक्त दिया था जब कि तू आदम की पीठ में था लेकिन तू न माना ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 44*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 129)*_
_*―――――――――――――――――――――*_
         
                       _*जन्नत का बयान*_

_*फिर वहाँ से अपने अपने मकानों को वापस आयेंगे । उनकी बीवियाँ उनका इस्तिकबाल करेंगी और मुबारक बाद देकर कहेंगी कि आपका जमाल यानी खुबसूरती पहले से भी कहीं ज़्यादा बढ़ गई है । वह जवाब देंगे चुंकि हमें अल्लाह के दरबार में हाज़िरी नसीब हुई इसलिए हमें ऐसा ही होना चाहिए । जन्नती बाज़ आपस में एक दूसरे से मिलना चाहेंगे तो इसके दो तरीके होंगे । एक यह कि एक का तख्त दूसरे के पास चला जायेगा । दूसरी सूरत यह होगी कि जन्नतियों को बहुत अच्छे किस्म की सवारियाँ जैसे घोड़े वगैरा दिये जायेंगे कि उन पर सवार होकर जब चाहें और जहाँ चाहें चले जायेंगे । सबसे कम दर्जे का वह जन्नती है कि उसके बाग बीवियाँ , खादिम और तख्त इन्नने ज़्यादा होंगे कि हज़ार बरस के सफर की दूरी तक यह तमाम चीजें फैली हुई होंगी । उन जन्नतियों में*_ _*अल्लाह के नज़दीक सबसे , इज्जत वाला वह है जो उसका दीदार हर सुबह और शाम करेगा । जन्नती जब जन्नत में पहुँच जायेंगे और जन्नत की नेमतें उनके सामने होंगी और जन्नत में चैन आराम को जान जायेंगे तो अल्लाह तबारक व तआ़ला उनसे पूछेगा कि क्या कुछ और चाहते हो ? तो - वह कहेंगे कि या अल्लाह तुने हमारे चेहरे सौशन किये जन्नत में दाखिल किया और जहन्नम नजात दी उस वक्त़ मखलूक पर पड़ा हुआ पर्दा उठ*_ _*जायेगा और उन्हें अल्लाह का दीदार नसीब होगा । दीदारे इलाही से बढ़ कर कोई चीज़ नहीं*_

📝_*तर्जमा : - " या अल्लाह ! हमको अपने महबूब सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम जो रऊफ ओ रहीम हैं उनके वसीले से अपना दीदार नसीब फरमा । आमीन !*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 43/44*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 128)*_
_*―――――――――――――――――――――*_
         
                       _*जन्नत का बयान*_

_*खुदा का दीदार ऐसा साफ होगा जैसे सूरज और चौदहवीं रात के चाँद को हर एक अपनी जगह से देखता है । अल्लाह की तजल्ली हर एक जन्नती पर होगी । अल्लाह तआ़ला उन जन्नतियों में से किसी को उसके गुनाह याद दिलाकर फरमायेगा । कि ऐ फलों का लड़के फलाँ तुझे याद है कि जिस दिन तूने ऐसा ऐसा किया था ? बन्दा जवाब देगा कि ऐ मेरे अल्लाह क्या तूने मुझे बख़्श नहीं दिया था ? अल्लाह फरमायेगा कि हाँ मेरी मगफिरत की वुसअ़त की वजह ही से तू इस मर्तबे को पहुंचा है । वह सब इसी हालत में होंगे कि बादल छा जायेंगे और उन पर ऐसी खुश्बू की बारिश होगी कि उन लोगों ने ऐसी , खुश्बु कभी न पाई होगी । फिर अल्लाह फरमायेगा कि उस तरफ जाओ जो मैंने तुम्हारे लिए इज्जत तैयार कर रखी है । उसमें से जो चाहो ले लो । लोग फिर एक ऐसे बाज़ार में पहुँचेंगे जिसे फ़रिश्तों ने घेर रखा होगा और उनमें ऐसी चीजें होंगी कि न तो आँखों ने देखा होगा न कानों ने सुना होगा और न उन चीज़ों का कभी किसी ने ध्यान किया होगा । जन्नती उस में से जो चीज़ पसन्द करेंगे उनके साथ कर दी जायेगी । जन्नती जब आपस में एक दूसरे से मिलेंगे और छोटे रूतबे वाला बड़े रूतबे वाले के लिबास को देख कर पसन्द करेगा तो अभी बातें खत्म भी न होंगी कि छोटे मरतबे वाला अपने कपड़े को बड़े मरतबे वाले से अच्छा समझने लगेगा यह इसलिए कि जन्नत में किसी के लिए गम नहीं ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 43*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 127)*_
_*―――――――――――――――――――――*_
         
