_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 176)*_
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_*👑विलायत का बयान👑*_
_*👁️तम्बीह : - चूंकि आम तौर पर मुसलमानों को अल्लाह के फज्ल और करम से औलिया - ए - किराम से नियाजमन्दी और पीरों के साथ एक खास अकीदत होती है । उन के सिलसिले में दाखिल होने को दीन और दुनिया की भलाई । समझते हैं । इसीलिये इस जमाने के वहाबियों ने लोगों को गुमराह करने कि लिए यह जाल फैला रखा है कि पीरी मुरीदी भी शुरू कर दी । हालांकि यह लोग औलिया के मुन्किर हैं इसीलिए जब किसी का मुरीद होना हो तो खूब अच्छी तरह तहकीक कर लें । नहीं तो अगर कोई बदमजहब हुआ तो ईमान से भी हाथ धो बैठेंगे ।*_
_*ऐ बसा इबलीस आदम रूये हस्त पस ब हर दस्ते न बायद दाद दस्त*_
_*📝तर्जमा : - " होशियार , खबरदार अक्सर इबलीस आदमी की शक्ल में होता है । इसलिये हर ऐरे के हाथ में हाथ नहीं देना चाहिए । " पीरी के लिये शर्त : - पीर के लिए चार शर्ते हैं । बैअत करने और मुरीद होने से पहले उनको ध्यान में रखना फर्ज है ।*_
_*( 1 ) पीर सुम्नी सहीहुल अकीदा हो ।*_
_*( 2 ) पीर इतना इल्म रखता हो कि अपनी जरूरत के मसाइल किताबों से निकाल सके ।*_
_*( 3 ) फासिके मोलिन न हो । यानी खुले आम गुनाहे कबीरा में मुलव्विस न हो जैसे नमाज छोड़ना , गाने बजाने में मशगूल रहना या दाढ़ी मुंडाना वगैरा ।*_
_*( 4 ) उसका सिलसिला हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम तक मुत्तसिल हो ।*_
_*📝तर्जमा : - " हम दीन दुनिया और आख़िरत में अल्लाह से माफी और आफियत माँगते हैं और पाकीज़ा शरीअत पर इस्तिकामत ( मज़बूती के साथ काइम रहना ) चाहते हैं । और मुझे अल्लाह ही की जानिब से तौफीक है उसी पर मैंने भरोसा किया और उसी की जानिब माइल हुआ और दूरूद नाजिल फरमाये अल्लाह तआला अपने हबीब पर , उन की आल असहाब उनके फर्जन्दों और उनकी जमात पर हमेशा हमेशा , और तमाम तारीफ खास कर अल्लाह को जो तमाम आलम का रब है ।*_
_*फ़कीर अमजद अली आज़मी हिन्दी तर्जमा मुहम्मद अमीनुल कादरी बरेलवी*_
_*📕 बहारे शरिअत हिस्सा 1, सफा 71/72*_
_*🤲 तालिबे दुआँ क़मर रज़ा ह़नफ़ी*_
_*📮बहारे शरिअत हिस्सा 1 खत्म हुआ इंशा'अल्लाह अब हिस्सा 2 से पोस्ट शुरुआत करेंगे*_
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