                       _*जन्नत का बयान*_

_*अगर कोई यह चाहे कि उसके औलाद हो तो औलाद होगी लेकिन आन की आन में बच्चा तीस साल का हो जायेगा । जन्नत ' में न तो नींद आयेगी और न कोई मरेगा क्यूँकि जन्नत में मौत नहीं । हर जन्नती जब जन्नत में जायेगा तो उसको उसके नेक कामों के मुताबिक मर्तबा मिलेगा और अल्लाह के करम की कोई थाह नहीं । फिर जन्नतियों को एक हफ्ते के बाद इजाज़त दी जायेगी कि वह अपने परवरदिगार की जियारत करें । फिर अल्लाह का अर्श ज़ाहिर होगा और अल्लाह तआला . जन्नत के बागों में से एक बाग में तजल्ली फरमायेगा । जन्नतियों के लिये नूर के , मोती के याकूत के , जबरजद के , सोने के और चाँदी के मिम्बर होंगे । और कम से कम दर्जे के जन्न्ती मुश्क और काफूर के टीले पर बैठेंगे । और उनमें आपस में अदना और आला कोई नहीं होगा ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 43*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 126)*_
_*―――――――――――――――――――――*_
         
                       _*जन्नत का बयान*_

_*आदमी अपने चेहरे को उनके रुख्सार में आईने से भी ज़्यादा साफ देखेगा उसके रूख़्सार पर एक मामूली मोती होगा लेकिन उस मोती में इतनी चमक होगी कि उससे पूरब से पश्चिम तक रौशन हो जायेगा जन्नत का कपड़ा दुनिया में पहना जाये तो उसे देखने वाला बेहोश हो जाये । मर्द जब जन्नत की औरतों के पास जाएगा तो उन्हें हर बार कुँवारी पाएगा मगर इसकी वजह से मर्द व औरत किसी को कोई तकलीफ न होगी । हूरों की थूक में इतनी मिठास होगी कि अगर कोई हूर समुन्दर में या सात समुन्दरों में थूक दे तो सारे समुन्दर शहद से ज़्यादा मीठे हो जायेंगे । जब कोई आदमी जन्नत में जायेगा तो उस के सरहाने पैताने दो हूरें बहुत अच्छी आवाज़ से गाना गायेंगी मगर उनका गाना ढोल बाजों के साथ नहीं होगा बल्कि वह अपने गानों में अल्लाह की तारीफ करेंगी । उन की आवाज़ में इतनी मिठास होगी कि किसी ने वैसी आवाज़ न सुनी होगी । और वह यह भी गायेंगी कि हम हमेशा रहने वालिया हैं कभी न मरेंगे हम चैन वालियाँ हैं कभी तकलीफ में न पड़ेंगे और हम राज़ी हैं नाराज़ न होंगे और यह भी कहेंगी कि उस के लिए मुबारक बाद जो हमारा और हम उस के हों । जन्नतियों के सर पलकों और भवों के अलावा कहीं बाल न होंगे । सब बे बाल के होंगे उनकी आँखें सुर्मगी होंगी । तीस बरस से ज़्यादा कोई मालूम न होगा । मामूली जन्नती के लिए अस्सी हज़ार ख़ादिम और बहत्तर हज़ार बीवियाँ होंगी । और उनको ऐसे ताज दिये जायेंगे कि उसमें के कम दर्जे के मेती से भी पूरब से पश्चिम तक चमक हो जायेगी*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 42*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 125)*_
_*―――――――――――――――――――――*_
         
                       _*जन्नत का बयान*_

_*हर आदमी की खुराक सौ आदमियों की होगी और हर एक को सौ बीवियों के रखने की ताकत दी जायेगी । हर वक़्त जुबान से तस्बीह व तकबीर वगैरा बिना इरादे के बिना मेहनत के जैसे साँस चलती है उसी तरह आदमी की जुबान से अल्लाह की तस्बीह और तकबीर जारी रहेगी । हर जन्नती के सिरहाने दस हज़ार खादिम खड़े होंगे । इन खादिमों के एक हाथ में चाँदी का प्याला और दूसरे हाथ में सोने का प्याला होगा और हर प्याले में नई नई नेमतें होंगी । जन्नती जितना खाता जायेगा । उन चीज़ों की लज्जत बढ़ती जायेगी । हर लुकमे और निवाले में सत्तर मज़े होंगे । हर एक मज़ा अलग अलग होगा और जन्नती सब को एक साथ महसूस करेंगे । न तो जन्नतियों के कपड़े मैले होंगे और न उनकी जवानी ढलेगी । जन्नत में जो पहला गिरोद जायेगा उनके चेहरे चौदहवीं रात के चाँद की तरह चमकते होंगे । दूसरा गिरोह वह जैसे कोई निहायत रौशन सितारा । जन्नतियों के दिल में कोई भेद भाव न होगा । आपस में सब एक दिल होंगे । जन्नतियों में से हर एक को खास हूरों में से कम से कम दो बीविया ऐसी मिलेंगी कि सत्तर सत्तर जोड़े पहने होंगी फिर भी उन जोड़ों और गोश्त के बाहर से उनकी पिंडलियों का गूदा दिखाई देगा जैसे सफेद गिलास में सुर्ख शराब दिखाई देती है । यह इसलिए कि अल्लाह ने उन हूरों को याकूत की तरह कहा है और याकूत में अगर छेद कर के धागा डाला जाये तो ज़रूर बाहर से दिखाई देगा ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 42*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 124)*_
_*―――――――――――――――――――――*_
         
                       _*जन्नत का बयान*_

_*अगर जन्नती किसी चिड़िया का गोश्त खाना चाहे तो उसी वक़्त भुना हुआ गोश्त उसके सामने आ जायेगा । अगर कोई पानी पीना चाहे तो पानी का कूजा ( प्याला ) उसकी प्यास के मुताबिक - उस के पास आ जायेगा । ज़रूरत से न एक बूंद कम होगा न एक बूंद ज्यादा । पीने के बाद वह आबखोरा ( पानी पीने का बर्तन ) खुद उस के पास से चला जायेगा । जन्नत में नजासत , गन्दगी , पाखाना , पेशाब , थूक , रेठ , कान का मैल और बदन का मैल वगैरा कोई गन्दगी नहीं होगी । जन्नती लोगों को पेशाब पाख़ाना नहीं होगा । सिर्फ एक खुश्बूदार  पसीना निकलेगा । जन्नतियों का खाया हुआ सब खाना हजम हो जायेगा और निकले हुये पसीने और डकार की खुश्बू मुश्क की होगी ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 41/42*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 123)*_
_*―――――――――――――――――――――*_
         
                       _*जन्नत का बयान*_

_*जन्नत की दीवारें सोने चाँदी की ईटों और मुश्क के गारे से बनी हैं । ज़मीन जाफरान की होगी । कंकरियों की जगह मोती और याकूत होंगे । एक रिवायत में यह भी है कि जन्नते अद्न की एक ईंट सफेद मोती की , एक लाल याकूत की और एक हरे ज़बरजद की और मुश्क का गार है । घास की जगह जाफ़रान और अम्बर की मिट्टी है । जन्नत में एक मोती का खेमा होगा जिसकी ऊँचाई साठ मील की होगी । जन्नत में पानी , दूध शहद और शराब की चार दरियायें है । उनसे नहरें निकल कर हर एक जन्नती के I में बह रही हैं । जन्नत की नहरें ज़मीन खोद कर नहीं बहती बल्कि ज़मीन के ऊपर जारी हैं । नहरों का एक किनारा मोती का दूसरा याकूत का उन नहरों की ज़मीन खालिस मुश्क की है । जन्नत की शराब दुनिया की शराब की तरह नहीं जिस में कड़वाहट , बदबू और नशा होता है और उसे पीकर लोग बेहोश हो जाते हैं और आपे से बाहर होकर गाली गलौच बकते हैं । जन्नत की शराब इन बातों से पाक है । जन्नत में जन्नतियों को हर किस्म के मज़ेदार खाने मिलेंगे और जो चाहेंगे फौरन उनके सामने मौजूद हो जायेगा ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 41*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

Thursday, September 19, 2019



  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 122)*_
―――――――――――――――――――――
         
                     _*जन्नत का बयान*_

_*जाये , चाँद सूरज की रौशनी मंद पड़ जाये और पूरी दुनिया उसकी खुश्बू से भर जाये । एक रिवायत - में यह भी है कि अगर हूर अपनी हथेली ज़मीन और आसमान के बीच निकाले तो सिर्फ हथेली की खुबसूरती को देख कर लोग फितने में पड़ जायेंगे । अगर जन्नत की कोई ज़री बराबर भी चीज़ दुनिया में आ जाये तो आसमान ज़मीन सब में सजावट पैदा हो जाये । जन्नती का कंगन चाँद सूरज और तारों को*_ _*मांद कर दे । जन्नत की थोड़ी सी जगह जिस में कूड़ा रख सकें वह पूरी दुनिया से बेहतर है । जन्नत की लम्बाई चौड़ाई के बारे में किसी को कुछ पता नहीं ।अल्लाह और उसके रसूल ज़्यादा अच्छा जानते हैं । मुख्तसर यह है कि जन्नत में सौ दर्जे हैं । एक दर्जे से दूसरे दर्जे में इतनी दूरी है कि जैसे जमीन से आसमान तक । तिर्मिज़ी शरीफ की एक हदीस का मतलब यह है कि जन्नत के एक दर्जे में अगर सारा आलम समा जाये तो फिर भी जगह बाकी रहेगी जन्नत में एक इतना बड़ा पेड़ है कि अगर उसके साये में कोई सौ बरस तक तेज़ घोड़े से चलता रहे फिर भी वह साया खत्म न होगा । जन्नत के दरवाज़ों की चौड़ाई इतनी होगी कि उसके एक सिरे से दूसरे सिरे तक तेज़ धोड़े से सत्तर साल का रास्ता होगा । फिर भी जन्नत में जाने वाले इतने ज़्यादा होंगे कि मोंढे से मोंढा छिलता होगा बल्कि भीड़ से दरवाज़ा चरचराने लगेगा । जन्नत में तरह तरह के साफ सुथरे ऐसे महल होंगे कि अन्दर की चीजें बाहर से और बाहर की चीजें अन्दर से दिखाई देंगी ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 40/41*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 121)*_
―――――――――――――――――――――
            
                      _*जन्नत का बयान*_

_*जन्नत एक मकान है जिसे अल्लाह तआ़ला ने ईमान वालों के लिये बनाया है उसमें ऐसी ऐसी नेमतें रखी गई हैं जिनको न आँखों ने देखा न कानों ने सुना और न कोई उन नेमतों का गुमान कर सकता है यानी बै देखे वर्ना देख कर तो आप ही जानेंगे , तो जिन्होंने दुनियावी हयात की हालत में मुशाहदा किया वह इस हुक्म से अलग हैं खास हुजूर सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम इसलिए जन्नत की कोई मिसाल दी ही नहीं जा सकती क्योंकि काबा शरीफ जन्नत से आला है और हुजूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम की तुर्बत तो काबा बल्कि अर्श से भी अफ़ज़ल है मगर यह दुनिया की चीजें नहीं । हाँ जिन्होंने अल्लाह के करम से अपनी दुनियावी ज़िन्दगी में जन्नत को देखा है वह जानते हैं कि जन्नत में क्या क्या चीजें हैं और उसमें कितना आराम है ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 40*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 120)*_
―――――――――――――――――――――

            _*आखिरत और हश्र का बयान*_

_*अब तक तो हश्र के मुखतसर हालात बताये गये । और उन तमाम कामों के बाद हमेशा के लिए जन्नत या जहन्नम ठिकाना होगा । किसी को आराम का घर मिलेगा जिस में आराम की कोई थाह नहीं , उस आराम के घर को जन्नत कहते हैं । और किसी को तकलीफ़ के घर में जाना होगा जिसे जहन्नम कहते हैं । यह जन्नत और दोज़ख हक हैं । इनका इन्कार करने वाला काफ़िर है*_

☝️ _*अक़ीदा : - अल्लाह तआ़ला ने जन्नत और दोज़ख को हज़ारों साल से भी पहले पैदा किया । और जन्नत और दोज़ख आज भी मौजूद हैं । ऐसा अक़ीदा रखना कि क़ियामत से पहले या क़ियामत के दिन जन्नत और दोज़ख़ बनाये जायेंगे गुमराही और बद्दीनी है ।*_

☝️ _*अक़ीदा : - क़ियामत , बस यानी मौत के बाद जिन्दा होना , हश्र , हिसाब सवाब , अज़ाब , जन्नत और दोज़ख सब का वही मतलब है जो मुसलमानों में मशहूर है । कुछ लोगों ने कुछ नये मतलब गढ़ लिये हैं जैसे सवाब का मतलब अपनी अच्छाईयों को देखकर खुश होना । अज़ाब का मतलब अपने बुरे कामों को देखकर गमगीन होना । या सिर्फ रूहों का हश्र समझना बहुत बड़ी गुमराही और बद्दीनी है ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 40*_

_*अब मुख्तसर तौर पर जन्नत और दोज़ख का हाल लिखा जाएगा*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 119)*_
―――――――――――――――――――――

            _*आखिरत और हश्र का बयान*_

_*यह क़ियामत का दिन पचास हज़ार साल का दिन होगा जिस की मु सीबतें अनगिनत होंगी। लेकिन जो अल्लाह के खास बन्दे हैं उनके लिए क़ियामत का दिन इतना हल्का कर दिया जायेगा कि जितनी देर में आदमी फ़र्ज़ की नमाज़ पढ़ ले उतनी ही देर का दिन मालूम होगा । कुछ लोगों के लिए पलक झपकते ही सारा दिन खत्म हो जायेगा । जैसा कि अल्लाह तआ़ला ने फरमाया कि*_

📝 _*तर्जमा : - क़ियामत का मुआ़मला नहीं मगर जैसे पलक झपकना बल्कि उससे भी कम ।*_

_*यानी अल्लाह के ख़ास बन्दों के लिए क़ियामत का दिन पलक झपकने के बराबर या उससे भी कम है । सब से बड़ी नेमत जो मुसलमानों को उस रोज़ मिलेगी वह अल्लाह का दीदार होगा क्योंकि अल्लाह तआ़ला का दीदार हर दौलत से बड़ी दौलत है जिसे एक बार उस की ज्यारत नसीब होगी वह उसकी लज़्ज़त को कभी नहीं भूल सकता । और सब से पहले अल्लाह का दीदार दोनों जहान के सरदार हुजूर अकदस सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम को होगा ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 39/40*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 118)*_
―――――――――――――――――――――

           _*आखिरत और हश्र का बयान*_

_*उस दिन हुजूर किसी एक ही जगह पर नहीं ठहरेंगे बल्कि कभी मीज़ान पर होंगे और जिसकी नेकियों में कमी देखेंगे उसकी शफाअ़त करके उसे नजात दिलायेंगे । कभी हौजे कौसर पर प्यासों को सैराब करते हुये नज़र आयेंगे और आन की आन में फ़िर पुल पर । गरज़ हर जगह उन्हीं की पहुँच होगी । हर एक उन्हीं की दुहाई देगा । उन्हीं से फरियाद करता होगा और उनके सिवा पुकारा भी किसको जा सकता है क्यों कि हर एक को अपनी पड़ी होगी । सिर्फ सरकार ही की जा़त ऐसी है कि जिन्हें अपनी कोई फिक्र नहीं बल्कि सारे आलम का बोझ उन्हीं पर है । दूरूद हो उन पर*_

_*📝तर्जमा : - " अल्लाह तआ़ल उन पर रह़मत नाज़िल फ़रमाये और उनकी औलाद और उनके असहाब पर । ( उन्हें ) बरकत और सलामती दे । ऐ अल्लाह ! हुजूर सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम के वसीले से हमको हश्र की मुसीबतों से नजात दे । और उन पर उनकी औलाद और उनके असहाब पर अफज़ल दुरूद और सलाम , और रहमत नाज़िल कर , आमीन*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 39*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 117)*_
―――――――――――――――――――――

           _*आखिरत और हश्र का बयान*_

_*लोगों के जैसे अच्छे या बुरे काम होंगे उसी तरह पुल सिरात के पार करने के ढंग भी होंगे । बाज़ तो ऐसी तेज़ी के साथ गुजरेंगे जैसे बिजली का कौंदा कि अभी चमका और अभी गायब हो गया और बाज़ तेज़ हवा की तरह कोई ऐसे जैसे कोई परिन्द उड़ता है और कुछ जैसे घोड़ा दौड़ता है और बाज़ जैसे आदमी . दौड़ता है यहाँ तक कि बाज़ चूतड़ों के बल घिसटते हुये और कुछ चींटी की तरह रेंगते हुये पुल सिरात ' को पार करेंगे । पुलसिरात के दोनों तरफ़ बड़े बड़े आंकड़े लटकते , होंगे । अल्लाह ही जाने वह कितने बड़े होंगे जिसके बारे में अल्लाह का हुक्म होगा उसे पकड़ लेंगे । इनमें से कुछ ज़ख्मी होकर बच जायेंगे । और कुछ जहन्नम में गिराये जायेंगे और हलाक होंगे।    इधर तमाम महशर वाले तो पुल पार करने में लगे होंगे मगर वह बे गुनाह गुनाह गारों का शफी पुल के किनारे खड़ा हुआ अपनी उम्मत के गुनाहगारों के लिए गिरया - ओ - जारी कर के यह दुआ कर रहा होगा ।*_

📖 _*तर्जमा : - " इलाही इन गुनाहगारों को बचा ले बचा ले ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 39*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 116)*_
―――――――――――――――――――――

           _*आखिरत और हश्र का बयान*_

_*अक़ीदा : - हुजूर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम को अल्लाह तआ़ला मकामे महमूद अता  फरमाएगा उसका मतलब यह है कि तमाम अगले पिछले हुजूर की हम्द ( तारीफ ) करेंगे ।*_

_*अक़ीदा : - हुजूर सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहिवसल्लम को एक ऐसा झंडा दिया जायेगा जिसको ' लिवाउल हम्द कहते हैं । उस झंडे के नीचे हज़रते आदम अ़लैहिस्सलाम से लेकर आखिर तक के सारे मोमिन इकट्ठा होंगे ।*_

_*अक़ीदा : - पुल सिरात हक़ है । यह एक ऐसा पुल है जो जहन्नम के ऊपर लगाया जायेगा । बाल से ज्यादा बारीक और तलवार से ज्यादा तेज़ होगा जन्नत में जाने का यही रास्ता है । सब से पहले हमारे हुजूर अ़लैहिस्सलाम गुज़रेंगे फिर दूसरे नबी व रसूल । उसके बाद हुजूर की उम्मत और फिर दुसरी उम्मतें गुजरेंगी ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 38 39*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 115)*_
―――――――――――――――――――――

           _*आखिरत और हश्र का बयान*_

_*अक़ीदा : - क़ियामत के दिन हर एक को उसका ' आमालनामा दिया जायेगा । जो नेक होंगे उनके दाहिने और जो गुनाहगार होंगे उनके बायें हाथ में और जो काफ़िर होंगे उनका सीना तोड़ कर उनका बायाँ हाथ पीछे निकाल कर पीठ के पीछे दिया जायेगा।*_

 _*अक़ीदा : - हक़ बात यह है कि ' हौज़े कौस़र हुजूर सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम को दिया गया है । उस हौज़ की लम्बाई चौड़ाई इतनी है कि जैसे एक महीने का रास्ता हो । इस महीने के बारे में नहीं बताया जा सकता कि महीने का मतलब क्या है। हौज़ के किनारे पर मोती के कुब्बे हैं । उसकी‌ मिट्टी बहुत खुश्बूदार मुश्क की है । उसका पानी दूध से ज़्यादा सफ़ेद और शहद से ज़्यादा मीठा है । उस पर बरतन इतने ज़्यादा हैं कि जैसे सितारे अनगिनत होते हैं । उसमें सोने और चाँदी के दो जन्नती परनाले हर वक़्त गिरते रहते हैं।*_

 _*अक़ीदा : - मीज़ान हक़ है उस पर लोगों के अच्छे बुरे आमाल तौले जायेंगे । दुनिया में पल्ला भारी होने का मतलब यह होता है कि नीचे को पल्ला झुकता है । लेकिन वहाँ उस का उल्टा होगा और जिसका पल्ला भारी होगा ऊपर को उठ जायेगा।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 38*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 114)*_
―――――――――――――――――――――

            _*आखिरत और हश्र का बयान*_

 _*फिर एक पर्चा निकाला जायेगा जिस पर लिखा होगा कि*_

 📖   _*तर्जमा : -  मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं और बेशक मुहम्मद सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम उसके बन्दे और उसके रसूल हैं ।*_

_*और अल्लाह उसे हुक्म देगा कि जाओ मीज़ान पर उन दफतरों के सामने इस पर्चे को रख कर तौल करा लो । वह कहेगा कि या अल्लाह उन दफतरों के सामने यह पर्चा क्या हक़ीक़त रखता है । अल्लाह फरमायेगा कि तेरे साथ इन्साफ किया जायेगा । फिर एक पल्ले पर वह सब दफ़तर रखे जायेंगे और एक में वह पर्चा अल्लाह की मर्जी से वह पर्चे वाला पल्ला दफ़तरों से भारी हो जायेगा । यह उसकी रह़मत है और उसकी रह़मत की कोई थाह नहीं । वह रहम फ़रमाए तो थोड़ी चीज़ भी बहुत है ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 38*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 113)*_
―――――――――――――――――――――

           _*आखिरत और हश्र का बयान*_

_*हुजूर सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम ने फरमाया है कि मेरी उम्मत से सत्तर हज़ार बे हिसाब  जन्नत में दाखिल होंगे । और उनके तुफैल वसीले से हर एक के साथ सत्तर हज़ार । और अल्लाह तआ़ला तीन जमाअ़तें और देगा । जिनकी गिनती के बारे में वही जाने । तहज्जुद पढ़ने वाले बिना हिसाब जन्नत में जायेंगे हुजूर की उम्मत में ऐसा आदमी भी होगा जिनके निन्नानवे के दफ्तर गुनाहों होंगे और हर दफ्तर इतना होगा जहाँ तक निगाह पहुँचे और वह सब दफ़रत खोले जायेंगे । फिर अल्लाह पूछेगा कि इनमें से तुम्हें किसी बात का इन्कार तो नहीं है? मेरे फरिश्ते किरामन कातिबीन ' ने तुम पर जुल्म करते हुए ग़लत बातें तो नहीं लिख दी ? या तेरे पास कोई बहाना तो नहीं ? तो वह अपने रब के सामने अपने गुनाहों को तस्लीम करेगा । अल्लाह तआ़ला फरमायेगा कि हाँ तेरी एक नेकी हमारे सामने है और उसी की वजह से आज तुझे नजात मिलेगी ।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 38*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 112)*_
―――――――――――――――――――――

            _*आखिरत और हश्र का बयान*_

_*तो वह जवाब देंगे कि हम तेरे हुक्म को मानते हुए तुझ पर तेरी किताबों और तेरे रसूलों पर । ईमान लाये । नमाजें पढ़ीं , रोज़े रखे , सदके दिये और बहुत से नेक कामों की फेहरिस्त खुदा के सामने । पेश करेंगे । अल्लाह , तआ़ला फ़रमायेगा । अच्छा रूको तुम पर गवाह पेश होंगे । काफिर अपने जी में सोचेगा कि कौन गवाही देगा । लेकिन अल्लाह के हुक्म से उनके मुँह पर ताले पड़ जायेंगे और उनके जिस्म और बंदन के हर हिस्से को हुक्म होगा कि बोल चलो । उस वक़्त उनकी रान, हाथ पाँव, गोश्त, पोस्त, हड्डियाँ वगैरा सब गवाही देंगे और उनके सारे बुरे करतूत अल्लाह के सामने पेश करेंगे। अल्लाह उन्हें जहन्नम में डाल देगा।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 37*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 111)*_
―――――――――――――――――――――

            _*आखिरत और हश्र का बयान*_

_*अल्लाह तआ़ला किसी से पुछेगा कि ऐ फुलाने क्या मैंने तुझे इज़्ज़त न दी क्या तुझे सरदार न बनाया ? और क्या तुझे घोड़े ऊँट वगैरा का मालिक न बनाया ? और जो कुछ भी उसे अता किया गया । होगा वह सब उसे याद दिलाया जायेगा । वह सब का इकरार करेगा । फ़िर अल्लाह पूछेगा कि क्या तुझे मुझ से मिलने का ध्यान था ? वह कहेगा कि नहीं । तब अल्लाह फ़रमायेगा कि जब तूने मुझे भुला दिया तो हम भी तुझे अज़ाब में डालते हैं । कुछ काफ़िर ऐसे भी होंगे कि जब अल्लाह तआ़ला अपनी दी हुई दौलतों को उन्हें याद दिला कर उनसे पूछेगा कि तुमने क्या किया*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 37*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 110)*_
―――――――――――――――――――――

            _*आखिरत और हश्र का बयान*_

☝  _*अकी़दा : - हिसाब किताब हक़ है और हर अच्छे बुरे कामों का हिसाब होगा ।*_

☝   _*अकी़दा : - जो हिसाब का इन्कार करे वह काफिर है किसी से इस तरह हिसाब लिया जायेगा कि उससे चुपके से पूछा जायेगा कि तूने यह किया और यह किया । अर्ज करेगा ऐ रब यहाँ तक कि तमाम गुनाहों का इकरार लेलेगा अब यह अपने दिन में समझेगा कि अब गये फरमायेगा कि हम ने दुनिया में तेरे ऐब छुपाये और अब बख्शते हैं और किसी से सख्ती के साथ एक एक बात पूछी जायेगी।*_

_*जिससे इस तरह सवाल होगा उसकी हलाकत सामने है।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 37*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 109)*_
―――――――――――――――――――――

            _*आखिरत और हश्र का बयान*_

_*फिर तो शफाअ़त का सिलसिला शुरू हो जायेगा यहाँ तक कि जिसके दिल में राई के दाने के बराबर भी ईमान होगा उसे भी शफाअ़त कर के जहन्नम से निकालेंगे । और जो सच्चे दिल से । मुसलमान हो और उसका कोई नेक अ़मल न हो उसे भी दोज़ख से निकालेंगे । फिर तमाम नबी अपनी अपनी उम्मतों के लिए शफाअ़त करेंगे । फिर वली , शहीद , आलिम , हाफिज़ और हाजी लोग शफाअ़त करेंगे बल्कि हर वह आदमी अपने अपने रिश्तेदारों की शफाअ़त करेगा जिसको कोई दीनी दर्जा या मरतबा अ़ता किया गया हो नाबालिग बच्चे जो मर गये है अपनी बाप माँ की शफाअ़त करेंगे यहाँ तक कि कुछ लोग आलिमों के पास जाकर कहेंगे कि हमने आप के लिए एक वक्त़ वुजू के लिये पानी दिया था । कोई कहेगा कि हमने आपको इस्तिन्जे के लिये ढेले दिये थे तो आलिम उनकी भी शफाअ़त करेंगे*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 37*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 108)*_
―――――――――――――――――――――

            _*आखिरत और हश्र का बयान*_

✍️ _*सरकार मुसीबत के मारों की फरियाद सुनेंगे और फ़रमायेंगे कि*_

📖 _*तर्जमा : - मैं इस काम के लिये हूँ*_

📖 _*तर्जमा : - मैं ही वह हूँ जिसे तुम तमाम जगह ढूँढ आये हो।*_

✍️ _*यह कह कर हुजूर अल्लाह के दरबार में जायेंगे और सजदा करेंगे। अल्लाह तआ़ला इरशाद फ़रमायेगा कि।*_

📖  _*तर्जमा : - " ऐ मुहम्मद अपना सर उठाईये और कहिये आपकी बात सुनी जायेगी और आप जो कुछ माँगेंगे दिया जायेगा और शफाअ़त कीजिये आप की शफाअ़त मकबूल है*_

  ✍️ _*और एक दूसरी रिवायत में यह भी है कि*_

📖 _*तर्जमा : - आप फरमा दीजिये कि आपकी इताअ़त की जायेगी।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 37*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 107)*_
―――――――――――――――――――――

               _*आखिरत और हश्र का बयान*_

_*और उनके बताने से मुसीबत के मारे लोग हज़रते इब्रहीम अ़लैहिस्सलाम के पास जायेंगे जिन्हें अल्लाह ने खलील होने का शरफ़ बख़्शा वहाँ भी यही जवाब मिलेगा तो लोग हज़रते मूसा अ़लैहिस्सलाम और हज़रत ईसा अ़लैहिस्सलाम के पास जायेंगे । हज़रते ईसा अ़लैहिस्सला इरशाद फ़रमायेंगे कि तुम उनके पास जाओ जो शफाअत का दरवाज़ा खोलेंगे जिन्हें कोई खौफ नहीं जो तमाम आदम की औलाद के सरदार हैं और वही खातमुन्नबीय्यीन हैं । अब लोग फिरते फिराते ठोकरें खाते रोते चिल्लाले और दुहाई देते उस बेकस पनाह के दरबार में हाज़िर होंगे जो अल्लाह के महबूब हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम हैं । सरकार की बहुत सी फजीलतें बयान कर के कहेंगे कि सरकार देखिये तो हम कितनी मुसीबतों में हैं आप अल्लाह के दरबार में हमारी शफाअ़त कर दीजिये , हमको इस मुसीबत से नजात दिलवाईये*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 36*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 106)*_
―――――――――――――――――――――

               _*आखिरत और हश्र का बयान*_

_*लोग पूछेगे कि आप ही बतायें कि हम किस के पास जायें वह कहेंगे कि तुम हज़रते नूह के पास जा क्यूँकि वह पहले रसूल हैं कि ज़मीन पर हिदायत के लिए भेजे गये लोग रोते पीटते मुसीबत के मारे हज़रते नूह अ़लैहिस्सलाम पास पहुंचेंगे और उन से उन की फजी़लतें बयान कर के अपनी शफाअ़त के लिए फरियाद करेंगे कि आप अपने पालनहार से हमारी शफाअ़त कर दीजिये कि वह हमारा फैसला दे लेकिन वह भी यही जवाब देंगे कि मैं इस लाइक नहीं मुझे अपनी पड़ी है तुम किसी और के पास जाओ*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 36*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 105)*_
―――――――――――――――――――――

               _*आखिरत और हश्र का बयान*_

_*मुसीबत के मारे लोग गिरते पड़ते हज़रते आदम अ़लैहिस्सलाम के पास पहुँचेंगे और फ़रियाद करेंगे कि ऐ आदम । आप अबुल बशर ( आदमी के बाप ) हैं । अल्लाह तआ़ला ने अपको अपने दस्ते कुदरत से बनाया है । आप में अपनी चुनी हुई रूह डाली है । फ़रिश्तों से आप को सजदा कराया । जन्नत में आपको रख कर तामम चीज़ों के नाम सिखाये । अल्लाह ने आपको सफी ( दोस्त चुना हुआ और खा़लिस ) बनाया आप देखते नहीं कि हम कितनी मुसीबतों में हैं आप हमारी शफा़अ़त कीजिए कि अल्लाह तआ़ला हमें इस से नजात दे । हज़रत आदम अलैहिस्सलाम फ़रमायेंगे कि मेरा यह मरतबा नहीं मुझे आज अपनी जान की फ़िक्र है आज अल्लाह ने अपना ऐसा गज़ब और जलाल जाहिर किया है कि न तो ऐसा कभी हुआ और न कभी होगा तुम किसी और के पास जाओ*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 36*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 104)*_
―――――――――――――――――――――

               _*आखिरत और हश्र का बयान*_

_*यह वह वक़्त होगा कि बच्चे ग़म के मारे बूढ़े हो जायेंगे । हमल वाली औरत का हमल गिर . जायेगा । लोग ऐसे दिखाई देंगे कि जैसे नशे में हों हालाँकि नशा में न होंगे । अल्लाह तआ़ला का अज़ाब बहुत सख्त होगा । और लोगों को हज़ारों मुसी़बतों का सामना होगा । और यह मुसीबतें दो चार दिन या दो चार महीनों की नहीं होंगी । बल्कि कियामत का दिन पचास हजार बरस का होगा । हश्र के आधे दिन तक लोग इसी तरह मुसीबतों में रहते हुये अपने लिए किसी सिफा़रिशी को तलाश करेंगे कि वह खुदाये जुलजलाल के सामने उनकी शफाअ़त कर सके।*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 35 36*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 103)*_
―――――――――――――――――――――

               _*आखिरत और हश्र का बयान*_

_*इसी तरह और दूसरी सज़ायें होंगी । फिर यह कि इन मुसीबतों में कोई एक दूसरे का पूछने वाला न होगा भाई से भाई भागता दिखाई देगा । माँ बाप औलाद से पीछा छुड़ायेंगे अलग बीवी बच्चे अलग जान चुरायेंगे । हर एक अपनी मुसीबत में गिरफ्तार होगा । कोई किसी का मददगार न होगा । उस वक्त हज़रते आदम अ़लैहिसलाम को हुक्म होगा कि वह दोज़खियों की जमाअ़त अलग करें । वह पूछेगे कि कितने में से कितनों को अलग करूँ ? अल्लाह फ़रमायेगा कि हर हज़ार से नौ सौ निन्नानवे*_

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 35*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 102)*_
―――――――――――――――――――――

                *आखिरत और हश्र का बयान*

*इस गर्मी में प्यास का यह हाल होगा कि जुबाने सूख कर काँटा हो जायेंगी । और मुँह से बाहर निकल आयेंगी । दिल उबल कर गले को आ जायेंगे । हर एक को उसके गुनाह के मुताबिक सज़ा मिलेगी । जिसने चाँदी सोने की ज़कात न दी होगी उस माल को गर्म कर के उसकी करवट , पेशानी और पीठ पर दाग दिया जायेगा । जिसने जानवर की ज़कात न दी होगी उसके जानवर क़ियामत के दिन खूब मोटे ताज़े होकर आयेंगे और उस आदमी को वहाँ लिटा कर वह जानवर अपने सींग से मारते और अपने पैरों से रौंदते हुए उस पर से उस वक़्त तक गुज़रते रहेंगे जब तक कि लोगों का हिसाब खत्म हो*

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 35*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 101)*_
―――――――――――――――――――――

                *आखिरत और हश्र का बयान*

☝️‌   *उस वक़्त हाल यह होगा कि सर के भेजे खौलते होंगे और इतना ज़्यादा पसीना निकलेगा कि पसीने को ज़मीन सत्तर गज़ तक सोख लेगी फिर जो पसीना ज़मीन न पी सकेगी वह पसीना ज़मीन के ऊपर चढ़ते चढ़ते किसी के टखनों , किसी के घुटनों , किसी की कमर , किसी के सीने और किसी के गले तक पहुँच जायेगा और काफ़िर के मुँह तक पहुँच कर लगाम की तरह जकड़ लेगा जिस में वह डुबकियाँ खायेगा*

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 35*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

Al Waziftul Karima 👇🏻👇🏻👇🏻 https://drive.google.com/file/d/1NeA-5FJcBIAjXdTqQB143zIWBbiNDy_e/view?usp=drivesdk 100 Waliye ke wazai...